Bikaner News: जोड़बीड में विदेशी मेहमानों का दिलकश नज़ारा, सर्दी शुरू होते ही आने शुरू हुए प्रवासी वल्चर, हज़ारों की तादात में नज़र आए विदेशी गिद्ध, पश्चिमी भारत का सबसे बड़ा गिद्ध अभ्यारण्य, मंगोलिया, चीन, तिब्बत, साइबेरिया, मध्य एशिया और यूरोप से आते हैं गिद्ध. जोधपुर के जोड़बीड में विदेशी मेहमानों का दिलकश नजारा देखने को मिल रहा है। सर्दी की शुरुआत के साथ ही प्रवासी वल्चर यहां आने शुरू हो गए हैं। हजारों की तादाद में विदेशी गिद्ध यहां नजर आ रहे हैं। जोधपुर का जोड़बीड पश्चिमी भारत का सबसे बड़ा गिद्ध अभ्यारण्य है, जहां मंगोलिया, चीन, तिब्बत, साइबेरिया, मध्य एशिया और यूरोप से गिद्ध आते हैं.

 


 

पश्चिम भारत में गिद्दों के सबसे बड़ा आश्रय स्थल बीकानेर के जोड़बीड़ में स्थित है. सर्दियाँ शुरू होते ही विदेशी जाति के गिद्दों का हज़ारों की तादात में यहाँ आना शुरू हो जाता है. इस साल भी विदेशी वलचर्स का दिखना शुरू हो गया है. सर्दी का मौसम शुरू होने के साथ ही मध्य एशियाई देशों से विभिन्न प्रजाति के गिद्ध और दूसरे कई शिकारी पक्षी यहाँ डेरा डालना शुरू कर देते हैं और बड़ा ही ख़ूबसूरत मन्ज़र बना देते हैं, जो नए साल में आने तक एक दिलकश नज़ारे में तब्दील हो जाता है. इन दिनों यहाँ मंगोलिया, चीन, तिब्बत, साइबेरिया, मध्य एशिया और यूरोप के कई इलाक़ों से विभिन्न प्रजातियों के गिद्ध आ चुके हैं. ये गिद्ध अपने शीतकालीन प्रवास के लिए हर साल यहाँ आते हैं.

 

बीकानेर के जोड़बीड़ में कंजर्वेशन रिजर्व बना हुआ है, जो तक़रीबन 56 स्क्वायर किलोमीटर में फैला है. इन दिनों यहाँ विदेशों से गिद्ध आना शुरू हो चुके हैं. इनमें में यूरेशियन ग्रीफन, हिमालियन ग्रीफन, सिनेरियस और इजिप्शियन गिद्ध शामिल हैं. इन प्रवासी गिद्धों में भी वयस्क, अवयस्क और जुवीनाइल गिद्ध प्रवास पर आए हुए हैं. भोजन की उपलब्धता और संरक्षण की वजह से यहां गिद्दों का आगमन सर्वाधिक मात्रा में होता है.

 


 

गिद्धों के अलावा भी यहाँ अन्य शिकारी पक्षियों का भी आना शुरू हुआ है. यहां स्टेपी ईगल, ट्वानी ईगल, हैरियर्स, हॉक्स एवं शिक्रा की कई प्रजातियां भी एक साथ देखी गई हैं. मगर मुख्य रूप से यहाँ विभिन्न प्रजातियों के गिद्ध ही प्रवास करते हैं, जो सर्दी शुरू होने पर आते हैं और मार्च तक यहाँ बड़ी संख्या में रहते हैं. भोजन की प्रचुरता के कारण ये सभी विभिन्न प्रजातियों के गिद्ध यहाँ जोड़बीड़ और इसके आसपास के इलाक़ों में ही रहते हैं. अप्रेल माह की शुरूआत में ये विदेशी गिद्ध स्वेदश लौट जाते हैं.

 

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