`नकली चोट-असली नोट` मामले के आरोपियों को सजा, 25-25 हजार का जुर्माना भी लगाया गया
मामले के उजागर होने पर पीजीआईएमएस रोहतक के विशेषज्ञ डॉक्टर्स के बोर्ड ने इस गोरखधंधे में शामिल हिसार के डॉक्टर्स और अस्पतालों द्वारा जारी की गई सैकड़ों मेडिकल रिपोर्ट को फर्जी माना था.
Sadulpur: राजस्थान के बहुचर्चित ''नकली चोट-असली नोट'' मामले में हिसार की कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए पैसे की मोटी रकम लेकर फर्जी मेडिकल रिपोर्ट तैयार करके झूठे मुकदमे में फंसाने के दो आरोपियों का चार-चार साल की कैद की सजा सुनाई है. साथ ही एडीएसजे वीपी सिरोही की अदालत ने दोनों दोषी बलविंद्र और कुलदीप का 25-25 हजार के जुर्माने से भी दंडित किया है.
दोनों दोषी हिसार के नामी मेट्रो अस्पताल के कार्मिक हैं. राजगढ़ के धानोठी निवासी एडवोकेट हरदीपसिंह सुन्दरिया की ओर से दर्ज करवाए गए उक्त बहुचर्चित मामले में 12 साल कानूनी ट्रायल हुआ. जिसमें कुल 94 बार पेशी हुई. इससे पूर्व इसी गोरखधंधे में शामिल कई अन्य सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर्स की भी सजा हो चुकी है.
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गौरतलब है कि साल 2010 के आसपास मेडिकल-हब के नाम से मशहूर हिसार में पैसे की मोटी रकम के बदले में आपसी रंजिश के मामलों में निर्दोष लोगों को झूठे मुकदमों में फंसाने के लिए कई अस्पतालों द्वारा फर्जी मेडिकल रिपोर्ट तैयार की जाती थी. हिसार के आसपास के हांसी,सिवानी,बरवाला,भिवानी,तोशाम सहित राजस्थान के क्षेत्र भी इसके आगोश में थे. राजगढ़,भादरा,पिलानी में भी इन अस्पतालों की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर 307 आईपीसी के संदेहास्पद मुकदमे दर्ज होते थे. मामले के उजागर होने के बाद फर्जी मुकदमों में जेलों में बंद सैकड़ों निर्दोष लोग जेलों से बाहर आए थे.
पीड़ित लोगों की शिकायतों पर फर्जी एमएलआर के गोरखधंधे में शामिल अनेक डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए थे. मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए दोषियों को सजा दिलाने के लिए वर्षों से संघर्षरत क्षेत्र के समाजसेवी एडवोकेट हरदीपसिंह ने बताया, '' न्याय तो मिला है,लेकिन अधूरा. गोरखधंधे में शामिल प्रभावशाली लोगों ने मेरे और मेरे परिवार पर बार-बार हमले करवाए.करोड़ों में खरीदने के ऑफर आए. मैं झुका नहीं लेकिन, खेद है कि उक्त मामले में एक मुख्य सरगना हिसार के नामी मेट्रो अस्पताल का संचालक बच निकलने में सफल हुआ है. जिसकी अग्रिम जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया था. प्रभावशाली आरोपियों के खिलाफ हाई कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी. इसी गोरखधंधे से जुड़े अन्य मामलों में कुछ अन्य डॉक्टर्स को दस-दस वर्ष की सजा हो चुकी है.''
मामले के उजागर होने पर पीजीआईएमएस रोहतक के विशेषज्ञ डॉक्टर्स के बोर्ड ने इस गोरखधंधे में शामिल हिसार के डॉक्टर्स और अस्पतालों द्वारा जारी की गई सैकड़ों मेडिकल रिपोर्ट को फर्जी माना था. हिसार के विभिन्न अस्पतालों के 16 डॉक्टरों पर फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाने के केस दर्ज हुए थे. एडवोकेट हरदीपसिंह की ओर से हरियाणा हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर रिटायर्ड जस्टिस ने मामले की जांच की थी और मामले को गंभीर मानते हुए सरकार से इस पर लगाम लगाने को कहा था.
हरियाणा सरकार ने स्थायी जारी करते हुए प्रदेश के किसी भी प्राइवेट अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट को अमान्य घोषित कर दिए था. गोरखधंधे में शामिल लोग पूरी विषेग्यता के साथ व्यक्ति के सिर में हेलमेट पहनाकर 0.5 एमएम का घाव करके सिर की पैराटल बोन को तोड़कर ऑप्रेशन कर डेंजर टू लाइफ का ओपिनियन देकर निर्दोष लोगों को झूठी 307 आईपीसी के मुकदमों में फंसाते थे.
Report-Gopal Kanwar