Chittorgarh: भादसोड़ा कस्बे में बुधवार के दिन सवेरे से महिलाओं गली मोहल्लों में आज घर घर के बाहर बालिकाएं व महिलाएं गोबर का ओघड़ा बनाकर गन्ना लगाकर विधिवत पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की. जौशना उपाध्याय ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रज में पूजन कार्यक्रम चल रहा था. सभी ब्रजवासी पूजन कार्यक्रम की तैयारियों में जुटे हुए थे. भगवान श्रीकृष्ण ये सब देखकर व्याकुल हो जाते हैं और अपनी माता यशोदा से पूछते हैं- मैया, ये सब ब्रजवासी आज किसकी पूजा की तैयार में लगे हैं. तब यशोदा माता ने बताया कि ये सब इंद्र देव की पूजा की तैयारी कर रहे हैं.


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तब श्रीकृष्ण फिर से पूछते हैं कि इंद्र देव की पूजा क्यों करेंगे.तो यशोदा बताती हैं कि इंद्र देव वर्षा करते हैं और उस वर्षा की वजह से अन्न की पैदावार अच्छी होती है.जिससे हमारी गाय के लिए चारा उपलब्ध होता है. श्रीकृष्ण ने कहा कि इंद्रदेव का वर्षा करना कर्तव्य है.इसलिए उनकी पूजा की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए. क्योंकि गोवर्धन पर्वत पर गायें चरती हैं.


इसके बाद सभी ब्रजवासी इंद्रदेव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे. इससे इंद्रदेव नाराज हो गए और क्रोध में आकर मूसलाधार बारिश करने लगे. जिस वजह से हर तरफ कोहराम मच गया.सभी ब्रजवासी अपने पशुओं की सुरक्षा के लिए भागने लगे. तब श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का अहंकार तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया. सभी ब्रजवासियों ने पर्वत के लिए शरण ली. जिसके बाद इंद्रदेव को अपनी गलती का अहसास हुआ. उन्होंने श्रीकृष्ण से मांफी मांगी.इसके बाद से गोवर्धन पर्वत की पूजा की परंपरा शुरू हुई. इस पर्व में अन्नकूट यानी अन्न और गौवंश की पूजा का बहुत महत्व है.


Reporter- Deepak Goyal


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