बड़ी सादड़ी में अफीम किसानों ने सम्मेलन कर CPS पद्धति के विरोध में दिखाई एकजुटता
केंद्र सरकार द्वारा सभी किसानों की मांग पूरी करने के बजाय इन किसानों को एक नए पेज़ में फंसा दिया है और उन्हें सीपीएस पद्धति नाम से नया नियम लागू कर उन्हें पिछले साल लगभग दस हजार और इस साल लगभग पंद्रह हजार किसानों को पट्टे जारी कर दिए हैं, जिससे किसानों के घाव पर मानों सरकार ने जले पर नमक छिड़कने का काम कर दिया हो.
Bari Sadri: यों तो राजस्थान और मध्यप्रदेश के लगभग डेढ़ लाख किसान पिछले तेरह सालों से अपने अफीम खेती के पट्टे वापस लेने के लिए धरना प्रदर्शन कर पट्टे बहाली की मांग करते आ रहे हैं.
केंद्र सरकार द्वारा सभी किसानों की मांग पूरी करने के बजाय इन किसानों को एक नए पेज़ में फंसा दिया है और उन्हें सीपीएस पद्धति नाम से नया नियम लागू कर उन्हें पिछले साल लगभग दस हजार और इस साल लगभग पंद्रह हजार किसानों को पट्टे जारी कर दिए हैं, जिससे किसानों के घाव पर मानों सरकार ने जले पर नमक छिड़कने का काम कर दिया हो.
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अफीम किसानों के अनुसार सीपीएस पद्धति में किसानों को लागत मूल्य की वसूली तो नहीं हो पा रही, उल्टा किसानों को आधे से कम लागत मूल्य की भरपाई नहीं होने से नुकसान उठाना पड़ रहा है. सीपीएस पद्धति पर बात करें तो इसमें सरकार किसानों को चीरा लगाने की अनुमति ना देकर अफीम के डोडों को सीधा कंपनी के द्वारा ले जाया जाएगा और उसमें से पोस्त निकालने की प्रक्रिया इतनी जटिल और महंगी है कि पोस्त दानों की लागत से अधिक उसकी मजदूरी में खर्च हो जाता है.
उधर मार्फिन की आड़ में अफीम पट्टों को काटने का भी विरोध अफीम किसानों द्वारा किया जा रहा है. किसानों का कहना है कि अफीम खेती में मार्फिन का स्तर प्रकृति पर निर्भर करता है ना कि किसान पर. तो फिर मार्फिन के नाम पर सरकार अफीम पट्टे कैसे काट सकती है?
अफीम किसानों का एक विशाल सम्मेलन आयोजित
इन्हीं मांगों को लेकर रविवार को बड़ीसादड़ी में स्थित शिकार बाड़ी रिसॉर्ट में राजस्थान मध्य प्रदेश के सैकड़ों अफीम किसानों का एक विशाल सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें मुख्यतया सीपीएस पद्धति को रद्द करने, वर्ष 1998 से किसी भी कारण से किसानों के कटे हुए अफीम पट्टों को पुनः बहाल करने की मांग केंद्र सरकार से की गई. सम्मेलन के बाद प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति के बैनर तले अफीम किसानों के नेताओं ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए राजस्थान मध्य प्रदेश के एक लाख साठ हजार किसानों के लिए आवाज उठाने की बात कही.
क्या बोले समिति के संरक्षक मांगीलाल बिलोट
भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए समिति के संरक्षक मांगीलाल बिलोट ने कहा कि राजस्थान मध्य प्रदेश के अफीम खेती से जुड़े वर्ष 1997-98 से 2022 तक अफीम खेती कर चुके हैं, जिन किसानों के पट्टे केंद्र सरकार द्वारा काटे गए हैं. उन सभी किसानों को बिना किसी भेदभाव के समान आरी में लुवाई चिराई के अधिकार के साथ अफीम पट्टे बहाल किए जाए.
