Bikaner : पूरे देश भर में सावन महीने को लेकर भगवान शिव (Lord Shiva) की धूम मची हुई है. मन्दिर से लेकर घर-घर में लोग भगवान शिव की पूजा (Lord Shiva Temple) आराधना में लगे हैं. मगर बीकानेर (Bikaner) में एक ऐसी जगह है जहां पवित्र स्थान, नदियों, तालाबों से मिट्टी लाकर सवा लाख पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर रहे हैं. बाद में इन शिवलिगों को विधिवत पुजा अर्चना कर उस शिवलिंग को नदी व तलाबों में प्रवहित करेंगे, ताकि पर्यावरण (Eco Friendly Environment) को भी नुकसान ना हो.


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शिव और सावन का एक अनोखा संगम है सावन. सावन मास के आते ही भक्त भगवान शिव को रिझाने के लिए अलग-अलग तरह से तपस्या या भक्ति करते हैं, शिवालयों में जलाभिषेक रुद्राभिषेक सहित कई तरह के श्रृंगार के साथ पूजा करते हुए देखा होगा, लेकिन इस खबर में हम आपको एक शिव के ऐसे दर्शन कराने जा रहे हैं जो शायद आपने पहले कहीं नहीं देखा हो यहां सावन मास में सवा लाख पार्थिव शिवलिंग तैयार किए जाते हैं. रोजाना 5 हजार शिवलिंग तैयार किए जाते हैं. 


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सवा लाख पार्थिव शिवलिंग वह भी पूरे विधि विधान से प्रत्येक शिवलिंग को मंत्रोचार द्वारा तैयार किया जाता है. उसके बाद उस पर अक्षत लगाकर अलग-अलग सिंगार से सुशोभित किया जाता है. रोजाना करीब 5 हजार की संख्या में शिवलिंग तैयार किए जाते हैं. जिन्हें इस तरह सजाया जाता है कि शाम होते होते वह किसी विशेष धार्मिक स्थान पर बनी मूर्ति का स्वरूप ले लेते हैं.


सवा लाख पार्थिव शिव के निर्माण के लिए तैयारियां कई महीने पूर्व शुरू की जाती है. प्रदेश के सात पवित्र सरोवर की मिट्टी, बिल्वपत्र की जड़, बड़ की जड़, व पीपल की छाल सहित औषधीय पौधों को मुहूर्त के अनुसार एकत्रित किया जाता है. उसके बाद सावन के पहले दिन विधि विधान से सभी वस्तुओं का मंत्रोचार द्वारा पूजा अर्चना कर उनका शुद्धिकरण किया जाता है. उसके बाद सभी को आपस में गुदकर शिवलिंग के लिए मिट्टी का निर्माण किया जाता है.


क्या कहते हैं पंडित
पंडित संत श्री कहते हैं कि सावन मास के पावन अवसर पर पार्थिव सवा लाख शिवलिंग का निर्माण एक विशेष साधना है इसके लिए अलग-अलग स्थानों से मिट्टी व औषधीय पौधों की मिट्टी को मिलाया जाता है. साथ ही प्रत्येक शिवलिंग के निर्माण पर चार बार शिव पंचाक्षर ओम नमः शिवाय का जाप किया जाता है. सवा लाख शिव के निर्माण होने तक 5 लाख शिव पंचाक्षर का जाप किया जाता है. इस बार विश्व में फैली कोरोना महामारी से मुक्ति के लिए भगवान शिव को अरदास की जा रही है कि जल्दी पूरा विश्व इस महामारी से मुक्त हो.


भगवान राम ने किया था पार्थिव शिवलिंग का निर्माण
पार्थिव शिवलिंग का क्या महत्व है इस पर पंडित श्यामसुंदर कहते हैं कि पार्थिव शिवलिंग का निर्माण मां पार्वती ने भगवान शिव को खुश करने के लिए किया. वहीं, राम प्रभु ने रामेश्वर (Rameshwar Temple) में पार्थिव शिवलिंग स्थापित कर लंका पर विजय की कामना के लिए कीया था. सावन मास में पार्थिव शिवलिंग का पूजन करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं.


कहते हैं भक्ति में शक्ति है और सावन मास पर हर भक्त भगवान शिव से अपनी अपनी तरह की पूजा पाठ कर उन्हें खुश करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन सब का उद्देश्य एक है कि विश्व में शांति हो आपसी भाईचारा हो और और कोरोना की फैली इस महामारी से सभी को मुक्ति मिले.


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