नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से चिढ़ा चीन, ताइवन की हवाई सीमा में घुसे ड्रैगन के लड़ाकू विमान
चीन की धमकियों के बीच अमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंची चुकी हैं. इससे नाराज चीन अमेरिका के खिलाफ और आगबबूला हो उठा है. नैंसी पेलोसी के दौरे से पहले ही ताइवान सरकार पर साइबर अटैक किया गया है. साथ ही ताइवान सरकार की वेबसाइट हैक कर ली गई है.
दिल्ली/जयपुर: चीन की धमकियों के बीच अमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंची चुकी हैं. इससे नाराज चीन अमेरिका के खिलाफ और आगबबूला हो उठा है. नैंसी पेलोसी के दौरे से पहले ही ताइवान सरकार पर साइबर अटैक किया गया है. साथ ही ताइवान सरकार की वेबसाइट हैक कर ली गई है. इस साबइर हमले के पीछे चीन का हाथ बताया जा रहा है.
नैंसी के इस दौरे पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है. वहीं, चीन नैंसी पेलोसी के दौरे से बौखला उठा है. चीन ने धमकी दी है कि अब इसका परिणाम अमेरिका और ताइवान की स्वतंत्रता की मांग करने वाली 'अलगाववादी ताकतों' को चुकाना होगा. ताइवान पहुंचने के बाद नैंसी पेलोसी ने कहा कि हमारे प्रतिनिधिमंडल की ताइवान यात्रा यहां के जीवंत लोकतंत्र का समर्थन करने के लिए अमेरिका की अटूट प्रतिबद्धता का सम्मान करती है. लोकतंत्र को हमारा समर्थन है.
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चीन के 21 लड़ाकू विमान ताइवान की सीमा में मंडरा रहे- ताइवान रक्षा मंत्रालय
वहीं, खबरें आ रही है कि अमेरिका की दखल के बाद चीन पूरी तरह से चिढ़ गया है. ताइवन की हवाई सीमा में चीन के लड़ाकू विमान घुस गए हैं. मीडिया खबरों के मुताबिक, चीन के 21 लड़ाकू विमान ताइवान में घुस गए हैं. ताइवान के रक्षा मंत्री ने खुद यह जानकारी दी है. वहीं, चीन की इस करतूत के बीच ताइवान भी अलर्ट मोड पर है. उनकी फोर्स ने युद्ध की पूरी तैयारी कर ली है.
अमेरिका को चीन की खुली चेतावनी
दरअसल, चीन नहीं चाहता कि अमेरिका ताइवान के मामले में दखल दे और उनका कोई प्रतिनधि ताइवान जाए. चीन ने अमेरिका को धमकी भरे में लहजे में कहा कि नैंसी के दौरे की वजह से इलाके में शांति भंग होगी और अस्थिरता आएगी.चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अमेरिका खतरनाक काम कर रहा है और अब उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे साथ ही इसकी जिम्मेदारी अमेरिका को लेनी होगी.
क्या है चीन और ताइवान का विवाद?
ताइवान और चीन के बीच तकरार काफी पुरानी है. 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी. तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश मानते हैं, लेकिन चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को स्वतंत्र देश के रूप में घोषित किया है. 1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया. हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए. उसी साल चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा. चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है. वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है. ताइवान का दावा है कि उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है.