नंगे पैर स्कूल जाते बच्चियों को देख दिल कचोट उठा, अगले ही दिन स्थापित किया शूज बैंक, आज सैकड़ों के चेहरे पर मुस्कान
Shoes Bank : नंगे पैर स्कूल जाते बच्चियों को देख समाजसेवी राजेश दादरी का दिल कचोट उठा. जिसके बाद अगले ही दिन उन्होंने शूज बैंक की स्थापना की. आज सैकड़ों बच्चों के चेहरे पर मुस्कान
Shoes Bank : चप्पल में स्कूल जाती बच्चियों को देख आए विचार के बाद शुरू हुई बेटियों को जूते उपलब्ध कराने की मुहिम, आज एक आंदोलन के रूप में आगे बढ़ रही है. हनुमानगढ़ के समाजसेवी राजेश दादरी एक प्रयास कर रहे हैं सरकारी स्कूल जाने वाली आर्थिक कमजोर परिवार की हर बच्ची के पैर में जूता पहनाने की. बेटी बचाओ, बेटी अपनाओ, बेटी पढ़ाओ टीम द्वारा क्षेत्र में बेटियों के चेहरे पर मुस्कान, आत्मसम्मान व आत्मविश्वास लाने की मुहिम के तहत जूते वितरित किए जा रहे है.
स्कूल जाने वाले हर पैर में जूते देने से उद्देश्य से आरंभ की गई मुहिम के संस्थापक राजेश दादरी बताते हैं कि एक सुबह जब तिरंगा फहरा कर लौट रहे थे तो रास्ते में उन्होंने देखा कि छोटी छोटी बच्चियां चप्पल में स्कूल जा रहे थे तो उन्होंने उनसे पूछा कि आप चप्पल पहनकर स्कूल क्यों जा रही हो तो उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता इतने समर्थ नहीं है कि नये जूते खरीद सके. तभी यह निश्चय हो गया था कि इस तरह के जरूरतमंद बच्चों में हीन भावना पैदा ना हो और बच्चे जूते पहन कर आत्मविश्वास के साथ स्कूल जाए, इसके लिए हनुमानगढ़ शहर में एक स्कूल शूज बैंक की स्थापना की जाएगी, इसी सोच के साथ उन्होंने अगले ही दिन उन सभी बच्चों के शूज के नंबर निकाले और सभी बच्चों को जूते उपलब्ध करवा मुहिम का श्रीगणेश कर दिया था. धीरे-धीरे दादरी अपनी मुहिम को आगे बढ़ाते गए तो सहयोग के लिए भी लोग आगे आने लगे. क्षेत्र के समाजसेवियों ने दादरी की मुहिम को न सिर्फ सराहा बल्कि शूज बैंक की स्थापना करवा, सैंकड़ों जोड़ी जूते स्कूली बच्चों के लिए उपलब्ध भी करवाए.
सरकारी स्कूल के स्टाफ ने दिया साथ
चप्पल में स्कूल जाते बच्चों को जूते उपलब्ध करवाने की मुहिम के तहत सैकड़ों बच्चों को जूते उपलब्ध करवा चुके हैं दादरी से जब पूछा गया कि इन बच्चों को की जानकारी उन्हें कैसे मिलती है तो दादरी ने बताया कि वह क्षेत्र के सरकारी विद्यालयों में जाकर स्टाफ से इस मुहिम के तहत जरूरतमंद बच्चों के पैरों में जूते सुनिश्चित करने के लिए सहयोग मांगते हैं. स्कूल स्टाफ से उन बच्चों को चिन्हित कर नए की गुजारिश की जाती है जिसके बाद दादरी खुद पहुंच उन बच्चों के नाम उनके जूते का नंबर लेते लिस्ट बनाते हैं जिसके बाद एक-दो दिन में जरूरत के हिसाब से हर स्कूल में जाकर उन बच्चों को उनके पैरों के नंबर के हिसाब से जूते उपलब्ध करवा देते हैं.
शूज बैंक की स्थापना कार्यक्रम में शामिल हुए हनुमानगढ़ जिला कलेक्टर नथमल डिडेल ने भी दादरी की मुहिम को सराहा तो साथ ही दादरी को भी आश्वासन दिया कि बच्चों को जूते उपलब्ध करवाने की इस मुहिम के लिए जिला प्रशासन हर सहयोग के लिए तैयार है. वहीं बाद में मीडिया से बात करते हुए जिला कलेक्टर ने कहा कि क्षेत्र में यह अनूठी सकारात्मक पहल है, जिससे न सिर्फ बच्चों को जूते उपलब्ध करवाए जाते हैं बल्कि बच्चों में आत्मविश्वास भी पैदा होता है दादरी की इस मुहिम की तर्ज पर क्षेत्र में अन्य भामाशाह से भी अपील की जाएगी वह भी अपने अपने क्षेत्रों में इस तरह की सकारात्मक मुहिम को आगे बढ़ाएं ताकि बच्चों को शिक्षा की ओर जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.
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शूज बैंक की स्थापना
वहीं बाल कल्याण समिति अध्यक्ष जितेंद्र गोयल ने बताया कि हनुमानगढ़ के समाजसेवी ने उत्कृष्ट सामाजिक उदाहरण पेश करते हुए जरूरतमंद बच्चों को स्कूल में जाने के लिए जूते उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शूज बैंक की स्थापना की है. आर्थिक रूप से कमजोर समाज के अंतिम पंक्ति से जरूरतमंद बच्चों को जूते उपलब्ध करवाकर उन्हें शिक्षा से जोड़े रखने का दादरी का यह प्रयास सराहनीय है. कार्यक्रम में बच्चों को अपने हाथ से जूते पहने के दौरान बड़ी खुशी का अनुभव हुआ.
वहीं बाल कल्याण समिति भी इस मुहिम से प्रेरित होकर क्षेत्र के अन्य भामाशाहों से भी अपील करेगी कि वह भी अपने क्षेत्रों में इस तरह की मुहिम और नवाचार करें ताकि बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखा जा सके. जरूरतमंद बच्चों को स्कूल में जाने के लिए जूते उपलब्ध कराने के उद्देश्य को लेकर चलाई जा रही इस मुहिम से न सिर्फ बच्चों में आत्मसम्मान आत्मविश्वास और समानता के भाव विकसित हो रहे है, बल्कि शिक्षा से जोड़े रखने में भी प्रोत्साहन मिल रहा है.
Reporter- Manish Sharma
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