Jaipur News: राजस्थान की बारिश किसी इलाके में मुसीबत बन रही है, तो कहीं खूबसूरती को निखार रही है. बात राजा-रजवाड़ों के जमाने का आमेर मावठा की करें तो अच्छी बारिश के बाद ये पानी से भर गया है. पानी से आमेर मावठे की खूबसूरती और बढ़ गई है.


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पारम्परिक जल स्त्रौत फिर से छलका


राजा रजवाड़ों के जमाने में बारिश के पानी को संचय करने का पारम्परिक जल स्त्रौत एक बार फिर से छलक उठा है. मावठा और सागर फिर पानी से फुल हुआ तो आमेर की खूबसूरती और बढ़ गई है. खूबसूरती के साथ साथ आमेर में कुएं,तालाब,कुंड,बावडियां भी भर गए है, जिससे आमेर और आसपास के इलाके में अगले साल जलसंकट की स्थिति पैदा नहीं होगी. मावठा लबालब हुआ और सागर में सालों बाद झरने छलकने लगे.


गुजरे जमाने में बनाए गए थे टांके


वैसे आमेर की राजा रजवाड़ों की भूमि न केवल बहादुरी और पराक्रम का परिचय है,बल्कि आमेर महल और मावठा झील का भी हर कोई कायल है. क्योंकि रजवाड़ों के जमाने में भी आमेर महल से लेकर मावठा झील तक पानी के संचय के पारम्परिक स्त्रौत आज भी वही तस्वीर बयां कर रहे है. राजा रजवाडे के समय मावठा और सागर ऐसी जगह पर बनाया गया था,जहां पूरे पहाड़ों का पानी एक जगह यही आता है.


पानी जरा भी नहीं होता है बर्बाद


पहाड़ों से बहकर बारिश के पानी की बर्बादी बिल्कुल भी नहीं होती. रजवाडे के जमाने में बारिश के पानी को संचय करने के पारंपरिक जल स्रोत बनाए गए थे. आमेर महल में बारिश का पानी एकत्रित करने के लिए टांके बनाए गए थे,बारिश का सारा पानी आज भी इन टांकों में इकट्ठा होकर सागर और मावठे में आता है.


इस सीख की जरूरत


सालभर राजा महाराजा इसी टांकों का शुद्ध पानी पिया करते थे.पहाड़ों से बहते पानी को राजा महाराजा शुद्ध माना करते थे.आज भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है और ड्रेनेज सिस्टम खत्म हो गया है.इसलिए आमेर के ड्रेनेज सिस्टम से हम सबको पानी बचाने की सीख जरूर लेनी चाहिए.


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