Holi 2024, play with stones:  होली का त्योहार देशभर में रंग गुलाल के साथ खेला जाता है, लेकिन आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में होली की अनूठी और खतरनाक परंपरा आज भी निभाई जा रही है.


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भीलूड़ा में आज धुलंडी के दिन पत्थरमार होली खेली गई. यहा लोगो ने एक दूसरे को रंग गुलाल की बजाय पत्थर बरसाएं. इसमें 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए. घायलों का नजदीकी अस्पताल में इलाज करवाया गया. मान्यता है की पत्थरमार होली की चोंट से बहने वाला खून जमीन पर गिरने से क्षेत्र में खुशहाली रहती है.


होली को लेकर वागड़ में भीलुड़ा की पत्थरमार होली को देखने आसपास के गांवो के हजारों लोग एकजुट होते है. शाम ढलते ही भीलुडा समेत आसपास के गांवो के लोग ढोल कुंडी की थाप पर गैर नृत्य करते हुए निकले. लोग गांव के रघुनाथजी मंदिर के पास इकट्ठे हो गए. एक साथ कई ढोल की आवाज के साथ लोगो ने जमकर गैर खेली.


मंदिर के पास मैदान में आकर युवा दो टोलियो में बट गए और फिर शुरू हुई खूनी होली. एक - दूसरे पक्ष के लोगो ने जमकर पत्थर बरसाए. पत्थरों के हमले में कई लोगो को हाथ, पैर और सिर पर चोटें आई. पत्थरमार होली में कई लोग लहूलुहान हो गए. वहीं पत्थर बरसाने के दौरान कई लोग पेड़ो की ओट में छुपकर बचने का प्रयास करते रहे.


पत्थरमार होली में 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए. जिन्हें नजदीकी अस्पताल में ले जाकर इलाज करवाया गया. वहीं पत्थरमार होली को देखने कई गांवों के लोग दूर दूर तक बैठे रहे ताकि पत्थरों की मार उन तक नहीं पहुंचे. पत्थरमार होली की ये परम्परा 100 साल पहले से निभाई जा रहे है, जिसे गांव के लोग आज भी कायम रखे हुए है. मान्यता है की पत्थर लगने से घायल व्यक्ति का खून जमीन पर गिरने से गांव पर किसी तरह का कोई संकट नहीं आता है. वहीं गांव में खुशहाली रहती है.