रूठे इंद्रदेव को मनाने की राजस्थानी परंपरा, बिना पानी की दाल-रोटी का लगता है भोग
धौलपुर जिले के बाड़ी विधानसभा के कस्बा बाड़ी में बारिश का दौर अभी शुरू नहीं हुआ. इसी के चलते जहां किसानों को खेतों में पड़े बीज के सड़ने की आशंका सता रही है.
Bari: धौलपुर जिले के बाड़ी विधानसभा के कस्बा बाड़ी में बारिश का दौर अभी शुरू नहीं हुआ. इसी के चलते जहां किसानों को खेतों में पड़े बीज के सड़ने की आशंका सता रही है.
वहीं आमजन का भी उमस भरी गर्मी में हाल-बेहाल है, ऐसे में बड़े-बुजुर्गों द्वारा बारिश को लेकर किए जाने वाली पुरानी परंपराओं की फिर से याद आ रही है और उनको करने के साथ ईश्वर से बारिश को लेकर प्रार्थना की जाने लगी है. शहर के किला परिसर में रूठे हुए बारिश के देवता इंद्रदेव को मनाने के लिए दाल-रोटी का प्रसाद लगाया गया, जिसे बिना पानी ही भोजन के रूप में छोटे बच्चों को खिलाया गया. पुरानी मान्यता है कि इससे बारिश के देवता इंद्रदेव प्रसन्न होते है और अच्छी बारिश होती है.
किला निवासी नरेश यादव ने बताया कि उनके बड़े बुजुर्गों से इस प्रकार का कार्यक्रम होता चला आ रहा है और जब भी मानसून रूठता है या क्षेत्र में बारिश नहीं होती तो किले के पुराने बरगद के पेड़ के नीचे बाबा के स्थान पर यह आयोजन होता है. इसी को लेकर किला निवासियों के सहयोग से सामूहिक दाल-रोटी तैयार की गई और छोटे बच्चों के साथ बड़े बुजुर्गों के साथ हर राहगीर को खिलाया गया, जिसमें खाने के दौरान पानी नहीं दिया गया.
बाड़ी उपखंड मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्र में दाल-रोटी का यह प्रसाद बारिश को लेकर लगाया जाता है जो सिद्ध स्थान या मंदिर और आश्रमों पर होता है. ग्रामीण लोग भी अपने गांव की चौपाल पर ऐसा आयोजन करते हैं, जिसमें खूब मसाले की दाल तैयार की जाती है जिसे मोटी रोटी (अंगा) के साथ परोसा जाता है लेकिन भोजन के दौरान पीने के लिए पानी नहीं दिया जाता और जब छोटे बच्चे दाल-रोटी खाकर पानी मांगते हैं तो इंद्र देव प्रसन्न होते हैं और अच्छी बारिश होती है. अब देखना यह है कि ऐसी परंपरागत रूप से चली आ रही परम्पराओं द्वारा बारिश को लेकर किए जा रहे प्रयासों का कितना असर रूठे मानसून पर होता है.
Reporter: Bhanu Sharma
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