जयपुर: नगर निगम ग्रेटर में 'कचरे' की तरह शिकायतों का भी 'ढेर' लग रहा हैं.कॉल सेंटर पर दर्ज 7 हजार से ज्यादा शिकायतों का निस्तारण करने में निगम का लंबा-चौडी फौज फेल साबित हो रही हैं.मेयर की ओर से चलाया जा रहा नगर निगम आपके द्वार अभियान हो या फिर नगर निगम आयुक्त की ओर से हर मंगलवार की जाने वाली समीक्षा का असर भी नहीं दिखाई दे रहा हैं..


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नगर निगम ग्रेटर का कॉल सेंटर में 7 हजार 56 शिकायतें दर्ज हैं. डोर टू डोर कचरा संग्रहण, सीवरेज समस्या, कचरा, लाइट की समस्या की कंट्रोल रूम में बजती घंटियां. समस्याओं का दिन पर दिन बढता आंकड़ा. अलग-अलग मद में करोडों रुपए खर्च करने के बाद भी शहर कचरे के ढेर पर बैठा हैं. जयपुर शहर के लोगों की समस्याएं सुनने और उनके निस्तारण मौके पर करने के लिए मेयर सौम्या गुर्जर ने आपके द्वार अभियान शुरू जो मौसम का सीजन बदलने के साथ ही बंद हो गया. एक जून से शुरू किया अभियान एक महीने में ही दम तोड़ गया.


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यही कारण है कि आमजन की जितनी समस्याएं मेयर ने इस अभियान के दौरान लोगों से मिलकर सुनी और दूर नहीं की होगी.उससे ज्यादा शिकायतें अभी पेंडिंग में नगर निगम के अलग-अलग जोन के अलग-अलग शाखाओं में पड़ी है. नगर निगम से मिले रिकॉर्ड को देखे तो लोग सबसे ज्यादा रोड लाइट खराब होने की समस्या से परेशान है.जबकि इन रोड लाइट को रिपेयर और रखरखाव के लिए नगर निगम हर साल 3-4 करोड़ रुपए खर्च करता है.


आंकडों पर नजर डाले तो रोड लाइट की 3467 शिकायतें पेंडिंग चल रही हैं तो इसी तरह डोर टू डोर कचरा संग्रहण की 1365, सीवरेज की 635, अतिक्रमण-अवैध निर्माण की 199, उद्यान संबंधित 114 शिकायतें पेंडिंग चल रही हैं. इसी तरह से जोन स्तर, इंजीनियर स्तर, विजिलेंस, प्लानिंग शाखा, पशु प्रबंधन शाखा, जन्म-मृत्यु संबंधित शाखा, लाइसेंस शाखा में भी शिकायतों का अंबार लगा हुआ हैं. नगर निगम में वर्तमान में 7000 से ज्यादा पेंडिंग शिकायतो में से 49 फीसदी तो रोड लाइट को लेकर है. नगर निगम में जयपुर ग्रेटर एरिया के सभी 150 वार्डो से 3400 से ज्यादा लाइटों की शिकायतें पेंडिंग पड़ी है. EESL, ESCO और नगर निगम के स्तर पर इन लाइटों के रखरखाव का काम किया जाता है. लाइटों को लेकर विद्युत समिति चेयरमैन सुखप्रीत बंसल भी साधारण सभा से लेकर अलग अलग मीटिंगों में सवाल उठा चुकी हैं.


डोर टू डोर कचरा संग्रहण जोनवाइज शिकायतें पेंडिंग


 


जोन     वार्ड       शिकायतें पेंडिंग
मुरलीपुरा- 21  152 
विद्याधर नगर 21 379
झोटवाडा 22 277
मानसरोवर 21 149
सांगानेर 18 130
जगतपुरा 21 129
मालवीय नगर 26 149 
कुल 150 1365

अधिकारियों की लापरवाही से बढ़ रहा कचरों का अंबार
नगर निगम कंट्रोल रूम में रोजाना दर्जनों लोग अपनी शिकायत के लिए फोन करते हैं. शिकायत सुनकर कागजों पर दर्ज कर ली जाती हैं, लेकिन ग्राउंड पर कोई काम नहीं किया जा रहा है. अधिकारियों की लापरवाही की वजह से कंट्रोल रूम के 7 हजार शिकायतें दर्ज हैं .जितनी शिकायतों का प्रतिदिन निस्तारण नहीं होता उससे ज्यादा शिकायतों का अंबार लग जाता हैं. जिससे आंकडा कम होने की बजाय बढता जा रहा हैं.


नगर निगम कंट्रोल रूम के आंकड़े बताते हैं कि रोजाना औसतन 500 से 600 शिकायतें आती हैं. इनमें ओपन कचरा डिपो, डोर टू डोर कचरा संग्रहण, गंदगी, अतिक्रमण, पेड़ गिरना, गंदा पानी, स्ट्रीट लाइट, आवारा पशु को पकड़ना, बदहाल पार्क, नाला ओवरफ्लो समेत अन्य शिकायतें शामिल होती हैं.जिसके बाद इन शिकायतों को संबंधित विभागों को समाधान के लिए भेज दिया जाता है...लेकिन समस्या का समाधान करने के बजाय शिकायत को ठंडे बस्ते में डाल दिया जा रहा है.


निगम अपने स्तर पर कर रहा संग्रह


उधर जयपुर शहर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए पुरानी कंपनी को हटाने के बाद नगर निगम ने खुद के स्तर पर कचरा कलेक्शन का काम शुरू करवाया.निगम के अधिकारी दावा कर रहे है कि हर घर पर नियमित रूप से निगम की गाड़ियां पहुंच रही है और कचरा कलेक्शन कर रही है, लेकिन लम्बित पड़ी शिकायतें कुछ और ही सच्चाई बयां कर रही है.जयपुर ग्रेटर एरिया में 1365 से ज्यादा शिकायतें डोर टू डोर कचरा कलेक्शन नहीं होने को लेकर है.ये सच भी है कि शहर में ठीक से सफाई नहीं हो रही और न कचरा कलेक्शन हो रहा. यही कारण है कि जयपुर में अब पहले की तरह जगह-जगह कचरा ओपन डिपो फिर से दिखने लग गए, जिन पर 2-3 दिन में भी कचरा नहीं उठ रहा है.मालवीय नगर और मुरलीपुरा जोन में नई डोर टू डोर कचरा संग्रहण की व्यवस्था शुरू होने के बाद भी शिकायतों का अंबार कम नहीं हो रहा हैं.


बहरहाल, पिंकसिटी में शहरी सरकारें सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के नाम पर हर महीने करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं.फिर भी हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं..ऐसा लगता है कि मानो शहर कचरे के ढेर पर बैठा हो.वित्तीय वर्ष 2021-22 में 373 करोड़ रुपए ग्रेटर नगर निगम ने स्वच्छता संरक्षण और अवशिष्ट प्रबंधन पर खर्च कर दिए.जबकि जमीन पर बुरा हाल है. लोग परेशान हैं और निगम के कॉल सेंटरों में शिकायतों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. 


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