Sardarshahar: देश में  बढ़ती कोयले की कमी के चलते देश में बजली का संकट लगातार गहराता जा रहा है, जिसके चलते नए-नए बिजली उत्पादन के विकल्प तलाशे जा रहे हैं. लेकिन अच्छी खबर यह है कि, अब धोरों की धरती के अन्नदाता अनाज के साथ-साथ बिजली भी पैदा करेंगे. यह सब संभव हुआ है, केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना "प्रधानमंत्री कुसुम योजना" के जरिए.  


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बता दें कि, देश के कई राज्य भारी बिजली संकट का सामना कर रहे हैं. जिससे आम इंसान तो त्रस्त है ही साथ ही, किसानों को भी इस वजह से बेहद नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसान अपनी फसलों की सिंचाई तक समय से नहीं कर पाते हैं. ऐसे में वैकल्पिक तरीका अपनाने के कारण खेती में किसानों की लागत बढ़ती जा रही है.


इसी को ध्यान में रखते हुए, तहसील के राजासर पंवरान के किसान गिरधारीलाल पारीक ने अपने खेत में कुसुम योजना के तहत 2 मेगावाट का सोलर प्लांट को अपने 16 बीघा खेत में लगाया है. इस सोलर प्लांट को लगाने में उन्हें करीब 7 करोड़ की लागत आई. इसमें 6 हजार के आसपास की सोलर पलेट भी लगवाई है, जिससे गर्मियों के दिनों में 14हजार यूनिट प्रतिदिन और सर्दियों के दिनों में 10हजार यूनिट प्रतिदिन के आसपास बिजली पैदा होगी. जिससे 12000 यूनिट प्रतिदिन के आसपास 2 मेगा वाट का यह प्लांट विद्युत उत्पादन करेगा. 


बता दें कि इसमें पैदा होने वाली बिजली आसपास के क्षेत्र को दी जाएगी, जिससे आसपास के क्षेत्र रोशन हो सकेंगे. क्योंकि उनकी सालों पुरानी विद्युत समस्या  समस्या का समाधान होगा. 


राजस्थान में सौर ऊर्जा की अपार संभावना


उल्लखेनीय है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि,  किसान  अन्नदाता  के साथ साथ ऊर्जादाता  भी बने. जैसे वह अपने खेत में अन्न पैदा करता है, उसी प्रकार वह अपने खेत में किसान ऊर्जा प्रोजेक्ट लगाकर ऊर्जा पैदा करें.  गौरतलब है कि, राजस्थान कुसुम योजना के जरिए इसमें 623 किसानों का चयन किया गया था, लेकिन अब तक केवल  23 या 24 किसान ही  इस  प्रोजेक्ट लगा पाए हैं.


कैसे बने कुसुम योजना के लाभार्थी 
इस बारें में सरदारशहर तहसील के गांव राजासार पंवरान के किसान गिरधारीलाल पारीक ने बताया कि, 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के लिए कुसुम योजना शुरू की थी. इस योजना से हम जुड़े, हमने फॉर्म भरा फिर हमारा एलओ लेटर जारी हुआ, अधिकारियों ने हमे प्रोसाहित किया तो हमने यह प्रोजेक्ट लगाया. सरकार यदि इस योजना में किसानों की सहायता
करती है तो बहुत अच्छा हो जाए. यदि ब्याज में कमी हो जाए और लोन आसानी से मिल जाए तो किसान इस योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकते है और देश और प्रदेश का बिजली संकट समाप्त कर सकते हैं.


इसके अलावा किसान सुखबीर पारीक ने बताया की,  ज्यादा परेशानी लोन पास करने में आती है. इसका शुरुआत में  70 प्रतिशत का लोन  करते हैं, यदि यही 90 प्रतिशत करे तो हर  किसान के इसका प्रयोग कर सकता है. क्योंकि ज्यादा के लिए बैंक में  50 प्रतिशत की गारंटी मांगी जाती. जो हर किसान  नही कर सकता.  गिरधारी पारीक ने बताया की 16 बीघा भूमि में 6हजार  के आसपास पलेटे लगाई हैं . करीब साल भर हमे इस प्रोजक्ट को पूरा करने में लगा हैं.


इस प्रजोक्ट को देख रहे ऑफिसर रजनीकांत गौतम ने बताया कि, यह योजना भारत सरकार की है. इसमें  किसानों को 1 से 5 मेगावाट का सोलर प्लांट लगा सकते है. इसमें किसान अपनी बंजर भूमि है या कम उपजाऊ में 1 से 5 मेगावाट का प्लांट लगा सकता है. इससे जो बिजली उत्पन्न होंगी वह आस पास के 33 केवी सबस्टेशन में इस बिजली की सप्लाई जाएगी.  इस 2 मेगावाट के प्लांट को लगाने में तकरीबन सात करोड़ पचास लाख का खर्च आता हैं. इन प्लांटो से उत्पादन होने वाली बिजली सरकार 3 रुपए 14 पैसे पर यूनिट के हिसाब से खरीदती हैं.


