Churu news:  कन्या भ्रूण हत्या ने बुराइयों की एक श्रृंखला को जन्म दिया है. पिछले तीन दशकों में बड़े पैमाने पर कन्या भ्रूण हत्या के कुप्रभाव गिरते लिंगानुपात और विवाह योग्य लड़कों के लिए वधुओं की कमी के रूप में सामने आये हैं और आट्टा साट्टा जैसी कु प्रथाओं ने जन्म लिया. कन्या भ्रूण हत्या आमतौर पर मानवता और विशेष रूप से समूची स्त्री जाति के विरुद्ध सबसे जघन्य अपराध है. बेटे की इच्छा परिवार नियोजन के छोटे परिवार की संकल्पना के साथ जुडती है और दहेज़ की प्रथा ने ऐसी स्थिति को जन्म दिया है जहाँ बेटी का जन्म किसी भी कीमत पर रोका जाता है.


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PCPNDT अधिनियम 
कन्या भ्रूण हत्या अभिशाप को रोकने के लिए अब भारत में सख्त कानून है और इसी का नतीजा है की PCPNDT अधिनियम जैसे सख्त कानून के चलते कहीं ना कहीं विगत कुछ वर्षों में कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम लगाई जा सकी है. लेकिन आज भी कुछ आधिकारी ऐसे है जो इतने गंभीर मामले को हल्के में लेते हैं या फिर लापरवाही बढ़ाते हैं, जिसके चलते सोनोग्राफी जैसे मामलों में बड़ा हेर फेर हो रहा है. ऐसा ही सरदारशहर में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, यहां पर सरदारशहर के राजकीय अस्पताल के पीछे स्थित शेखावाटी डायग्नोस्टिक सेंटर में फर्जी तरीके से एक फर्जी डॉक्टर 10 दिनों तक गर्भवती महिलाओं की जिंदगी के साथ खेलता रहा, फर्जी डॉक्टर का फर्जीवाड़ा इतना बड़ा था कि जिसको सुनकर आपका भी सर चकरा जाए.


किसी अन्य डॉक्टर के दस्तावेज चुरा कर ले ली मान्यता
शेखावाटी डायग्नोस्टिक में एक व्यक्ति ने तेलंगाना राज्य में काम कर रहे डॉ प्रवीण कुमार अजमेरा के डॉक्यूमेंट चुराकर फर्जी तरीके से सीएमएचओ को अपने डॉक्यूमेंट बताकर सोनोग्राफी करने की परमिशन ले ली, इसके बाद से लगातार यह फर्जी विय 3 जनवरी से सरदारशहर के ताल मैदान के पीछे स्थित शेखावाटी डायग्नोस्टिक सेंटर में सोनोग्राफी करता रहा, यह खेल कहीं ना कहीं शेखावाटी डायग्नोस्टिक सेंटर और चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की मिली भगत के चलता रहा, क्योंकि सोनोग्राफी को लेकर पीसीपीएनडीटी एक्ट काफी सख्त है, इस एक्ट के तहत डॉक्टर को व्यक्तिगत रूप से चिकित्सा विभाग के अधिकारी के सामने प्रस्तुत होना पड़ता है और अपने डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन करवाना होता है.


फर्जी डॉक्टर कौन था?


ऐसे में किस आधार पर इस फर्जी डॉक्टर को परमिशन दी गई, यह बड़ा सवाल है, और जो शेखावाटी डायग्नोस्टिक सेंटर है उन्होंने बिना किसी जानकारी के कैसे एक फर्जी डॉक्टर को अपने यहां काम पर रखा यह भी बड़ा सवाल उठता है, हालांकि 10 दिनों तक जिस फर्जी डॉक्टर ने अनगिनत सोनोग्राफी की वह फर्जी डॉक्टर कौन था, इसका ना तो चिकित्सा विभाग के अधिकारीयो को पता हैं और ना ही सेंटर चलाने वाले मालिक बता पा रहे हैं, ऐसे में यह बड़ा सवाल उठता है कि जिस डॉक्टर ने यहां काम किया वह कौन था, इसमें कहीं ना कहीं चिकित्सा विभाग के अधिकारियों और सेंटर संचालकों की मनमानी के साथ बड़ा भ्रष्टाचार उजागर होता है.


ऐसे हुआ खुलासा
फर्जी डॉक्टर को 2 जनवरी को सोनोग्राफी करने की परमिशन चिकित्सा विभाग की ओर से मिल गई, जिसके बाद वह लगातार सोनोग्राफी करने लगा लेकिन जब वास्तविक डॉक्टर प्रवीन कुमार अजमेरा का पता लगा तब उन्होंने तुरंत तेलंगाना से चूरू जिला कलेक्टर, सीएमएचओ चूरू व अन्य अधिकारियों को शिकायत की, तब जाकर यह खुलासा हो सका. जब डॉक्टर प्रवीण कुमार अजमेरा की सेंटर संचालक आमीर खान से बात की तो वह भी गोल-गोल जवाब देते हुए नजर आए.