मांगीलाल बिलोट ने कहा कि अफीम किसान मार्फिन के बारे में नहीं जानते और अफीम खेती में मार्फिन किसान के हाथों में नहीं होती बल्कि वह तो प्रकृति पर निर्भर होती है लेकिन मार्फिन की आड़ में केंद्र सरकार ने वर्तमान अफीम नीति वर्ष 2022- 23 को अपारदर्शी, अव्यवहारिक और भ्रष्टाचार युक्त बनाकर लागू कर दिया है और सरकार की ऐसी ही अपारदर्शी अफीम खेती की नीतियों की आड़ में अधिकारी पिछले वर्षों से भोले भाले, कम पढ़े लिखे बुजुर्ग किसानों से हजारों, लाखों रुपए से लूट चुके है लेकिन अब लूट बर्दाश्त की सीमा से बाहर है.
उन्होंने मांग करते हुए कहा है कि अफीम नीति वर्ष 2022-23 संशोधन किया जाए और सीपीएम पद्धति को खत्म किया जाए. उन्होंने कहा कि सीपीएस पद्धति की मांग कभी भी किसानों ने नहीं की थी लेकिन अफीम किसानों का मनोबल तोड़ने के लिए केंद्र सरकार पुराने पट्टों की बहाली के बजाय सीपीएस पद्धति में उन किसानों को पट्टे जारी कर रही हैं, जिन्होंने पहले जीवन में कभी अफीम खेती का प्रारम्भिक अनुभव तक नहीं लिया है.
अफीम पट्टों को बहाल करने की मांग
सम्मेलन में सभी अफीम किसानों ने पिछले वर्ष मार्फिन की आड़ में लुवाई चिराई के पट्टों को सीपीएस पद्धति में डाले गए सभी अफीम किसानों के पट्टों को पुनः लुवाई चिराई के अफीम पट्टे देने की मांग की है. साथ ही वर्ष 1998 से अब तक काटे गए सभी अफीम पट्टों को बहाल करने की मांग भी प्रमुखता से की गई. अफीम किसानों की मांग अनुसार केंद्र सरकार, अफीम नीति वर्ष 2022-23 को संशोधित कर किसानों की पांच सूत्री मांगों को उनके ज्ञापन के अनुरुप संशोधित कर किसानों के साथ न्याय करें. राजस्थान मध्य प्रदेश के किसानों ने आज शिकार वाड़ी से सीधे बड़ी सादड़ी के उपखंड अधिकारी को पांच सूत्री ज्ञापन प्रेषित कर अतिशीघ्र अफीम की नीति को संशोधित कर किसानों को न्याय दिलाया जाने की मांग की है.
ये लोग रहे मौजूद
सम्मेलन में भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति के संरक्षक मांगीलाल मेघवाल बिलोट, राष्ट्रीय अध्यक्ष नरसिंह दास बैरागी, महासचिव भोपाल सिंह चौहान बादपुर, डूंगला तहसील अध्यक्ष प्रकाश जाट, चित्तौड़गढ़ जिला अध्यक्ष गोपाल टाइगर, रतलाम जिला अध्यक्ष निर्भय राम आंजाना, प्रतापगढ़ जिला अध्यक्ष भंवर लाल डांगी, बड़ी सादड़ी तहसील सचिव किशन लाल जणवा, रतलाम तहसील अध्यक्ष भंवर सिंह गौड, किसान नेता गोवर्धन लाल पहलवान छोटी सादड़ी, वर्दी चंद आंजना, उदयपुर जिला अध्यक्ष लक्ष्मीलाल पुष्करणा, मावली तहसील अध्यक्ष बंसीलाल जनवा, भेरूलाल जटिया चिकसी सहित राजस्थान मध्य प्रदेश के अफीम खेती से जुड़े सभी किसानों ने पत्रकारों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अफीम किसानों के हक की लड़ाई में साथ देने का आग्रह किया.
Reporter- Deepak Vyas