Baseri: धौलपुर जिले के बसेड़ी विधानसभा में सरमथुरा ग्राम पंचायत को राजस्थान सरकार द्वारा नगरपालिका का दर्जा दे दिया गया है, जो कि करीब 20 वर्ष पुराने सफाईकर्मियों के लिए एक मुसीबत बनकर सामने आईं हैं. सरकार द्वारा कस्बे की सफाई व्यवस्था पर भी लाखों रुपए प्रतिमाह खर्च किया जा रहा है, लेकिन सरमथुरा नगरपालिका में करीब 20 वर्ष पुराने कार्यरत सफाईकर्मियों को 30 माह से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनके सामने रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है.


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सफाई कर्मचारी जगदीश वाल्मीकि ने बताया है कि हम सरमथुरा ग्राम पंचायत के पुराने सफाई कर्मचारी हैं. हमारे साथ के चुंगी कर्मचारियों को तो राज्य सरकार के द्वारा परमानेंट कर दिया गया, लेकिन हमको परमानेंट नहीं किया गया. कुल मिलाकर हम 20 कर्मचारी हैं. हमने 1998 में न्यायालय के समक्ष केस किया गया है, हमको पंचायत के द्वारा 600 रुपए का वेतन दिया जाता था, लेकिन 30 माह से नगर पालिका के द्वारा वेतन भी नहीं दिया गया है. साथ ही हम 20 कर्मचारियों के द्वारा लगातार सफाई की जा रही है और प्रतिदिन सुबह रोज हम अपने हलका में झाड़ू लगाते हैं, लेकिन नगर पालिका के द्वारा हमारे लिए ना तो कोई झाड़ दिए जाते हैं. 


साथ ही नाही तसले फावड़े दिए जाते हैं. हम अपने खुद खरीद कर लाते हैं. उससे सफाई कर रहे हैं. सरकार की हठधर्मिता के कारण हमारे साथ न्याय नहीं मिल पा रहा है और हम खाने के लिए भी मोहताज हो रहे हैं. हमने कई बार उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराया है, लेकिन ना तो हमारे लिए आज तक कोई वेतन दिया गया और ना ही कोई कार्रवाई की गई है.


आपको बता दें कि सफाईकर्मी हरिमोहन ने बताया कि तनख्वाह नहीं मिलने की वजह से हमारे परिवार के सामने आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. सफाई कर्मचारियों ने सरकार से इस मामले में दखल देकर जल्द से जल्द समस्या समाधान कराने की मांग की है. इस मौके पर जगदीश बाल्मीकि, लाल सिंह, वीदीया जमादार, हरिमोहन राकेश, होरीलाल सहित अन्य सफाईकर्मी मौजूद रहें.


Reporter: Bhanu Sharma


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