Dausa: किडनी शरीर का बेहद ही महत्वपूर्ण अंग है और जब इसमें खराबी आती है तो किडनी मरीज धीरे-धीरे मौत की ओर बढ़ने लगता है, लेकिन किडनी मरीजों के लिए डायलिसिस एक महत्वपूर्ण उपचार है जिसके सहारे वह कई साल तक जीवित रह सकता है. इसके लिए किडनी मरीज को सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस की जरूरत पड़ती है. पूर्व में यह सुविधा दौसा जिले में उपलब्ध नहीं थी लेकिन अब जिला अस्पताल में डायलिसिस की चार मशीनें लगी हुई है जिनका लाभ जिले के किडनी मरीजों को मिल रहा है.


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दरअसल 2016-17 के केंद्र सरकार के बजट में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम की घोषणा हुई थी जिसके तहत देश के सभी जिलों में डायलिसिस केंद्र स्थापित करना लक्ष्य था. उसी के तहत दौसा जिला अस्पताल में भी डायलिसिस केंद्र की स्थापना पूर्व में हो गई थी. लेकिन यहां दो मशीनें ही संचालित थी जिसके चलते सभी किडनी मरीजों को डायलिसिस का लाभ नहीं मिल पा रहा था लेकिन अब दो डायलिसिस मशीन दौसा जिला अस्पताल में और स्थापित कर दी गई ऐसे में कुल 4 मशीनों द्वारा किडनी मरीजों को डायलिसिस सुविधा का जिले में ही निःशुल्क लाभ मिल रहा है.


Kidney किडनी मरीजों को सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस करवानी होती है और बाजार में इसका एक बार का खर्च 2000 आता है. साथ ही आने जाने का खर्चा शामिल करें तो 5000 से भी ऊपर पहुंचता है. ऐसे में साल के 4 से 5 लाख रुपये खर्च कर डायलिसिस करवाना एक सामान्य मरीज के लिए आसान नहीं होता. लेकिन अब यह केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम शुरू कर किडनी मरीजों को निशुल्क डायलिसिस की राहत दी जा रही है, जिससे किडनी मरीजों को जीवनदान मिल रहा है. स्थानीय स्तर पर डायलिसिस होने से मरीज को जयपुर आवाजाही की समस्या से भी निजात मिली है, तो वही मरीज के परिजन भी पैसे और समय की बचत को लेकर राहत महसूस कर रहे हैं.


बिगड़ती जीवन शैली और अनियमित खानपान के चलते लगातार किडनी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है हालांकि विशेषज्ञों की माने तो नियमित डायलिसिस के बाद भी किडनी मरीज डायलिसिस के सहारे लगभग 10 साल तक जीवित रह सकते हैं, और एक बार डायलिसिस की प्रक्रिया में 4 घंटे का समय लगता है ऐसे में एक मरीज को सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस की जरूरत पड़ती है. दौसा जिला अस्पताल में स्थापित डायलिसिस की चार मशीनों द्वारा एक माह में करीब 220 बार डायलिसिस कर किडनी मरीजों को राहत दी जा रही है.


किडनी मरीजों को हेमो डायलिसिस के अंतर्गत रक्त को कृत्रिम किडनी की तरह कार्य करने वाली एक मशीन की सहायता से फिल्टर किया जाता है और उसे पुनः शरीर में भेज दिया जाता है डायलिसिस की इस प्रक्रिया के अंतर्गत रक्त को शरीर से निकाले बिना साफ किया जाता है और इस प्रक्रिया में उदर कोष के अंदर स्थित कोष थैली प्राकृतिक फिल्टर का कार्य करती है, और इस प्रक्रिया में किडनी मरीज को किसी भी तरह की तकलीफ भी नहीं होती. यह प्रक्रिया फिल्ट्रेशन को बढ़ाती है और रक्त में मौजूद अशुद्धियां मिश्रण में स्थानांतरित हो जाती है.


दौसा जिला अस्पताल में स्थापित हेमो डायलिसिस केंद्र में डायलिसिस करवाने के दौरान हमने कुछ किडनी मरीजों से बात की तो वह स्थानीय स्तर पर डायलिसिस की सुविधा मिलने से काफी राहत महसूस कर रहे हैं. साथ ही उनके परिजन भी यह कहकर खुशी व्यक्त कर रहे हैं कि अब उन्हें डायलिसिस के लिए दौसा से जयपुर नहीं जाना पड़ता उन्हें यहीं पर निशुल्क डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध हो रही है.


ऐसे में उनका आने जाने में जो पैसा और समय खर्च होता था उसकी पूरी बचत हो रही है किडनी मरीजों और उनके परिजनों ने कहा बाजार में डायलिसिस करवाना उनके बूते से बाहर था क्योंकि एक बार की डायलिसिस का खर्चा 2000 होता है. साथ ही आने जाने का गाड़ी का खर्चा अलग है और सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस की जरूरत पड़ती है ऐसे में साल के 4 से पांच लाख रुपये खर्च करना उनके बस में नहीं है. लेकिन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत उन्हें यह सुविधा स्थानीय स्तर पर पूरी तरह निशुल्क मिल रही है जो उनके मरीज के लिए वरदान साबित हो रही है.


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