Jaipur: राजस्थान के जयपुर (Jaipur News) की ब्रह्मपुरी थाना पुलिस ने उप निरीक्षक भर्ती परीक्षा में फर्जी अभ्यर्थी बिठाकर नकल करवाने वाले हाईप्रोफाईल गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों में 3 फर्जी परीक्षार्थी, 1 अभ्यर्थी और 4 दलाल शामिल है. पुलिस की ओर से गिरफ्तार आरोपियों में मुख्य सरगना सरकारी स्कूल का व्याख्याता है.


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एसआई भर्ती परीक्षा (SI Recruitment Exam 2021) में धांधली करने वाले लोगों की गिरफ्तारियों के बाद परीक्षा की प्रणाली की साख पर सवाल खड़े होने लगे है. ब्रह्मपुरी थाना पुलिस (Brahmapuri Thana Police) ने परीक्षा में धांधली करने वाले एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया है, जो कि परीक्षा में फर्जी अभ्यर्थियों को बिठाकर परीक्षा दिलवा रहा था. 


मुकदमा किया गया दर्ज 
डीसीपी नोर्थ पारिस देशमुख ने बताया कि ब्रह्मपुरी इलाके के परीक्षा केन्द्र ध्रुव बाल निकेतन सीनियर सैकेंडरी स्कूल में फर्जी अभ्यर्थी बन परीक्षा देने वाले युवक को डिटेन कर पूछताछ की गई और मुकदमा दर्ज किया गया. आरोपी से पूछताछ करते हुए पुलिस ने अनुसंधान शुरू किया तो सामने आया कि फर्जी अभ्यर्थी को परीक्षा में बिठाने के लिए एक गिरोह काम कर रहा है, जिसके बाद एडिश्नल डीसीपी सुमित गुप्ता के निर्देशन में एक विशेष टीम का गठन किया गया. टीम ने प्रदेश के अलग-अलग जगहों पर छापेमारी करते हुए 3 फर्जी परीक्षार्थी चनणाराम विश्नोई, हनुमान विश्नोई और महादेव विश्नोई को गिरफ्तार किया.


18 से 22 लाख रुपये सौदा
पुलिस की ओर से भंडाफोड़ किए गिरोह का मुख्य सरगना नेतराम मीणा है, जो कि सवाईमाधोपुर (Sawai Madhopur) के खंडार स्कूल में सरकारी व्याख्याता है. पुलिस ने नेतराम के सहयोगी भंवरलाल को गिरफ्तार किया है, जो कि बाड़मेर (Barmer) में सरकारी शिक्षक है. वहीं, पूछताछ में सामने आया कि गिरोह की ओर से सब इंस्पेक्टर परीक्षा में 8 अभ्यर्थियों की जगह पर फर्जी अभ्यर्थियों को बिठाया था. फर्जी अभ्यर्थी बिठाने का सौदा 18 से 22 लाख रुपये में हुआ था. 


इस तरह होता था दस्तावेजों में बदलाव 
अभ्यर्थियों से 1 लाख 80 हजार रुपये एडवांस लिये गए थे. मुख्य सरगना नेतराम करौली, सवाईमाधोपुर, धौलपुर (Dholpur), दौसा (Dausa) के अभ्यर्थियों से संपर्क कर उनकी जगह पर फर्जी अभ्यर्थी बिठाता था. गिरोह के सदस्यों की ओर से अभ्यर्थी के दस्तावेजों में कम्प्यूटर तकनिक के जरिए काट-छांट कर डमी अभ्यर्थियों की फोटो लगाकर कूटरचित आधार कार्ड तैयार किए जाते थे. अभ्यर्थियों से ली गई 18 से 22 लाख रुपये की राशी में से 5 लाख रुपये फर्जी अभ्यर्थी को, 5 लाख रुपये मध्यस्थ को दिए जाते थे. बाकि 10 से 12 लाख रुपये नेतराम खुद रख लेता था.


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अभ्यर्थियों की जल्द हो सकती है गिरफ्तारी 
फर्जी अभ्यर्थी की ओर से परीक्षा दिए जाने के बाद, पेपर बूक और OMR शीट मध्यस्थ के माध्यम से मुख्य सरगना नेतराम को पंहुचाई जाकर नेतराम की ओर से पेपरबूक और ओएमआर शीट सबूत के तौर पर अभ्यर्थी को दी जाती और उत्तर मिलाने होने के बाद मूल अभ्यर्थी को ओर से बकाया रुपये लेना तय हुआ था. फिलहाल पुलिस की आरोपियों से पूछताछ जारी है, जिसके आधार पर फरार चल रहे अभ्यर्थियों की जल्द गिरफ्तारी हो सकती है.