Dungarpur News : डूंगरपुर जिले के इंद्रखेत गाँव में रहने वाले किसान राजू पटेल के परिवार की सब्जियों की खेती ने किस्मत बदलकर रख दी है. राजू का परिवार पहले आम किसानो की तरह ही पारम्परिक खेती किया करता था लेकिन जब से किसान परिवार ने पारंपरिक खेती छोड़कर सब्जियों की खेती व बागवानी करना शुरू किया, जिसकी बदौलत अब यह परिवार सालाना 8 से 9 लाख रुपए का का मुनाफा कमा रहा है. डूंगरपुर शहर से कुछ ही दूरी पर इंद्रखेत के रहने वाले राजू पटेल और उनकी पत्नी मंजुला पटेल सात साल पहले तक गेहूं, मक्का और सरसों की खेती करते थे. लेकिन, एक दिन गुजरात से उनके 2 रिश्तेदार डूंगरपुर आए थे तब दोनों रिश्तेदार पटेल परिवार के घर रुके तभी दंपति ने खेती में हो रहे नुकसान के बारे में उनको बताया था तो उन्होंने उन्हें सब्जियों की खेती करने का सुझाव दिया था.


केवीके से सीखी और समझी खेती करने की विधि


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

रिश्तेदारों से मिला सुझाव राजू के दिमाग में सेट हो गया. लेकिन शुरुवात कहां से करें उसका पटेल परिवार को अंदाजा नहीं था. इसके बाद पटेल परिवार ने कृषि विज्ञान केंद्र दोवड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक सीएम बलाई से बात की और सब्जियों की खेती करने की विधि के बारे जाना और समझा. राजू पटेल और उनकी पत्नी मंजुला पटेल ने बताया कि उन्होंने सात बीघा सब्जियों की खेती कर रखी है. इसमें टमाटर, लोकी, मिर्ची, तरबूज, और पत्ता गोभी की खेती वे करते हैं. राजू और मंजुला के अलावा राजू के छोटे भाई की पत्नी खेती में उनकी मदद करती है.


सालाना 8 से 9 लाख की कमाई


एक समय जहां पटेल परिवार को खेती की चिंता सताती थी. वहीं आज पटेल परिवार बेफिक्र होकर सब्जियों की खेती कर रहा है और सालना 8 से 9 लाख रुपए कमा रहा है. राजू ने बताया कि गेहूं की फ़सल जब करते थे तब बेमौसम बरसात, तो कभी कीड़ा लगने से फ़सल ख़राब हो जाती थी और जितनी मेहनत गेहूं की फ़सल करने में लगती थी. उतना तो उन्हें मुनाफा नहीं होता बल्कि कई बार घाटा होता है. लेकिन, जब से सब्जियों की खेती करना शुरू कि है तब से उन्हें  पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी है. जहां एक बीघा खेत में गेहूं की फ़सल कर मुनाफा नहीं होता था. वहां आज आधा बीघा में टमाटर की खेती कर उससे डबल मुनाफा हो जाता है.


बहराल इन्द्र्खेत में रहने वाला राजू किसान का परिवार अब पारम्परिक खेतो को छोड़ चूका है और सब्जियों की खेती कर रहा है. सब्जियों की खेती से राजू के परिवार को हर साल अच्छी कमाई तो हो ही रही है वही उनका पारम्परिक खेती में होने वाले नुकसान का डर भी खत्म हो गया है.


यह भी पढ़ेंः 


राजस्थान का ये स्कूल बना देश का पहला डिजिटल स्कूल


राजस्थान में पांच दिन से नहीं मिल रहे स्टांप पेपर, वेंडर्स को नहीं मिले बिक्री रजिस्टर