Jaipur: कहा जाता है कि जीवन में कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, बस आप अपने काम को कितनी शिद्दत के साथ करते हैं, आपकी वही मेहनत उस काम को महत्वपूर्ण बनाती है. ऐसा ही कुछ दिखा सरकार के केन्द्र शासन सचिवालय में. यूं तो 31 अगस्त का दिन भी एक सामान्य दिन की तरह था कुछ लोगों के लिए ऑफिस का रुटीन दिन तो सरकार में चालक के रूप में काम करने वाले सीताराम गुर्जर के लिए अपनी सरकारी नौकरी का आखिरी दिन, लेकिन सीताराम गुर्जर के रिटायरमेन्ट पर हुए विदाई समारोह को उनकी बॉस और सरकार में विधि सचिव के रूप में काम संभाल रही अनुपमा राजीव बिजलानी ने यादगार बना दिया. दरअसल, सीताराम की नौकरी के आखिरी दिन विदाई समारोह के बाद जब अपने ड्राइवर की चालक बनकर खुद बिजलानी ने उनकी गाड़ी चलाई तो दफ्तर के कई लोग हैरान दिखे और सीताराम भावुक हो गए.


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किसी व्यक्ति के काम का सबसे बड़ा सर्टिफिकेट उसके बॉस से मिला प्रशस्ति पत्र ही माना जाता है. ऐसे में अगर बॉस खुद उस काम को करने लगे जो मातहत का हो तो उसकी अहमियत और बढ़ जाती है. सचिवालय में भी बुधवार को ऐसा ही रोचक नजारा दिखा. दरअसल, सरकारी सेवा में चालक के पद पर अपने 35 साल की नौकरी पूरी करने वाले सीताराम गुर्जर 31 अगस्त को रिटायर हो गए. रिटायरमेन्ट पर दफ्तर में पार्टी भी हुई और आमतौर पर जिस तरह विदाई समारोह होते हैं वैसे ही उनके काम की तारीफ में साथियों ने अपनी भावना भी रखी लेकिन सीताराम गुर्जर को अपने काम का जो सबसे महत्वपूर्ण तोहफा और तारीफ मिली वह अपने ही बॉस से मिली.


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पिछले डेढ़ साल से विधि सचिव अनुपमा राजीव बिजलानी की गाड़ी चला रहे सीताराम के विदाई समारोह के बाद वे घर जाने लगे तो गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर बैठे चालक को देखकर खुद सीतारम हैरान रह गए. यूं तो परिवार वाले रिटायरमेन्ट के बाद अपने मुखिया को लेने आए थे, लेकिन विधि सचिव अनुपमा बिजलानी खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गई. इसी बीच कैमरों के फ्लैश चमक उठे तो साथी कर्मचारियों ने भी अपने मोबाइल में फोटो उतारना शुरू कर दिया. कुछ फोटो खिंचने के बाद विभाग के कर्मचारियों ने विधि सचिव से गाड़ी से उतरने का आग्रह किया लेकिन अनुपमा बिजलानी ने यह कहते हुए उतरने से इनकार कर दिया कि, ''अगर सीताराम जी रोजाना हमारी गाड़ी चला सकते हैं तो एक दिन तो हम भी उनके ड्राइवर बन ही सकते हैं.'' इसके बाद विधि सचिव अनुपमा बिजलानी ने सचिवालय के मुख्य द्वार तक गाड़ी चलाकर अपने ड्राइवर सीताराम गुर्जर को स्पेशल विदाई दी और उनके रिटायरमेन्ट को भी यादगार बना दिया.


35 साल में कभी सीएल-पीएल के नाम पर छुट्टी नहीं ली सीताराम ने 


अपनी नौकरी के 27 साल आरटीडीसी और आठ साल विधि विभाग में देने वाले सीतारम गुर्जर ने अभी तक छह विधि सचिवों की गाड़ी चलाई. इसमें धर्मदत्त शर्मा, आशुतोष मिश्रा, चंचल मिश्रा, हुकुम सिंह राजपुरोहित, अनूप सक्सेना और अनुपमा राजीव बिजलानी उनके बॉस रहे. विधि विभाग में रिवर्स डेपुटेशन पर आने से पहले सीताराम ने आरटीडीसी में भी कभी छुट्टी नहीं ली. सीताराम कहते हैं कि इस दौरान वे कभी भी देरी से नहीं पहुंचे.उनके काम के लिए साल 1992 में उन्हें पर्यटन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.


उत्तरकाशी में लैण्ड स्लाइडिंग में बचाई थी 20 लोगों की जान 


चालक के पद से रिटायर हुए सीताराम को गंगोत्री में एक हादसे में लोगों की जान बचाने के लिए भी प्रशस्ति पत्र मिल चुका है. साल 1992 में गंगोत्री में लैण्ड स्लाइडिंग के हादसे के वक्त उन्होंने बीस लोगों की जान बचाई थी. तब बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन और उत्तरकाशी के ज़िला कलक्टर ने भी उन्हें प्रशस्ति पत्र दिया था.