भीलवाड़ा: हौसले बुलंद हों और कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो पहाड़ जैसी मुसीबतें भी बौनी नजर आती हैं. भले आपकी राहों में कितनी ही अड़चने क्यों ना हो, लेकिन मूकाम पाने के लिए रास्ता बना ही लेते हैं. कुछ ऐसा ही जज्बा, जुनून और जोश से भरे देहाड़ी मजदूर ने कर दिखाया है. भीलवाड़ा की कृषि मंडी में बोरी ढोने वाला एक मजदूर जब KBC की हॉट सीट पर पहुंचा तो पूरा शहर खुशी से झूम उठा. 30 साल के युवक ने अपने जीवन में बहुत कुछ खोया, कई बार टूटा.. यहां तक कि उसे ताने भी सुनने को मिले, अपमानित भी होना पड़ा, पर उसने कभी हिम्मत नहीं हारी, कभी हार नहीं मानी. उसने अपनी आंखों में उम्मीद की चमक जगाए रखा. युवा का नाम है मोहसिन. जी हां मैनचेस्टर ऑफ राजस्थान के नाम से मशहूर भीलवाड़ा का मोहसिन खान आज लोगों की जुबां पर हैं. यहां के युवाओं के लिए वह प्रेरणास्त्रोत है. यहां के लिए वह गर्व है..आइकॉन और ब्रांड वैल्यू भी है.     


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गरीब परिवार में पले-बढ़े मोहसिन पिछले कई सालों से कृषि मंडी में बोरियां ढोते हैं. KBC में जाने के लिए मोहसिन 9 साल से लगे हुए थे. बुधवार को एपिसोड प्रकाशित होने के बाद मोहसिन ने अपना अनुभव साझा किया.भीलवाड़ा शहर के भवानी नगर के रहने वाले मोहसिन चार बहनों के इकलौते भाई हैं. 


आर्थिक तंगी के बावजूद नहीं छोड़ी पढ़ाई


मंडी में पिता महबूब मंसूरी को बोरियां ढोते देख ये बड़े हुए हैं. आर्थिक तंगी के बीच मोहसिन ने अपनी पढ़ाई जारी रखी. वो पोस्ट ग्रेजुएट हैं. पिछले 9 साल से सोनी टीवी के पॉपुलर शो KBC में जाने का प्रयास कर रहे थे. आखिरकार KBC के सेट पर अमिताभ बच्चन के सामने उन्हें बैठने में सफलता मिली. 


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300 रुपये कमाने के लिए दिनभर उठाने पड़ते भारी बोझ


मोहसिन कौन बनेगा करोड़पति में कई बार सिलेक्ट हुए पर अलग-अलग पायदान पर आने के बाद रिजेक्ट हो जाते थे. एक महीने पहले उनके पास कौन बनेगा करोड़पति शो से कॉल आया और सिलेक्ट होने की बात बताई. उन्होंने बताया कि दिनभर अगर हमाल को काम मिले तो 400 रुपए तक कमा सकता है.औसत मजदूरी 300 रुपए तक ही होती है. घंटों तक 50 किलोग्राम से भी ज्यादा वजन के कट्टों को उठाकर इधर-उधर करने से पूरा शरीर टूट जाता है. तब जाकर शाम को मजदूरी मिलती है.


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दादा भी मंडी में ढोते थे बोरियां


मंडी में हर दिन काम मिलना संभव नहीं है. जब खरीफ व रबी की फसलों के मंडी में आने का समय होता है, तभी हमालों के लिए सीजन होता है. अभी मंडी में खरीफ की फसल आ रही है. इस कारण मजदूरी भरपूर है. मोहसिन करीब 7 साल से भीलवाड़ा की कृषि मंडी में हमाल (पल्लेदारी) का काम कर रहे हैं. पिता महबूब मंसूरी भी इसी मंडी में बोरियां ढोते हैं. दादा रूस्तम मंसूरी भी यहीं बोरियां ढोते थे.


मोहसिन की सफलता पर शहर को गर्व


हमाल एसोसिएशन के अध्यक्ष शंकरलाल ने बताया कि मोहसिन शुरू से मेहनती लड़का रहा है. बचपन से गरीबी में पला-बढ़ा है. एक हमाल का बेटा KBC के मंच तक पहुंचा, ये भीलवाड़ा के लिए गौरव की बात है. इससे पहले हमाल यही सोचता था कि दिहाड़ी कर वह अपने बच्चों का पेट पाल लेगा. अब हमाल मोहसिन को देखकर अपने बच्चों को भी ऊंचे मुकाम पर देखने का सपना देख रहे हैं. मोहसिन के साथ हमाल का काम करने वाले साथियों ने बताया कि उसने काम के साथ साथ पढ़ाई भी जारी रखी. उसे देखकर काफी खुशी होती है. वह दिन में माल उठाने का काम करता था और रात में पढ़ाई करता था.


REPORTING- DILSHAD KHAN