 स्थायी आमदनी का खुलेगा स्रोत
 बता दें कि.  किसानों की आय बढ़े इसलिए इस योजना की शुरूआत की गई . इस योजना के जरिए केंद्र सरकार किसानों को सोलर पंपो पर सब्सिडी प्रदान करती है. इसका लाभ उठाने से कृषि भूमि मालिकों के लिए 25 सालों तक के लिए एक स्थायी और लगातार आमदनी का स्रोत खुल जाएगा. 


वहीं, सोलर पंप का उपयोग कर किसान अपने खेतों की सिंचाई  भी कर सकते हैं. इसके अलावा अपने अनउपजाऊ जमीन पर सोलर संयंत्र लगा कर हर महीने एक निश्चित आय भी कमा सकते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, एक मेगावट सौर उर्जा सयंत्र की स्थापना के लिए लगभग 4 से 5 एकड़ भूमि की जरूरत होती हैं. इससे एक साल में तकरीबन 15 लाख बिजली यूनिट का उत्पादन किया जा सकता है. बिजली विभाग के जरिए इसे लगभभ 3 रुपये 14 पैसे के टैरिफ पर खरीदा जाता है. ऐसे में किसान सोलर पंप संयंत्र से आसानी से सालाना 45 लाख तक की आय हासिल कर सकता है.


योजना से जुड़ने वाले किसानों को मिलता है लोन
इस योजना से जुड़ने वाले किसानों के लिए सरकार ने पंजाब नेशनल बैंक में लोने की व्यवस्था की है. जिसके बारे में बैंक के ब्रांच मैनेजर विनोद कुमार मीणा ने बताया कि, सरदारशहर तहसील का यह पंजाब नेशनल बैंक का यह पहला फाइनेंस प्रोजेक्ट है. जो किसान इस  योजना  के लिए  बैंक में जाकर आवेदन करता है,  इसमें किसानों को अब के सर्कुलर के हिसाब से जो मार्जन है वह 30  का लोन होता है.  को लेटल है वो 30 प्रतिशत है अभी जो बैंक का और गारमेंट का टाइप हुआ. उस सायद कॉ लेटर को फ्री कर दिया है. यह पहला फाइनेंस था इसलिए किसानों में बहुत ही उत्साह का माहौल है. सरदारशहर क्षेत्र से ज्यादा किसान इस योजना से जुड़े और जिन किसानों का पीपी हो चुका है, वो किसान सरकार की कुसुम योजना का लाभ लें.


 इस क्षेत्र में है अपार संभावनाएं


किसान सुखवीर पारीक ने कहा कि, यह प्लांट लगाने में हमने काफी महनत की हैं. सबसे बड़ी चुनौती किसानों को इस प्लांट को लगाने की होती है.  इस योजना में अभी तक  केंद्र सरकार और राज्य सरकार एक साथ नहीं जिसकी बेहद जरूरत है.  जिसके चलते यह योजना राजस्थान में अभी तक सफल नहीं हो पाई है. उन्होंने बताया कि बैंक इस सोलर प्लांट पर लोन नहीं देते हैं क्योंकि सरकार द्वारा ऐसी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है, जिसके चलते उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन पर लोन लेकर यह सोलर प्लांट लगवाया है. साथी इस प्रधानमंत्री कुसुम योजना में सोलर प्लांट के लिए प्लेट खरीदने पर 12% जीएसटी भी देना पड़ता है, ऐसे में सरकार को किसानों को राहत देने के लिए टैक्स मुक्त करना चाहिए.


सरदारशहर में किसान का है यह पहला सॉलर प्लांट


वैसे तो सरदारशहर तहसील में इससे पहले दो सोलर प्लांट लगाए जा चुके हैं लेकिन, उन सोलर प्लांटो को गुड़गांव की बड़ी कंपनियों के जरिए लगाया गया है. यह प्लांट किसान का पहला प्लांट है.  ऐसे में यदि किसानों को कम ब्याज और आसानी से लोन मिल जाए तो यह योजना किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है. यदि केंद्र की और प्रदेश की सरकारें किसानों को थोड़ी राहत दे तो निश्चित रूप से प्रदेश के किसान पूरे देश के विद्युत संकट को समाप्त कर सकते हैं. 


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Reporter: Gopal Kanwar