हालांकि अब इस पूरे प्रकरण में कहीं ना कहीं सीएमएचओ सेंटर संचालक को बचाते हुए नजर आ रहे हैं. डॉक्टर प्रवीण कुमार अजमेरा की शिकायत मिलने के बाद आनन फानन में रात के अंधेरे में सोनोग्राफी सेंटर की मशीन को सील कर दिया. जिसकी जानकारी चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने किसी भी मीडिया कर्मी को नहीं दी. चिकित्सा विभाग के अधिकारी अब जांच की बात कर रहे हैं मामले में लीपा पोती कर रहे है. लेकिन अभी तक उनके द्वारा इस फर्जीवाड़ी पर एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई है.


भारत में बहुत सख्त हैं PCPNDT एक्ट
डॉ प्रवीण कुमार अजमेरा ने बताया कि पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है. इसके अनुसार डॉक्टर क्वालिफाइड रहना चाहिए, कम से कम एमबीबीएस तो डॉक्टर होना ही चाहिए, एमबीएस के बाद डीएमआरडी, एमडी रेडियोलॉजी, डीएनबी रेडियोलॉजी एमडी गायनिक यह सब अल्ट्रासोनोग्राफी करने के लिए एलिजिबल है, अल्ट्रासोनोग्राफी उसके लिए आधार कार्ड लेना चाहिए, सेंटर में फॉर्म एफ भरना चाहिए फिर ऑनलाइन की प्रक्रिया है ऑनलाइन भी चढ़ाना चाहिए. राजस्थान में ऑनलाइन की प्रक्रिया सख्त है हर दिन ऑनलाइन चढ़ना पड़ता हैं.


डॉ अजमेरा ने बताया पूरे फर्जीवाड़े का खेल
डॉक्टर प्रवीन कुमार अजमेरा ने हमारे संवाददाता को पूरे फर्जीवाड़ी की जानकारी देते हुए बताया की मैं डॉक्टर प्रवीण कुमार अजमेरा रेडियोलॉजिस्ट फ्रॉम हैदराबाद. पिछले 6 महीने से मैं हैदराबाद में एक ही अस्पताल में काम कर रहा हूं, लगभग जुलाई के बाद से, जुलाई से पहले मेने 5 से 6 महीने के टाइम पीरियड में नोहर में जयपुर डायग्नोस्टिक सेंटर रेलवे रोड पर काम किया था, उसका ओनर था संजय पूनिया, मैं वहां से राजीनामा देके, फिर मैं हैदराबाद आ गया. मुझे कोई सरदारशहर से कोई लेना देना नहीं है.


चूरू जिला से मेरे को कोई लेना-देना नहीं है, फिर भी मेरे पेपर इस्तेमाल करके शेखावाटी डायनेस्टिक सेंटर ने एक फर्जी डॉक्टर को बिठाकर 300 से 400 कैस तक स्कैन कर दिया. सीएमएचओ ने अपनी जिम्मेदारी निभाई नहीं, उन्होंने उनका सर्टिफिकेट फिजिकल वेरिफिकेशन करना चाहिए था वह भी नहीं किया, आधार कार्ड वेरीफाई करना था वह भी नहीं किया.


ऑनर को ब्लैक लिस्ट
 सर्टिफिकेट देखना था वह भी नहीं किया, नॉलेज पूछना था, कौन डॉक्टर है, वह भी नहीं पूछा, इसलिए यहां पर पूरा एरर ओनर का जाता है. ओनर शक्त पीएनडीटी रूल्स के वायलेशन में है. यह सेंटर सीज होना चाहिए, ऑनर को ब्लैक लिस्ट में लगाना चाहिए, ताकि यह फ्यूचर में कोई भी सोनोग्राफी सेंटर, अल्ट्रासाउंड सेंटर, एक्स-रे सेंटर कोई भी मेडिकल की बिजनेस के लायक नहीं है. पूरा राजस्थान में इस पर ब्लैक लिस्ट में लगना चाहिए, उसके बाद सीएमएचओ को पावर है की सेंटर संचालक री ओपन सेंटर नहीं कर सकते, उस पर एफआईआर होना चाहिए. FIR होने के बाद बाद में कोर्ट डिसाइड करेगा, उसे क्या पनिशमेंट देती है क्या नहीं देती है, अभी सीएमएचओ ने सेंटर को सील तो कर दिया हैं, मगर तुरंत एक्शन लेना चाहिए सीएमएचओ बीना किसी दबाव में आकर के देश के हित के लिए, गरीबों के हित के लिए, फ्रॉड को अवॉइड करने के लिए फर्जीवाड़ी अवार्ड करने के सक्त कारवाही की आवश्यकता हैं.


