Bikaner: पूरी दुनिया में आतंकवाद के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए भारत-ओमान की सेना के जवान महाजन फिल्ड फायरिंग रेंज में संयुक्त युद्धाभ्यास किया, जहां पिछले 13 दिन तक चले इस साझा युद्धाभ्यास में ओमान के 60 सुल्तान जवानों की विशेष टुकड़ी ने भारतीय सेना के साथ हिस्सा लिया है. 


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जहां ओमान की ओमान पैराशूट रेजिमेंट और भारत की 18 मैकेनाइज्ड इंफेंट्री बटालियन के सैनिकों ने इसमें हिस्सा लिया है. वहीं युद्धाभ्यास के दौरान राजस्थान के महाजन फिल्ड फायरिंग रेंज में दोनों देशों के जांबाज सेनिकों ने आतंकवाद से निपटने के युद्ध कौशल का बेहतरीन प्रदर्शन किया और आतंकवादियों को उनके ठिकनों पर चुन-चुनकर मार गिराया है.



भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से दूर रेतीले धोरों के बीच भारतीय और ओमान की सेना के जवान दिन रात लगातार पिछले 13 दिनों तक दुश्मनों के ठिकानों पर कब्जा करने की रणनीति का अभ्यास किया है, जहां देश के सबसे बड़े महाजन के फील्ड फायरिंग रेंज में सेना के इस युद्धाभ्यास को 'अल नजाह ' नाम दिया गया, जिसमें सेना के सैंकड़ों जवानों ने ओमान सेना के साथ संयुक्त भाग लिया है, जिसके तहत सेना की प्रहार क्षमता का प्रदर्शन किया गया. वहीं 1 से 13 अगस्त तक विदेशी प्रशिक्षण नोड अभ्यास का ये फोर्थ एडिशन है.


ऑपरेशन अल नजाह के तहत दोनों देशों के जवानों ने काल्पनिक गांव में साझा कार्रवाई करते हुए अत्याधुनिक तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल किया और ग्रामीणों को आतंकवादियों के चंगुल से मुक्त करवाया है. इस ऑपरेशन के दौरान दोनों देशों की सेनाओं ने अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ना केवल आतंकवादियों को मार गिराया बल्कि एक आतंकी को जिंदा भी पकड़ा है. करीब डेढ़ घंटे तक चले युद्धाभ्यास के इस डेमोस्ट्रेशन ने दोनों देशों की सेनाओं ने एक दूसरे के साथ बेहतरीन तालमेल दिखाते हुए कामयाबी हासिल की है.



बीकानेर के महाजन फिल्ड फायरिंग रेंज में यूं तो पहले भी कई बार सेना की तोपे और बंदूके गरज चुकी है लेकिन पिछले 13 दिनों से यहां चल रहा युद्दभ्यास कई मायनों में खास हैं. खास इसलिए कि यहां ना केवल सेना के जवान अपनी युद्द कला को निखार रहे हैं बल्कि आतंकवाद जैसे क्षेत्र वाले माहौल में कई बख्तरबंद वाहनों, तोपों और सैनिकों को उच्च स्तरीय ऑपरेशन सिखाया जा रहा गया. जोश, साहस से लैस ये जवान आधुनिक हथियारों से यहां युद्दभ्यास कर सामूहिक ताकत को दिखाने की कोशिश की है.


वहीं मौसम के हर मशकलात में भी यह अभ्यास कर दुश्मन को अपनी ताकत के वाकिफ कराया गया जिससे यह सन्देश दिया जा सके कि यदि दुश्मन ने हिन्दुस्तान की सीमा की ओर आंख उठाकर भी देखने की कोशिश की तो किस तरह हमारे जाबांज उसकी आंख ही निकाल लेने की ताकत रखते हैं. इस अभ्यास में सेना की उस क्षमताओं को परखा गया, जिसमें सेना की मदद से ''पहले हमला करने और फिर निरंतरता बनाए रखने'' की अत्यंत आक्रामक कौशल शामिल है. 


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इसमें सेना के जवानों का खास बेड़ा भी शामिल थे जिससे जरुरत पड़ने पर सेना के तीनों अंगों के सैनिक साथ मिलकर अपने ओपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे सके. इसके लिए एक काल्पनिक गांव युद्द क्षेत्र बनाया गया जहां पूरे ओपेरशन को अंजाम दिया गया. युद्दभ्यास का मकसद सक्रिय युद्ध रणनीति के तहत पूरी ताकत से पाकिस्तान से लगती सीमा पर परंपरागत हमला करने के कौशल को और निखारना है जिससे युद्ध की स्थिति में दुश्मनों के छक्के छूट जाए. खास तौर पर उन्हें इसमें शमिल किया गया जो की आगे रहकर युद्द को किसी अंजाम तक पहुंचाने का रास्ता बनाते हैं.


वहीं भारतीय थल सेना द्वारा समय-समय पर विभिन्न स्तरों पर इस तरह के युद्धाभ्यास का आयोजन किया जाता रहता है, ऐसे आयोजनों से यह सुनिश्चित किया जाता है कि लडाई में ऐसी स्थिति प्रदान की जाए जिससे सेना लडाई के लिए सदैव तैयार रहे. इस श्रृंखला का अभ्यास संस्करण मस्कट में वर्ष 2019 में किया गया था. इस युद्धाभ्यास के अंतिम दिन वीरों ने हेलीकॉप्टर से रस्सी के जरिए नीचे उतरे, जहां भारत-ओमान की सेनाओं ने संयुक्त रूप से एक मकान में छिपे आतंकियों का खात्मा किया. 


वहीं दूसरे मकान में बंधक बनाए गए लोगों को भी आर्मी के जवानों ने रेस्क्यू किया है. इस दौरान ब्रिगेडियर जितेश रेली ने कहा कि भारतीय सेना के वीर जवानों और ओमान के सुल्तान की शाही सेना के जवानों ने संयुक्त युद्धाभ्यास कर अपना दमखम दिखाया है. साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे युद्धाभ्यासों से दो देशों की सेनाओं की आपसी समझ और सहयोग की भावना बढ़ती है. इस अभ्यास के दौरान आधुनिक टैंक और हथियारों की प्रदर्शनी लगाई गई.


Reporter: Rounak vyas


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