Dungarpur: कर्नाटक में जैन संत की हत्या के विरोध में बंद रहा सागवाड़ा, जताया विरोध
Dungarpur News Today: कर्नाटक में जैन संत आचार्यश्री काम कुमार नंदी महाराज की निर्मम हत्या के विरोध में सकल जैन समाज के आव्हान पर राजस्थान में डूंगरपुर जिले का सागवाड़ा पूरी तरह से बंद रहा.
Sagwara, Dungarpur News: कर्नाटक में जैन संत आचार्यश्री काम कुमार नंदी महाराज की निर्मम हत्या के विरोध में सकल जैन समाज के आव्हान पर डूंगरपुर जिले का सागवाड़ा पूरी तरह से बंद रहा.
इस मौके पर सकल जैन समाज ने सागवाड़ा में रैली निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया. वहीं एसडीएम को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौपकर हत्यारों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई और संतों को सुरक्षा देने की मांग की है.
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कर्नाटक में जैन संत आचार्यश्री काम कुमार नंदी महाराज की निर्मम हत्या के विरोध में सकल जैन समाज के आव्हान पर सागवाड़ा पूरी तहर से बंद रहा. इसके साथ ही ओबरी और रामगढ़ कस्बे भी बंद रहे. इधर बंद के तहत व्यापारियों ने अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखे. वहीं, इस मौके पर सकल जैन समाज की ओर से सागवाड़ा में रैली निकाली गई.
संत की हत्या के विरोध में सागवाड़ा शहर में निकली रैली में न सिर्फ़ समाज के पुरुषों ने अपनी भागीदारी निभाई बल्कि महिलाओं और बच्चों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. बच्चे और महिलाएं भी हाथों में तख्तियां लिए हत्यारों को गिरफ़्तार करो का नारा लगाते हुए चल रही थी. समाज के लोगों ने हाथों पर काली पट्टियां बांध कर भी विरोध जताया. इधर पार्श्वनाथ चौक से रवाना हुई रैली मांडवी चौक होते हुए गोल चौराहे से सभा स्थल पहुंची, जहां आचार्य सुंदर सागर ने सभा को संबोधित किया.
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हत्या नहीं, जघन्य अपराध है
विनयांजलि सभा में आचार्य सुंदर सागर महाराज सहित संतों ने कहा कि ये जघन्य कृत्य है, हत्या ही नहीं बल्कि उनके शरीर के छोटे-छोटे टुकड़े कर बोरवेल में डाल दिए गए. अब ऐसे हत्यारों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए. इसके बाद एसडीएम कार्यालय पहुंचकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया. इस दौरान सकल जैन समाज के आव्हान पर क्षेत्र के सभी प्रतिष्ठान बंद रखे. बंद को राजनीति दलों सहित सामाजिक और धार्मिक संगठनों का समर्थन रहा.
सामुदायिक आश्रय स्थल बनाए जाने की मांग
ज्ञापन में आचार्य श्री के हत्यारों को फास्ट ट्रैक में सुनवाई कर सख्त से सख्त सजा हो और जैन संतों के पैदल विहार में सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग की गई. साथ ही देश के प्रत्येक राज्य में जैन श्रमण संस्कृति आयोग का गठन करने और जैन समाज सहित सर्व समाज के वे संत जो आजीवन पैदल विहार करते हैं. उनके रात्रि विश्राम के लिये 20 किमी पर सामुदायिक आश्रय स्थल बनाए जाने की मांग की गई. देश भर के जैन तीर्थों मंदिरों और धर्मशालाओं के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय जैन कल्याण आयोग के गठन की मांग रखी गई.