अब चूरू सीएमएचओ डॉक्टर मनोज शर्मा की फर्जी डॉक्टर और सोनोग्राफी सेंटर वाले के खिलाफ दिखाई गई हमदर्दी सुन लीजिए


चूरू सीएमएचओ मनोज शर्मा ने फर्जी डॉक्टर और सोनोग्राफी सेंटर वाले को बचाने के लिए हमारे संवाददाता को गलत नियम बता दिए


जब हमारे संवाददाता ने पूछा कि सोनोग्राफी सेंटर पर अनुमति लेने के लिए किन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है तो सुनिए सीएमएचओ जनाब का जवाब, उन्होंने कहा कि सोनोग्राफी का रेडियोलॉजिस्ट होता है उसके डॉक्यूमेंट के आधार पर हम सोनोग्राफी की परमिशन देते हैं, रेडियोलॉजिस्ट के डॉक्यूमेंट संस्थान द्वारा प्रोवाइड करवाए जाते हैं उसी के हिसाब से परमिशन दी जाती है, अब सीएमएचओ ने जो कहा वह सुनिए, हमारे संवाददाता ने जब सीएमओ से पूछा कि इस मामले में डॉक्टर का भी कोई वेरिफिकेशन होता है क्या तो सीएमएचओ ने फर्जी डॉक्टर को बचाने के लिए गलत नियम और जानकारी देते हुए बताया कि हम संस्थान के द्वारा प्रोवाइड करवाये गये डॉक्यूमेंट के आधार पर परमिशन देते हैं. 


 सीएमएचओ मनोज शर्मा का जवाब ?
जब हमारे संवाददाता ने पूछा कि डॉक्टर का कोई फिजिकल या डॉक्यूमेंट टेस्ट नहीं होता क्या, तब सीएमएचओ मनोज शर्मा ने जवाब से बचते हुए कहा कि आज तक तो ऐसा कोई मामला सामने आया नहीं है, रिसेंटली एक मामला सामने आया है, जहां पर सोनोग्राफी सेंटर को सीज कर दिया गया है, जब हमारे संवाददाता ने पूछा कि शेखावाटी डायग्नोस्टिक सेंटर का यह मामला था उस मामले में आप द्वारा क्या कार्रवाई की गई, उन्होंने कहा कि उस डायग्नोस्टिक सेंटर में डॉक्टर प्रवीण अजमेरा के डॉक्यूमेंट हमें प्रोवाइड करवाए गए थे, उन डॉक्यूमेंट के आधार पर सोनोग्राफी सेंटर को परमिशन दी गई थी, डॉ प्रवीण कुमार अजमेरा द्वारा हमें शिकायत की गई की मेरे डॉक्यूमेंट संस्थान द्वारा मेरी जानकारी के बिना यूज किये जा रहे हैं, उसके चलते उस केंद्र को चीज किया गया है, हमारे संवाददाता ने जब पूछा कि डॉक्टर अजमेरा का आरोप है कि मेरे डॉक्यूमेंट कहां से आए और सीएमएचओ ने बिना जांच के उनको परमिशन दे दी.


FIR क्यों नहीं?


इस पर सीएमएचओ अपनी गलती को छुपाने की बजाय डॉक्टर अजमेरा को ही गलत ठहराने लग गए, उन्होंने कहा कि डॉक्टर अजमेरा ने इस तरह से कैसी अपने डॉक्यूमेंट लीक कर दिए, उन्हें अपने डॉक्यूमेंट संभाल के रखना चाहिए थे, डॉ अजमेरा को इस मामले में fir करवानी चाहिए थी, जबकि सीएमएचओ को मामला संज्ञान में आते ही खुद fir करवानी चाहिए थी, हमारे संवाददाता के अन्य सवालों पर भी सीएमएचओ नियमों को ताक में रखकर अपने नियम बनाकर जानकारी देते हुए नजर आए. जबकि इस गंभीर प्रकरण में सीएमएचओ को शेखावाटी डायग्नोस्टिक सेंटर और फर्जी डॉक्टर के खिलाफ तुरंत प्रभाव से fir करवानी चाहिए थी.


इस फर्जीवाड़े को लेकर हमने कई दफा शेखावाटी डायग्नोस्टिक सेंटर संचालक से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने अपनी ओर से कोई भी सफाई नहीं दी. 


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