जमवारामगढ़: अधिवक्ताओं ने की उपखंड अधिकारी के खिलाफ की नारेबाजी
जयपुर के जमवारामगढ में उपखण्ड़ अधिकारी कि ओर से न्यायिक कार्य करने की अक्षमता एवं अधिवक्ताओं के प्रति भेदभाव पूर्ण व्यवहार रखने, भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन देने से व्यथित अधिवक्ताओं ने जिला कलेक्टर को पत्र लिखा.
Jaipur: जयपुर के जमवारामगढ में उपखण्ड़ अधिकारी कि ओर से न्यायिक कार्य करने की अक्षमता एवं अधिवक्ताओं के प्रति भेदभाव पूर्ण व्यवहार रखने, भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन देने से व्यथित अधिवक्ताओं ने जिला कलेक्टर को पत्र लिखा. पत्र में बताया गया है कि उपखण्ड अधिकारी जमवारामगढ़ चिमन लाल मीणा को न्यायिक प्रक्रिया का पूर्ण ज्ञान नहीं है. उक्त अधिकारी अधिवक्ताओं के प्रति भेदभाव व्यवहार करता है, अधिवक्ताओं को न्यायिक पत्रावलियां का अवलोकन नहीं करने देते हैं, इसके लिये अपने अधिनस्थ कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश दे रखा है कि किसी भी अधिवक्ता को पत्रावली की आदेशिका नहीं दिखाई जावें ओर पत्रावलियों में वकील उपस्थित रहने पर भी लंच में आधे घण्टे के लिये यदि अधिवक्ता कोर्ट से बाहर चला जाता है तो उसके दावें न्यायालय समय से पूर्व ही डीडी कर दिये जाते हैं.
उपखण्ड अधिकारी द्वारा न्यायिक कार्य में बहुत हीं भेदभाव पूर्ण कार्य किया जा रहा है, बिना पक्षकार से खुद के सम्पर्क के स्टे जारी नहीं किया जाता है. आदेश अनाउन्स कर दिये जाने के बाद आदेश बदल दिये जाते है, दूसरे दिन अधिवक्ता को पत्रावली देखने पर इसकी जानकारी होती है कि जो आदेश सुनाये गये उसके विपरीत आदेश लिखा दिये गये. कई पत्रावलियों में आगामी तारीख पेशी की आदेशिका लिख देने व पक्षकारों को तारीख पेशी देने के पश्चात् अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण उन पत्रावलियों को तारीख से पूर्व ही फैसला कर दिया जाता है व पत्रावली में कांट छांट करते हुये बेकडेट में निर्णय कर दिया जाता है, जिसकी जानकारी अधिवक्ताओं को नहीं रहती है. इसी प्रकार एक समान प्रकरणों में सभी अधिवक्ताओं को इंटरिम टी.आई. जारी नहीं की जाती किन्तु अधिकारी अपने निजी स्वार्थ व पक्षकारों के सम्पर्क से चुनिन्दा दलाल व्यक्तियों को एक समान प्रकृति के प्रकरणों में इंटरिम दे दी जाती है और कई पत्रावलियों में तो ईश्यू नोटिस करने के बाद उसमें कांट छांट करते हुये, इंटरिम टीआई भी जारी कर दी जाती है.
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जिन प्रकरण में सहमति से राजीनामा हो गया उन फाईलों को निजी स्वार्थ के कारण कैसल नहीं किया जा रहा है तथा डाईस पर बैठकर चुनिन्दा फाईल में हीं सुनवाई कर आनफान में फैसल किया जा रहा हैं और प्रोसिडिंग को फोलो नहीं किया जा रहा है. उक्त प्रक्रियाओं से जमवारामगढ़ बार के अधिवक्ता काफी व्यथित है. खण्डेला, सीकर में उपखण्ड अधिकारी की कार्यशैली से घटित घटना उक्त अधिकारी जमवारामगढ़ में भी घटित करवाना चाहता है, साथ ही उपखण्ड न्यायालय जमवारामगढ में व्याप्त भ्रष्टाचार चरम सीमा पर उक्त अधिकारी ने फैलाया हैं तथा भूमाफिया व दलालों व प्रभावशाली लोगों को अपने चेम्बर में बिठाकर उनके कहे अनुसार तुरंत पत्रावलिया मंगवाकर उन दलालों के आदेशों की पालना करते हुये, पत्रावलियों पर भी फैसला कर देता है.
उपखण्ड़ अधिकारी की कार्यशैली से स्पष्ट हैं कि उक्त अधिकारी पत्रावलियों का निस्तारण करने में असक्षम हैं, इसलिये उक्त अधिकारी का तबादला अन्यत्र किया जाये.
Reporter - Amit Yadav
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