Bagru: राजधानी जयपुर के बगरू रीको औधोगिक क्षेत्र और महिंद्रा वर्ल्ड सिटी स्पेशल इकोनोमिक जोन जैसे महत्वपूर्ण औधोगिक क्षेत्रों को जोड़ने वाली सड़क पिछले करीब कई वर्षों से बेहद खस्ताहाल में पड़ी अपनी दशा सुधरने की बाठ जोह रही है. करीब दो किलोमीटर लंबी इस सड़क पर सैकड़ों गड्ढे पड़ चुके है. सड़क में कितने गड्ढे है ये तो गिनना लगभग नामुमकीन है लेकिन गढ्डों के बीच कितनी सड़क बची है, इसका हिसाब जरूर लगाया जा सकता है. दो महत्वपूर्ण औधोगिक क्षेत्रों को जोड़ने वाली सड़क पर अगर जेडीए प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है और इसकी सुध नहीं ले रहा है तो फिर आम सड़कों को सुधारने की तो जेडीए अधिकारियों से उम्मीद ही कैसे की जा सकती है.


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इस रास्ते से रोजाना हजारों श्रमिक और अन्य लोग महिंद्रा वर्ल्ड सिटी सेज में रोजगार करने आते जाते है. वहीं मालवाहक वाहनों के गुजरने का सिलसिला भी चोबिसों घंटे जारी रहता है. चाहे दुपहिया वाहन चालक हो फिर भारी भरकम मालवाहक वाहन चालक हो. इस सड़क से गुजरते समय सबकी सांसे अटकी रहती है. कब किसके साथ कोई अनहोनी हो जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं है. हालांकि अब तक कई राहगीर और वाहन चालक दुर्घटनाओं के शिकार हो चुके है. 


बरसात के इस मौसम में सड़क तलैया सी नजर आ रही है, दो तरफा यातायात वाली इस सड़क के एक तरफ तो बबूलों के कब्जा जमा लिया है, जिसके चलते इस तरफ से तो लोगों ने आवागमन ही बंद कर दिया है. दो से तीन फीट गहरे गढ्डों में बारिश का पानी भर जाने के बाद इस सड़क से गुजरना जान बूझकर जिंदगी आफत में डालने जैसा है, लेकिन मजबूर लोग करे भी तो क्या करे. दूसरे वैकल्पिक रास्तों से आवागमन भी आसान नहीं है. एक तो दोगुनी दूरी तय करनी पड़ती है दूसरा वे रास्ते भी सुलभ नहीं है. 


सड़क की बदहाली देखकर एक बार तो किसी भी राहगीर और वाहन चालक के कदम ठिठिक जाए. इस सड़क की हालत सुधारने को लेकर बगरू इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल जेडीए और रीको अधिकारियों और विधायक गंगा देवी को पत्र लिखकर और व्यक्तिगत रूप से कई बार अवगत करवा चुके है. साथ ही उन्होंने बताया कि जिन उद्यमियों की बगरू रीको में औधोगिक इकाइयां है, उनमें से कई उद्यमियों की यूनिट्स महिंद्रा वर्ल्ड सिटी सेज में भी है, उन लोगों को एक यूनिट से दूसरी यूनिट में जाने के लिए लंबा चक्कर लगाना पड़ता है, क्योंकि किसी भी चौपहिया वाहन का इस मार्ग से गुजरना लगभग नामुमकिन है. खराब सड़कों की वजह से निवेश पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.


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वहीं रीको के आखिरी छोर पर स्थित जयपुर टेक्सक्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड को ये सड़क सीधे सांगानेर एयरपोर्ट से जुड़ती है. भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के अधीन स्थापित इस संस्थान में आने वाले अधिकांश व्यापारी और अधिकारी सांगानेर एयरपोर्ट से आते है. इन लोगों के आने के लिए ये सड़क मार्ग ज्यादा किफायती और सुगम पड़ता है लेकिन सड़क की हालत इतनी खराब है कि कोई इस पर सफर करने की सोच भी नहीं सकता, जिसके चलते इन लोगों को जयपुर होकर आने में लंबा चक्कर लगाना पड़ता है, जिससे धन और समय की बेवजह बर्बादी होती है. 


जयपुर टेक्सक्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के एमडी विक्रम जोशी भी इस सड़क के सुधार को लेकर कई मर्तबा जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को अवगत करवा चुके है लेकिन जयपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारी ना जाने कौनसी नींद में सोए हुए है कि उन्हें ना तो आम आदमी की तकलीफ ही दिखाई देती है और ना ही सरकार को करोड़ों रुपये राजस्व देने वाले इन उद्यमियों की आवाज ही सुनाई देती है. आखिर जेडीए प्रशासन क्यों इस सड़क मार्ग और यहां से गुजरने वाले हजारों लोगों की जान को जोखिम में डालने पर तुला हुआ है.


Reporter: Amit Yadav


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