Jaipur: राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने करौली के नादौती पंचायत समिति में कार्यरत ग्राम विकास अधिकारी को सुनवाई को मौका दिए बिना निकाली गई रिकवरी पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अधिकरण ने प्रमुख पंचायती राज सचिव और करौली जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. अधिकरण के चेयरमैन शिखर अग्रवाल और न्यायिक सदस्य शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रेम सिंह की अपील पर दिए. 


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अपील में अधिवक्ता विजय पाठक ने अधिकरण को बताया कि अपीलार्थी ग्राम विकास अधिकारी (Village Development Officer) को ग्राम पंचायत में किए गए कार्यों को पूरा नहीं होने पर उसमें व्यय की गई राशि को व्यक्तिगत रूप से जमा कराने के आदेश जारी किए गए थे. इसके अलावा राशि जमा नहीं कराने पर अपीलार्थी के वेतन से हर माह वसूली के आदेश जारी किए गए. 


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अपील में कहा गया कि वसूली आदेश जारी करने से पूर्व अपीलार्थी को न तो कोई नोटिस जारी किया गया और ना ही उसे सुनवाई का कोई मौका मिला. जबकि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के तहत अपीलार्थी के खिलाफ की गई कार्रवाई से पहले उसका पक्ष सुना जाना जरूरी था. 


इसके अलावा पंचायती राज नियमों और सीसीए नियमों के प्रावधानों के तहत जांच के बाद कर्मचारी को दोषी पाए जाने पर ही दंडित किया जा सकता है. ऐसे में अपीलार्थी के खिलाफ जारी रिकवरी आदेश को निरस्त किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने रिकवरी आदेश की क्रियान्विति पर अंतरिम रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
Report- Mahesh Pareek