Budget 2022 Expectations: उम्मीदों की हरियाली, किसान और किसानी के लिए इस बार बढ़ेंगे बजटीय प्रावधान 1 फरवरी को आम बजट से राजस्थान को भी काफी उम्मीदें हैं. राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने बजट को लेकर सुझाव दिए. बजट में किसान सस्ती दरों पर लोन, खेती के लिए नई तकनीकों का प्रोत्साहन, कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि उत्पाद निर्यात,फसल विविधीकरण के लिए प्रोत्साहन, यूरिया पर कम निर्भरता, कृषि क्षेत्र के विधिवत विकास, टैक्स में राहत, इंफ्रा, लॉजिस्टिक, वेयरहाउस पर ध्यान संभव भारत में खाद्य तेल का उत्पादन बढ़ाने के लिए योजनाएं बनाई जाए.


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राजस्थान में सरसों की पैदावार बढ़ाने के लिये बड़े स्तर पर योजना बने. बारानी पड़ी जमीन को समतल करने के लिये किसान को लागत का 80 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध हो, मिट्टी व पानी के अनुसार राजस्थान में होने वाले मौसम का ख्याल रखकर बीज पर रिसर्च करवाई जाए. किसान को सरसों की खेती के लिये आवश्यक उपकरणों पर अधिक सब्सिडी दिये जाने का प्रावधान किया जाए.


राजस्थान से भारत के अन्य प्रदेशों में सरसों तेल को पहुंचाने के लिए रेलवे पीस मिल बुकिंग एक डिब्बा को पुन चालू करें. सरसों तेल में वेल्यू एडिशन के लिये सरसों तेल उत्पादन करने वाली मशीनों, पैकिंग मैटेरियल और लेबोरेट्री सिस्टम के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया जाए. दकिसान और कारखानेदार को ट्रेनिंग देने के लिए ट्रेनिंग सेंटर खोले जाए.


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कच्ची घाणी को प्रोत्साहन देने के लिए कोल्हू पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाए. राजस्थान में भरपूर तिलहन उपलब्ध है. सरसों 50 लाख टन, मूंगफली 20 लाख टन, सोयाबीन 8 लाख टन, अरण्डी 4 लाख टन, तिल 2 लाख टन, बिनौला 4 लाख टन उपलब्ध है. इनकी पैदावार दुगुनी करने के लिये योजना बनाई जानी चाहिए. 


खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों को मिले प्रोत्साहन
जिस जिले में जिस कृषि जिंस की पैदावार होती है, वहां उसका उद्योग लगाया जाए. इसके लिए एक रोडमैप तैयार किया जाए. रामगंजमण्डी और कोटा क्षेत्र के धनिये व लहसुन की खेती को प्रोत्साहित किया जाए. धनिया भण्डारण और प्रसंस्करण के लिये लगने वाले उद्योगों को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाए.


मेड़ता, नागौर और जोधपुर जीरे के उत्पादन का बड़ा क्षेत्र है. वेल्यू एडिशन के साथ यहां स्थापित किये जाने वाले उद्योगों को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जानी चाहिये.
नागौर, नोखा, सांचौर, बाड़मेर आदि जिलों में ईसबगोल की भरपूर पैदावार हो रही है. यहां पर ईसबगोल के उद्योग लगाने वाले को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जानी चाहिए.


सोजत सिटी और इसके आसपास का क्षेत्र मेहंदी की पैदावार के लिए अंतर्राष्ट्रीय पहचान, मेहंदी में प्रचुर मात्रा में केमिकल प्रयोग होने लगा है. केमिकल रहित मेहंदी पाउडर निर्माण करने वाले उद्योगों को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जानी चाहिए. राजस्थान में कपास की भरपूर पैदावार होती है. 


श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ जिला तथा गुलाबपुरा, विजयनगर तथा खैरथल मण्डियां इससे जुड़ी हुई है. करीब 20 लाख गांठ का उत्पादन इन मण्डियों में होता है. जिनिंग फैक्ट्रियों को बढ़ावा दिया जाए. दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों से मिलकर योजना बनाई जाए. चावल बनाने के उद्योग लगते हैं तो 40 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान किया जाए. कृषि उद्योगों पर बैंकों का टर्म लोन, वेयरहाउसिंग व सी.सी. लिमिट के को लेकर राहत मिले.


उद्योगों के लिये ट्रेण्ड स्किल्ड लेबर की व्यवस्था के लिये प्रशिक्षण केंद्र खोले जाने चाहिए. एन.सी.डी.ई.एक्स. से सभी कृषि जिंसों को बाहर किया जाना चाहिए. राजस्थान में बोये जाने वाले बाजरे का सीड राजस्थान में ही तैयार किया जाए. इसके लिये प्रयोगशाला की स्थापना की जानी चाहिए. ई-नाम व्यवस्था पर पुनर्विचार किया जाए. केंद्र सरकार द्वारा ई-नाम योजना को धरातल पर लागू किया जाए, मण्डियों में ढोम बनाये जायें जिससे किसानों की फसल सुरक्षित रहे.


मंडी टैक्स को लेकर एक देश एक व्यवस्था लागू किया जाए, मण्डियों में ग्रेडिंग व क्लिनिंग की व्यवस्था की जाए. मण्डियों के पास ही वेयरहाउसेज और कोल्ड स्टोरेज स्थापित किये जाए. मण्डियों के नजदीक ही पैदावार के अनुसार उससे संबंधित उद्योग लगाये जाए. प्रत्येक मण्डी में व्यापारी सभास्थल, किसान सभास्थल व श्रमिक सभास्थल के निर्माण किये जाए. इसके साथ ही मण्डियों को ड्राईपोर्ट से जोड़ा जाए.


आयकर मुक्त राशि 2.50 लाख से बढ़ाकर 4 लाख की जाए. आयकर में दी जाने वाली छूट 3 लाख तक की जाए. जीएसटी की ऐसी व्यवस्था बनायी जानी चाहिये, जिससे कर अपवंचना को बढ़ावा नहीं मिले. रिवर्स मैकेनिज्म को और स्पष्ट किया जाए. भारत में उत्पादित तेल व तिलहन को जीएसटी से मुक्त किया जाए.


मिर्च, हल्दी, धनिया, अमचूर, जीरा, सौंफ को निल जीएसटी की श्रेणी में लाया जाए. पशु आहार को जीएसटी से बाहर रखा गया है लेकिन इसमें काम आने वाली सरसों खल तथा चापड़, गेहूं चोकर को जीएसटी में शामिल है.