Kisan Andolan: किसान आंदोलन के तहत 'दिल्ली चलो' मार्च को देखते हुए दिल्ली और हरियाणा में धारा-144 लागू है. साथ ही दिल्ली के तीन सीमाओं सिंघु, टीकरी, गाजीपुर में लोहे और कंक्रीट के बैरिकेड लगाए गए हैं. वहीं, पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने किसान आंदोलन को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि किसान देश के अन्नदाता है. फिर भी केंद्र सरकार उनके साथ ऐसा व्यवहार कर रही है. नई पीढ़ी को क्या सीख दी जा रही है? 


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किसानों के तो पहले भी आंदोलन हो चुके हैं. पिछले आंदोलन के दौरान किसानों ने सरकार को झुकाया था लेकिन इनकी सोच निकम्मी और नाकारा है, जो देश को बर्बाद कर रही है. ईडी-सीबीआई के छापे लगातार पढ़ रहे हैं. आने वाले समय में पता नहीं देश कहां जाने वाला है. 


बता दें कि ये किसान आंदोलन 2.0 है. इसको लेकर पंजाब के किसान दिल्ली कूच के लिए रवाना हुए. इस आंदोलन में किसानों की सबसे बड़ी मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP को लेकर है. किसानों की कुल 12 मुख्य मांगें हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं: 


किसानों की 12 मांगें 
सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP की गारंटी का कानून सरकार द्वारा बनाया जाए. 
मजदूरों और किसानों के लिए संपूर्ण र्जमाफी योजना लागू हो. 
विश्व व्यापार संगठन से हटें और सभी मुक्त व्यापार समझौतों पर प्रतिबंध. 
पूरे देश में भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को फिर से लागू किया जाए. किसानों से लिखित सहमति सुनिश्चित और कलेक्टर दर से चार गुना मुआवजा मिले. 
बिजली संशोधन विधेयक 2020 को सरकार द्वारा रद्द किया जाए. 
लखीमपुर खीरी नरसंहार के अपराधियों को सजा दी जाए और प्रभावित किसानों को न्याय दिया जाए. 
किसानों और खेतिहर मजदूरों को पेंशन प्रदान करना. 
दिल्ली आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए. साथ ही परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिली. 
कीटनाशक, नकली बीज और उर्वरक बनाने वाली कंपनियों पर जुर्माना और बीज की गुणवत्ता में सुधार किया जाए. 
इसे खेती से जोड़कर गर साल 200 दिन का रोजगार और मनरेगा के तहत 700 रुपये की दैनिक मजदूरी दी जाए. 
कंपनियों को आदिवासियों की जमीन लूटने से रोककर जंगल, जल और जमीन पर वहां रहने वाले लोगों को अधिकार दिया जाए. 
हल्दी, मिर्च और अन्य मसालों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए. 


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