Bikaner: किसानों की परेशानी बढ़ने की कगार पर, बरसात न होने से अकाल की चिंता
किसान और परेशानी का लगता है चोली-दामन का साथ है. कभी बारिश की कमी तो कभी नहरों में सिंचाई पानी की कमी तो कभी ओलावृष्टि से किसान को हमेशा रूबरू होना पड़ता है.
Bikaner: राजस्थान के बीकानेर (Bikaner News) जिले में किसानों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही है. सिंचाई के लिए नहरों में कम पानी के बाद अब जिले में कम हुई बरसात से किसानों को अकाल की चिंता सताने लगी है. पानी और बिजली की समस्या के चलते जिले में इस बार बुवाई भी कम हेक्टर में हुई है.
वहीं, ऐसे में यदि समय पर बारिश नहीं होती तो किसानों की समस्याएं और बढ़ जाएगी. कर्ज लेकर खेती करने वाले किसानों को अब अकाल की आशंका और उन्हें परेशान कर रखा है.
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कभी बारिश की कमी तो कभी नहरों में पानी की कमी
किसान और परेशानी का लगता है चोली-दामन का साथ है. कभी बारिश की कमी तो कभी नहरों में सिंचाई पानी की कमी तो कभी ओलावृष्टि से किसान को हमेशा रूबरू होना पड़ता है. अपने खून-पसीने से परिवार के बच्चे की तरह फसल को परवरिश करने वाला किसान जब इन आपदाओं से अपनी आंखों के आगे फसल को खराब होते हुए देखता है तो खून के आंसू रोने के अलावा उसके पास कुछ भी नहीं बचता. ऐसा लगता है कि कभी राम तो कभी राजा रूठ कर किसान को हमेशा गर्दिश में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं.
पिछली बार की तुलना में कम बारिश
वहीं, अकाल की काली छाया जिले पर पूरी तरह से मंडरा रही है. बारिश को लेकर सरकारी आंकड़े चाहे कुछ भी बता रहे हो लेकिन जिले में ऐसा कोई गांव या ढ़ाणी नहीं है, जहां पर फसलें लहलहा रही हो. बीकानेर में बारिश का औसत 172 सेमी है. इस बार 152 सेमी बारिश हो गई जो पिछली बार की तुलना में 20 मिली लीटर कम है.
दस लाख हेक्टर में बिजाई हुई कम
बारिश की कमी के चलते इस बार दस लाख हेक्टर में बिजाई कम हुई है. बिजाई के आंकड़े पर गौर करें तो पिछले साल 15 लाख हेक्टर में मूंगफली, मोठ, ग्वार, बाजरा, नरमा, तिल और अन्य फसली बिजाई हुई जबकि इस बार यह आंकड़ा पांच लाख चार हजार सात सौ 63 हेक्टेयर में ही सिमट गया है. इनमें भी चार लाख हेक्टर सिंचित क्षेत्र है तो बरौनी क्षेत्र में मात्र एक लाख हेक्टर में ही बिजाई हुई है. लगातार नहरों में सिंचाई पानी की कमी और बिजली कटौती के कारण सिंचित क्षेत्र की भी 50 प्रतिशत फसलें पीली पड़ गई है.
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50% फसलें जलने की कगार पर
इधर, जिले में उपखंड स्तर की बात करें नोखा क्षेत्र में 35 प्रतिशत बिजाई नहीं हुई है. जो हुई है उसको की 50 प्रतिशत फसलें जलने के कगार पर आ गई है. तो वही कोलायत क्षेत्र के 1400 किसानों के करोड़ों रुपये दांव पर लग गए हैं. अगर यहां बारिश नहीं हुई तो प्रति किसान को करीब 3 लाख का नुकसान उठाना पड़ेगा. वहीं अगर पूगल लूणकरणसर डूंगरगढ़ और खाजूवाला की बात करें तो हालात वहीं है, जो अन्य उपखंड क्षेत्र में बने हुए हैं.
किसानों के लिए आर्थिक मदद
किसान अनिल धतरवाल (Anil Dhatarwal) और प्रशांत विश्नोई (Prashant Vishnoi) बताते हैं कि सिंचाई पानी की कमी वह बारिश की कमी के चलते पहले से ही खेतों में 30 प्रतिशत किया गया, जो भी बिजान किया गया है वह भी पूरी तरह से नष्ट होने के कगार पर आ गया है. उन्होंने सरकार से मांग की बीकानेर के क्षेत्र को अकाल घोषित किया जाए, जिससे किसानों को आर्थिक मदद मिल सके.
रिपोर्टर- त्रिभुवन रंगा