Bari: राजस्थान के धौलपुर जिले के बाड़ी में पितरों की याद में पितृ पक्ष आज से शुरू हो गए है. विभिन्न जलाशयों में बड़ी संख्या में लोगों ने पितरों को तर्पण किया. सुबह से ही बामनी नदी, पार्वती नदी पर बड़ी लोग संख्या में पहुंचे. पंडित श्री बाबू पचौरी और गांधी पचौरी द्वारा विधि-विधान से तर्पण कार्य कराया गया.


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संसार में जीवों का आना और जाना एक सत्य है लेकिन गुजरे हुए पूर्वजों को याद करने के लिए हिंदू संस्कृति में श्राद्ध पक्ष बनाया है, जो भाद्र मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा से शुरू होता है और अश्विन मास की अमावस्या तक चलता है. दिन की विभिन्न तिथियों में पूर्वजों को प्रतिदिन जल तर्पण करते हुए गुजरे हुए पूर्वजों की पुण्यतिथि वाले दिन श्राद्ध करने का प्रावधान है. इसी को लेकर आज शनिवार से शुरू हुए श्राद्ध पक्ष में जलाशयों और नदियों के किनारे परिवार के लोग पहुंचकर पूर्वजों को जल तर्पण कर रहे हैं.


बाड़ी शहर से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर बहने वाली बामनी नदी में जल तर्पण के लिए सुबह 4 बजे से लोगों की भीड़ लगी है. ऐसे में मौके पर मौजूद पंडित श्री बाबू पचौरी और गांधी पचोरी द्वारा विधि-विधान से जल तर्पण का कार्य क्रम बाय क्रम कराया गया. श्राद्ध पक्ष को लेकर जहां श्रद्धालुओं ने मौके पर किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं होने की बात कहते हुए स्थानीय प्रशासन पर हिन्दू पर्व और त्यौहारों पर ध्यान नहीं देने और व्यवस्थाओं में सुधार नहीं करने के आरोप लगाए है. वहीं नदी किनारे निश्चित स्थान पर घाटों की साफ-सफाई के साथ व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की मांग की है.


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नदी पर जल तर्पण करा रहे पंडित श्री बाबू पचौरी का कहना है कि हिंदू संस्कृति में श्राद्ध पक्ष का विशेष प्रावधान है. ऐसे में प्रत्येक हिंदू परिवार को अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना चाहिए और उन्हें जल्द तर्पण अवश्य करना चाहिए. यदि नदी किनारे तर्पण करने में परेशानी हो तो घर पर भी जल तर्पण किया जा सकता है. वहीं पंडित गांधी पचौरी का कहना है कि मनुष्य का शरीर नाशवान है. आत्मा अजर और अमर होती है, ऐसे में पूर्वजों की आत्माएं श्राद्ध पक्ष में अवश्य धरती पर आती है और अपने परिवारों तक पहुंचती है, यहां तक कि जल तर्पण के दौरान पानी सहित श्राद्ध पक्ष में घर पर बनाए भोजन करती है. इसलिए हिंदू संस्कृति के अनुसार हमें अपने पूर्वजों का तिथि पर श्राद्ध और प्रतिदिन जल तर्पण करना चाहिए.


Reporter: Bhanu Sharma


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