Shardiya Navratri 2024: अनोखा है चित्तौड़गढ़ का जोगणिया माता मंदिर, चोरी के लिए चोर मांगते थे मां से परमिशन
Chittorgarh News: चित्तौड़गढ़ के बेगूं उपखंड क्षेत्र में स्थित मेवाड़ के प्रमुख शक्तिपीठ जोगणिया माता में गुरुवार को घटस्थापना के साथ शारदीय नवरात्रि महोत्सव शुरू हो गया. शारदीय नवरात्रि महोत्सव के अवसर पर यहां आयोजित होने वाले नौ दिवसीय धार्मिक मेले का शुभारंभ बेगूं विधायक डॉ. सुरेश धाकड़ ने संस्थान के अध्यक्ष सत्यनारायण जोशी एवं पदाधिकारी के साथ ध्वजारोहण कर किया.
शक्तिपीठ स्थल जोगणिया माता की ख्याति
चित्तौड़गढ़ जिले के अंतर्गत बेगूं उपखंड क्षेत्र में आने वाले धार्मिक एवं शक्तिपीठ स्थल जोगणिया माता की ख्याति मेवाड़ एवं मालवा के साथ-साथ देशभर में अपार श्रद्धा के रूप में मानी जाती है. नवरात्रि महोत्सव के दौरान यहां नौ दिनों में 8 से 9 लाख श्रद्धालु श्री जोगणिया माता के दर्शन करने पहुंचते हैं, जिनमें ज्यादातर संख्या पैदल यात्रियों की होती है. लाखों श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था के अनुसार यहां जोगणिया माता मंदिर का जीर्णोद्धार भी पिछले दो वर्षों से जारी है. माना जा रहा है कि मंदिर निर्माण पूर्ण होने के साथ ही जोगणिया माता शक्तिपीठ एक प्रमुख तीर्थ एवं देशभर के श्रद्धालुओं की जन आस्था का केंद्र बनेगा.
चमत्कारों को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं
प्राचीन काल से शक्तिपीठ जोगणिया माताजी मंदिर पर पहुंचने वाले श्रद्धालु माता के सम्मुख अपनी मनोकामना रखते हैं, और मन्नत पूरी होने पर यथायोग्य भेंट चढ़ाते हैं. जोगणिया माता मंदिर में हुए चमत्कारों को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि पुराने समय में चोर और डाकू भी जोगणिया माता के दर पर पहुंचकर मन्नत मांगते थे. जोगणिया माता यदि उन्हें पांति के रूप स्वीकृति देती तो ही वे लोग चोरी करने जाते थे. ऐसा भी कहा जाता है कि यहां अनेक लोगों ने अपनी मन्नत पूरी होने पर अपनी जिह्वा तक काट कर माता रानी के चरणों में चढ़ा दी. इसके बाद कुछ ही दिनों में उनके मुंह में फिर से जिव्हा आ जाती.
पेड़ आज भी कई हथकड़ियां लटकी हुई हैं
वहीं आपको बता दें कि जोगणिया माता के प्रति अपार श्रद्धा के चलते कई लोग अपराध छोड़ने का संकल्प लेते हैं. अपराध करने वाले लोग माता के दर पर आते और अपराध छोड़ने का संकल्प लेकर हथकड़ियां चढ़ा कर एक नया जीवन शुरू करते हैं. यही कारण है कि जोगणिया माता के मंदिर में एक पेड़ आज भी कई हथकड़ियां लटकी हुई हैं.
पशुओं की रक्षा करने से माता प्रसन्न होती
प्राचीन काल में जब शिक्षा का अभाव था, तब लोग अज्ञानता वश यहां अपनी मन्नत पूरी होने पर माता के मंदिर के पास पशुओं की बलि चढ़ाया करते थे लेकिन एक समय ऐसा आया शिक्षित लोगों ने यहां पशु बलि के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की. इसी दौरान जैन समाज की साध्वी यश कंवर जी मारासा, जोगणिया माता संस्थान के अध्यक्ष भंवरलाल जोशी एवं क्षेत्र भर के सैकड़ों लोगों ने गांव गांव पहुंचकर जन जागरण चलाया और लोगों को समझाया कि बेजुबान पशुओं की बलि चढ़ाने से माता प्रसन्न नहीं होती बल्कि पशुओं की रक्षा करने से माता प्रसन्न होती है. इस जन जागरण का परिणाम यह हुआ की जोगणिया माता में हमेशा हमेशा के लिए पशु बलि बंद हो गई.
दर्शन करने से देवी के भक्तों के सभी कष्ट दूर होते
पिछले कई सालों से जोगणिया माता के दर पर पैदल चलकर आ रहे एक श्रद्धालु की कारोबार की मन्नत पूरी होने पर इस बार उसने माता रानी के दरबार में 52 फीट ऊंचा धातु से निर्मित त्रिशूल भेंट किया है. लोहे से बने त्रिशूल पर नौ धातु की परत चढ़ाई गई है. त्रिशूल को जल्द ही मंदिर में स्थापित किया जाएगा. बता दें कि अरावली एवं विंध्याचल पर्वतमाला के बीच विराजमान जोगणिया माता के मंदिर की परिक्रमा में 64 जोगणियां देवियों की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, सालभर प्रदेश और अन्य राज्यों के श्रद्धालु जोगणिया माता के दर्शन को आते रहते हैं. मान्यता है कि नौ रात्रि के विशेष नौ दिनों में माता के दर्शन करने से देवी के भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.