Khajuwala: सावन महीने में चारों ओर लगातार अच्छी बारिश हो रही है. इसके चलते डैम में पानी की आवक बढ़ने और नहरों के पानी का सिंचाई के लिए कम खपत होने के कारण मुख्य इन्दिरा गांधी नहर परियोजना में पानी का दबाव बढ़ गया है. दबाव को लेकर छतरगढ़ तहसील क्षेत्र सूरतगढ़ रोड स्थित आरडी 507 हेड नजदीकी घेघड़ा झील में सिंचाई विभाग छतरगढ़़ द्वारा पानी प्रवाहित किया गया है. 


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इससे दो साल से सूखी पड़ी घेघड़ा झील का पुराना स्वरूप लौट आया है. झील में पानी आने से आसपास के खेतों के किसानों को तो सीधा फायदा मिलेगा ही, साथ ही पशु पक्षी भी बसेरा कर सकेंगे. झील में पानी बढ़ने के साथ विदेशी पक्षियों की करीबन दो साल बाद के बाद फिर से कलरव सुनाई देगी.


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घेघड़ा झील में पानी छोड़ने के कारण छतरगढ़ एवं घड़साना टिब्बा क्षेत्र के रोजड़ी क्षेत्र की नहर आरजेडी के सैकड़ों नलकूप रिचार्ज होंगे. इससे आगामी रबी की फसल भी अच्छी होगी. झील में रेगुलेशन विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार लगभग 500-600 क्यूसेक पानी प्रवाहित किया गया है. 
आरडी 507 हेड पर जागरुक किसान किशोर जाखड़ ने बताया कि घेघड़ा झील में वर्ष 2020 में मुख्य इन्दिरा नहर की आरडी 507 हेड से पानी प्रवाहित किया गया था. तब पानी की मात्रा कम होने के कारण अधिक समय तक जल स्तर नहीं रहा. पिछले दो सालों से डेम में कम पानी होने के कारण एक बूंद भी पानी झील में प्रवाहित नहीं किया गया. इस कारण 18 वर्ग किलोमीटर में फैली झील के इलाके में रहने वाले वन्य जीव तथा पशु पक्षियों को आशियाना छोड़ना पड़ा था, जिस कारण झील इलाके में रहने वाली नील गाय प्यास बुझाने के लिए इन्दिरा गांधी नहर की आरडी 507 हेड (एक केएम) के इर्द-गिर्द आए.


आगामी फसलों में किसानों को मिलेगा फायदा
घेघड़ा झील में दो साल बाद प्रवाहित किए गए पानी से किसानों को आगामी फसल की बुवाई एवं पकाव की आस बंधी है. रोजड़ी माइनर, मीरगढ़ माइनर, आरएसएम, आरजेएम, एआरएम अधीन हजारों क्षेत्र के किसानों के नलकूप रिचार्ज हो सकेंगें. इससे संसारदेसर के सैकड़ों किसानों के नलकूप पर आधारित खेती के कारण किसानों आगामी फसलों में अच्छा गेहूं, सरसों, चना आदि की प्रमुख फसल की समय पर बुवाई कर अच्छा उत्पादन ले सकेंगे.


घेघड़ा झील में पानी से विदेशी पक्षियों का अक्टूबर से शुरू होगा जमावड़ा
वन विभाग के जयसिंह भाटी ने बताया कि झील में पानी आने पर अमूमन एक दर्जन प्रजातियों के पक्षी यहां कलवल करते हैं. विदेशी पक्षियों की सुमार में ग्रिफोन, सिनेरियम, यूरेशियन, इंजीप्शियन, रेड हेडेड, लॉग बिल्ड, व्हाइट बैक्ड वल्चर, एंपीरियल सैड, कोमोरेड मालार्ड टील, ग्रीन लैंड, ग्रे हैरान, वाटर क्रो, आदि प्रजाति के हजारों की तादाद में पक्षी डेरा डालते हैं. 


यह पक्षी मध्य एशिया, यूरोप, तिब्बत सहित अन्य देशों से हजारों मील का सफर कर डेरा डालने आते हैं. विदेशी पक्षी अक्टूबर से आगमन करते हैं. मौसम अनुकूल रहने के कारण फरवरी माह तक घेघड़ा झील के दूर-दूर एरिया में पक्षियों की कलरव सुनाई देगी.


Reporter- Tribhuvan Ranga


 


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