Astrology : 35 साल की उम्र के बाद चमकती है किस्मत, शनि देव बरसाते हैं इन लोगों पर कृपा
Astrology : वैदिक ज्योतिष में आपकी कुंडली में जन्म से लेकर 48 साल तक ग्रहों का उम्र तक सभी ग्रहों का उम्र के प्रत्येक वर्ष में अलग-अलग प्रभाव होता है. हमारे जीवन पर चंद्र, मंगल और बृहस्पति के बाद शनि का विशेष प्रभाव देखने को मिलता है. अगर आपकी कुंडली में शनि इस घर में विराजमान है तो 35 वर्ष की उम्र के बाद आपका भाग्य खुल जाएगा और तब आपको हर कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी.
Astrology : वैदिक ज्योतिष में आपकी कुंडली में जन्म से लेकर 48 साल तक ग्रहों का उम्र तक सभी ग्रहों का उम्र के प्रत्येक वर्ष में अलग-अलग प्रभाव होता है. हमारे जीवन पर चंद्र, मंगल और बृहस्पति के बाद शनि का विशेष प्रभाव देखने को मिलता है. अगर आपकी कुंडली में शनि इस घर में विराजमान है तो 35 वर्ष की उम्र के बाद आपका भाग्य खुल जाएगा और तब आपको हर कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी.
शनि ग्रह का असर आयु के 36 से 42 वर्ष के बीच नजर आता है. अगर शनि अच्छा है तो मकान, व्यवसाय और राजनीति में लाभ लेकिन यदि अशुभ हो तो हानि देता है. लाल किताब की मानें तो 34 वर्ष से 36 वर्ष की उम्र तक बुध का प्रभाव रहता है और 36 वर्ष से 42 वर्ष की उम्र तक शनि का प्रभाव रहता है. बुध का संबंध जहां व्यापार और नौकरी से रहता है.
वहीं शनि का संबंध आपके जीवन की अन्य कई महत्वपूर्ण बातों से रहता है. अगर आपकी कुंडली में इनमें से कोई भी ग्रह खराब हो रहा है, तो सावधान रहने की जरूरत है. यही उम्र आपके में स्थायित्व लाती है. अगर आप निम्नलिखित उपाय करते हैं तो इस वर्ष आप मनचाही सफलता अर्जित कर सकते हैं.
अगर आपकी कुंडली में शनि अष्टम यानी आठवें स्थान में विराजमान हैं तो आपको किसी भी प्रकार का कोई गंभीर रोग नहीं होगा. ऐसा कहा जाता है कि इस स्थान में शनि के होने से आपको जीवन में कितने ही दुख मिलें, लेकिन 35 साल के बाद आपकी किस्मत का सितारा चमकता है. आपका भाग्योदय होता है. आपको कहीं से धन लाभ तो होता ही है साथ ही आपकी आयु लंबी भी होती है.
अगर शनि शुभ स्थिति में ना हो तो ये ज्योतिषी उपाय कारगार है-
शराब न पीएं और भगवान भैरव की उपासना करें.
दांत साफ रखें और अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाइकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें.
शनि खराब है तो तिल, उड़द, लोहा, तेल, काला वस्त्र और जूता दान करें.अच्छा हो तो न करें.
कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलावें.
हर शनिवार को छाया दान करें.