राजस्थान के इस जिले में भू-माफिया ने हथिया ली नरसिंह भगवान की जमीन,थाने पहुंचे लोग
Nimbahera News: राजस्थान के चितौड़गढ़ जिले के निम्बाहेड़ा उपखण्ड क्षेत्र में 100 साल पहले से मौजूद नरसिंह भगवान के मंदिर की भूमि को भू-माफियाओं ने तहसीलदार और पटवारी से गठजोड़ से अपने नाम करवा लिया. जिसकी शिकायत की गई है.
Nimbahera, Chittorgarh: राजस्थान के चितौड़गढ़ जिले के निम्बाहेड़ा उपखण्ड क्षेत्र में कनेरा गांव को धर्म नगरी के नाम से जाना जाता है. कनेरा गांव में 100 साल पहले नरसिंह भगवान के मंदिर की भूमि थी. जहां प्राचीन बावड़िया और मंदिर हुआ करते थे. लेकिन भू-माफियाओं ने उस जमीन खुर्द-बुर्द कर तहसीलदार और पटवारी से गठजोड़ से भगवान की भूमि को अपने नाम करवा लिया गया.
इसकी जानकारी तब हुई जब संत समाज और ग्रामीण और पुजारी नरसिंह भगवान के मंदिर को बनाने के लिए पूजा करने गए. आरोप है कि भूमाफिया सुरेश काबरा अपने साथियों के साथ पहुंचा और मंदिर की भूमि पर लगे भगवा ध्वज और उस पर लगे बोर्ड को उखाड़ कर जमीन पर पटक कर भगवान और भगवा ध्वज का अपमान किया. जिसे हिन्दू सघठनों और साधु संतो में रोष है . भगवा ध्वज के अपमान के खिलाफ आक्रोशित साधु-संत और ग्रामीणों ने कनेरा थाने पर जाकर प्रदर्शन कर भू-माफिया की गिरफ्तारी की माग की.
भगवा ध्वज भारत का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक ध्वज है, जो भारतीय संस्कृति का शाश्वत सर्वमान्य प्रतीक है. यही ध्वज सभी मंदिरों, आश्रमों में लगाया जाता है. महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना का यही ध्वज था. भगवान राम, भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के रथों पर यही ध्वज लहराता था. यह धर्म ध्वजा है. जिसका सम्मान प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए. लेकिन चितौड़गढ़ जिले के कनेरा घाटा गांव में भगवा ध्वज का अपमान हुआ है. बता दें कि कनेरा गांव का यह मंदिर करीब 100 सालों से भी अधिक प्राचीन बताया जा है. ग्रामीणों द्वारा संतों के सानिध्य में इस मंदिर की भूमि पर जब आज भगवा ध्वज लगाया गया. और नरसिंह भगवान की तस्वीर लगा बोर्ड लगाया गया.
उसके चंद मिनटों बाद ही एक व्यक्ति ने भगवान की तस्वीर लगा बोर्ड और भगवा ध्वज का अपमान करते हुए गिरा दिया. जो उक्त भूमि को अपना बता रहा है. मौके पर यहा गांव के कई बुजुर्गों भी मौजूद थे. ग्रामीणों का कहना है कि यहां नरसिंह भगवान का मंदिर था, पुरानी बावड़िया थी, पेड़ थे, लेकिन भूमाफियाओं ने अपना कब्जा कर अपने नाम कर लिया. उक्त व्यक्ति का कहना है की दो साल पहले उसने इस भूमि को खरीदी है. लेकिन अब सवाल यह उठता है की किस प्रकार भगवान की इस भूमि को किसी की निजी खातेदारी में आखिरकार कैसे चढ़ा दिया गया. और इसमें किन-किन भूमाफियाओं और दलालों का हाथ रहा है.
Reporter- Deepak Vyas
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