अलवर में भ्रष्टाचार की जांच पर आंच! 7 दिन में सौंपनी थी रिपोर्ट, 20 दिन में जांच तक नहीं हुई
अलवर के जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार की जांच पर आंच आ रही है.जेजेएम चीफ इंजीनियर आरके मीणा ने बाबा बालकनाथ के दावे के बाद 7 दिन में रिपोर्ट मांगी थी,लेकिन 20 दिन गुजरने के बाद भी अब तक रिपोर्ट नहीं सौपी गई. हैरानी की बात है कि जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है.
जयपुर:अलवर के जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार की जांच पर आंच आ रही है.जेजेएम चीफ इंजीनियर आरके मीणा ने बाबा बालकनाथ के दावे के बाद 7 दिन में रिपोर्ट मांगी थी,लेकिन 20 दिन गुजरने के बाद भी अब तक रिपोर्ट नहीं सौपी गई. हैरानी की बात है कि जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है. इसको लेकर शिकायतकर्ता समेत अन्य लोगों में नाराजगी है.
सैंपल लेने के बाद भी नहीं भेजी रिपोर्ट
सांसद बाबा बालकनाथ ने अलवर के जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार का दावा किया तो तुरंत जांच कमेटी गठित हो गई,कमेटी को 7 दिन के अंदर जेजेएम चीफ इंजीनियर आरके मीणा को रिपोर्ट सौपनी थी,लेकिन अब तक ना जांच हुई और ना ही रिपोर्ट सौपी गई.चीफ इंजीनियर ने अलवर के एडिशनल चीफ इंजीनियर पीसी मिढा को पत्र लिखकर जांच के आदेश दिए थे.जिसके बाद में अधीक्षण अभियंता केसी मीणा को रिपोर्ट देनी थी.लेकिन केसी मीणा ने 20 दिन बाद भी रिपोर्ट नहीं सौपी. उनका कहना है कि XEN धर्मेंद्र यादव, AEN सौरभ शर्मा ने सैंपल ले लिए हैं. जल्द ही चीफ इंजीनियर को रिपोर्ट सौपी जाएगी. सांसद के दावे के बाद में XEN नरेंद्र प्रसाद गुप्ता को अलवर ग्रामीण से हटाया था.
बाबा बालकनाथ के ये आरोप थे
- बहरोड, भजनावास, नांगल स्तोकड़ा पंचायत समिति मुण्डावर में घटिया क्वाइलिटी के पाइप डाले गए हैं. श्रीराम लैब दिल्ली से इसको जांच करायी जाए.
-काफी जगह टंकी की डिजाइन में मृदा परीक्षण में एजेंसी के माध्यम गड़बड़ी कर विभाग के अभियन्ताओं ने स्टील बचाया है. जिससे करोड़ों का चूना मानक डिजाइन से बचने के लिए लगाया गया है.
-मालाखेड़ा के मुंडिया में समस्त कार्य घटिया किया गया है. किशनगढ़बास में बसई कला,नागलिया में पाइप लाइन का कार्य बेहद घटिया तरीके से किया गया.
इंजनीयिरों की सांठगाठ से पाइप की हो रही सप्लाई
ठेकेदारों ने अवगत कराया है कि कुछ अभियंता कारखाना निरीक्षण में बिना जांचे पाइप फर्म से सांठगांठ कर पाइप सही बताकर साइट पर भेज देते हैं. ऐसे कई पाइप विभाग की जयपुर टीम की जांच में पिछले 2-3 साल में फेल हो गए. लेकिन आज तक ऐसे अभियंता जिन्होने पाइप सही बताए उनके विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई.उलटे ठेकेदार को दोषी मानकर कार्रवाई कर दी गई. जबकि कारखाना निरीक्षण पाले अभियन्ता इसमें दोषी है. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि कही जांच पर आंच तो नहीं आ गई, क्योंकि यदि जब हफ्तेभर में रिपोर्ट मांगी गई थी तो अब तक रिपोर्ट क्यों नहीं दी.