भीलवाड़ा: जिले में देश के सबसे खतरनाक चार सांपों की प्रजातियां हैं. ये चारों प्रजातियां इतनी खतरनाक हैं कि इनके डंसने के कुछ सेकेंड बाद ही पीड़ित की मौत हो जाती है. भीलवाड़ा जिले में करैत, रसल वाइपर, रसल वाइपर और कोबरा सांप की प्रजातियां पाई जाती हैं. सांपों की यह वे प्रजातियां हैं, जो देश के सबसे 11 खतरनाक सांपों की सूची में शामिल है. इनमें सबसे गुस्सैल और खतरनाक ‘रसल वाइपर’ है. ये 5 फीट दूर खड़े इंसान पर पलभर में हमला कर उसे अचेत कर देता है. इसका जहर इतना खतरनाक है कि शरीर पर सूजन आती है, किडनी तक फेल कर देता है.


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जिले की बात करें तो इन 4 खतरनाक सांपों के डंसने से तीन साल में 1 हजार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इस साल बारिश के साथ ही भीलवाड़ा में स्नेक बाइट के मामले भी सामने आ रहे हैं. सीजन के पांच स्नेक बाइट मामले सामने आ चुके हैं. साल 2018 में 508, 2019 में 253 और 2020 में 551 लोगों को इन जहरीले सांपों ने डंसा था.


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कोबरा सांप : इसके जहर से न्यूरो सिस्टम पर असर होता है और शरीर लकवा मार जाता है. भारत के सभी हिस्सों में पाया जाता है. राजस्थान में इसे नाग भी कहा जाता है. यह काफी जहरीला होता है. स्नेक बाइट के मामले में सबसे ज्यादा मौत के कोबरा के डंसने से ही होती है. इसमें सिनौप्टिक न्यूरोटॉक्सीन व कार्डियोटॉक्सिन जहर होता है. कोबरा के डंसने से कुछ ही समय बाद शरीर का न्यूरो सिस्टम काम करना बंद कर देता है और लकवा मार जाता है. जहर के कारण आंखों की रोशनी चली जाती है. सांप की लंबाई 1 मीटर से डेढ़ मीटर तक होती है.


रसल वाइपर: एक बार में 250 ग्राम तक जहर छोड़ता है. यह सांप अजगर की तरह दिखता है. काफी खतरनाक होता है. एक बार डंसने पर 120 से 250 ग्राम तक इंसान के शरीर में जहर छोड़ देता है. इसके जहर से खून के थक्के बनने के साथ ही किडनी तक फैल हो जाती है. शरीर पूरी तरह से सूज जाता है और चमड़ी फटना शुरू हो जाती है. यह इतना आक्रामक होता है कि 5 फीट दूर खड़े शिकार को भी चंद सेकेंड में डंस लेता है. खेतों में काम करने वाले किसानों को इस सांप का सबसे ज्यादा खतरा रहता है.


करैत : यह रात को सोते समय ही यह हमला करता है. यह भारत का सबसे जहरीला सांप है. इसके काटने के बाद एक बार में जो जहर निकलता है, उससे 60 से 70 लोगों की मौत हो जाती है. इसकी खासियत यह है कि यह रात के समय सोते हुए लोगों पर ही हमला करता है और वह भी उनके हाथ, पैर, मुंह और सिर पर. इसके काटने के बाद दर्द नहीं होता. नींद में ही मौत हो जाती है. भीलवाड़ा में करैत के हमले के सबसे ज्यादा मामले हैं. यह सांप बेहद पतला और लंबा होता है. काले चटकीले रंग के साथ ही इस पर सफेद गोल लकीर होती है.



सा स्केल : यह सांप भीलवाड़ा के पहाड़ी व ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा देखने को मिलता है. इसकी आक्रामकता दूसरे सांप से सबसे ज्यादा है और जहरीला भी. लंबाई में यह काफी छोटा होता है. भूरे रंग और उस पर काले और सफेद धब्बों के कारण यह काफी खतरनाक दिखता है. यह देश के सबसे गुस्सैल सांपों की श्रेणी में आता है.


कई लोग की हो चुकी हैं मौतें


भीलवाड़ा स्नेक केचर कुलदीप सिंह राणावत ने बताया कि भीलवाड़ा शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश के समय घरों में व अन्य सुरक्षित जगह ढूंढते हैं. इनका रेस्क्यू किया जाता है. अभी मानसून का सीजन है. ऐसे में काफी ज्यादा सांप बाहर आ रहे हैं. रोजाना दो से तीन सांप का रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा जा रहा है. जिले के बागोर क्षेत्र के भादू गांव में भोजा पुत्र कालू गुर्जर बकरियों को लेकर जंगल में चराने गया था. इस क्षेत्र में भी जहरीले सांपों की संख्या बहुत ज्यादा है. भोजा गुर्जर को भी किसी जहरीले सांप ने काट दिया. शाम को वह घर नहीं पहुंचा तो उसके परिजन उसे ढूंढने गए. वह जंगल में मृत हालत में पड़ा था.


जिले में पाए जाते हैं 11 प्रजातियां के सांप 


जिले के गाडरमाल गांव में रहने वाले जमनालाल सालवी को 17 नवंबर 2020 को सुबह 6 बजे खेत में जाते समय कोबरा सांप ने डंस लिया था. जमनालाल को सुबह 8 बजे भीलवाड़ा अस्पताल लाया गया, लेकिन जमनालाल के शरीर में कोबरा का जहर फैल चुका था. न्यूरो सिस्टम काम करना बंद हो गया और उसकी मौत हो गई. भीलवाड़ा में सामान्य तौर पर 11 प्रजातियों के सांप देखने को मिलते हैं, लेकिन इनमें से भी 4 प्रजातियां ऐसी हैं जो देश के सबसे खतरनाक सांप में आती है.


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Reporter-Mohammad Khan