Bhilwara News: बनास नदी में बजरी माफिया द्वारा खोदे गए गहरे गड्ढों के कारण दो लोगों की दर्दनाक मौत हो गई. सीताराम और बाबूलाल नामक दो व्यक्ति नदी में डूब गए थे, और उनके शव 24 और 40 घंटे बाद नदी किनारे तैरते हुए मिले. गहरे गड्ढों में फंसे शवों को रेस्क्यू टीम भी नहीं ढूंढ पाई थी. घटना के लिए बजरी माफिया की लापरवाही और अवैध गतिविधियों को जिम्मेदार बताया जा रहा है. प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.


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पारोली के कांटी गांव के निकट शुक्रवार को एक दुखद घटना घटी, जहां अंतिम संस्कार के बाद बनास नदी में नहाने उतरे दो युवक डूब गए. दोनों युवकों की तलाश में जुटी टीम ने शनिवार शाम को 24 घंटे बाद सरा का खेड़ा के निकट सीताराम का शव बरामद किया. वहीं, तीसरे दिन रविवार सुबह 40 घंटे बाद बाबू लाल का शव भी मिल गया. दोनों युवकों की मौत से इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है. प्रशासन ने घटना की जांच शुरू कर दी है और आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.



तहसीलदार रवि शेखर चौधरी ने बताया कि बनास नदी से रेस्क्यू टीम ने सर्च कर नदी में डूबे सीताराम उम्र 42 वर्ष पुत्र सांवता लोधा तथा बाबूलाल लोधा का शव रविवार सुबह मिला है. विधायक गोपीचंद मीणा के निर्देश पर स्पेशल रेस्क्यू टीम बुलायी गई थी. गोरतलब रहे कि कल कांटी गांव निवासी बुजुर्ग रामसुंआ लोधा को खेत पर जहरीले जीव के काटने से मौत हो गई थी, शुक्रवार को बनास नदी तट सहारे स्थित मोक्ष धाम पर अंतिम संस्कार के बाद दागी और ग्रामीण बनास नदी में नहा रहे थे, इस दरमियान बाबूलाल लोधा उम्र 31 वर्ष पुत्र नंदलाल लोधा तथा सीताराम उम्र 42 वर्ष पुत्र सांवता लोधा दोनों ही बनास नदी में डूब गए थे. तलाशी के दौरान 24 घंटे बाद सीताराम का शव बरामद हुआ है जबकि बाबूलाल का 40 घंटे बाद रविवार सुबह मिला है.



बजरी माफियाओ ने बदला नदी का स्वरूप
कांटी सहित सरा का खेड़ा , बेड़ूदा,घेवरिया, चैनपुरा सहित बनास नदी में बड़ी तादाद में बजरी माफिया अवैध बजरी दोहन को लेकर सक्रिय है. माफियाओं ने नदी को काफी गहराई तक खोदकर गहरे गड्ढों में तब्दील कर दिया है. नदी में 25 से 30 फीट तक गहरे गड्ढे हो रखे हैं. संभवतया मृतक दोनों युवकों का शव इन गहरे गड्ढों में फंस गया जो काफी समय बाद रेस्क्यू टीम को तलाशी के बाद नदी किनारे तैरते मिले है.



शोक में डूबा पूरा गांव, नहीं जले घरों में चुल्हे
गांव में जहरीले जीव के काटने से पहले बुजुर्ग सुवा लोधा की तथा बाद में बाबूलाल और सीताराम की मौत नदी में डूब जाने से हो गई. एक ही समाज की एक साथ गांव में तीन जनों की मौत पर पूरा गांव शोक में डूब गया है. शोक मे घरों मे चूल्हे नहीं जले. शनिवार को दिन भर दुकानें बंद रही. परिजनों का रो रो कर बुरा हाल हो गया. मृतक बाबूलाल के खुद का टेंट व्यवसाय का काम था जिसके तीन संतान है. जबकि सीताराम पास ही माइंस पर ट्रैक्टर चालक था. जिसके तीन लड़कियां और एक बेटा है.


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