Jaipur: राजस्थान में मंत्रिमंडल पुनर्गठन (Cabinet Reorganization) को लेकर एक बार फिर बीजेपी (BJP) ने सरकार पर निशाना साधा है. प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ (Rajendra Rathod) ने मंत्रिमंडल पुनर्गठन के बाद मुख्यमंत्री के सलाहकारों की नियुक्ति पर सवाल उठाया है. इसके साथ ही राठौड़ ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति से पहले ही संसदीय सचिव बनाना का विरोध कर दिया है. उन्होंने कहा कि सीएम के सलाहकार बने विधायक भी अवैधानिक पद पर हैं और संसदीय सचिव का पद भी लाभ का पद है. लिहाजा उन्होंने राज्यपाल कलराज मिश्र (Kalraj Mishra) को इस मामले में दखल देकर न्यायोचित काम कराने के निर्देश सरकार को देने के लिए आग्रह किया है. 


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उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मंत्रिमंडल पुर्नगठन और मुख्यमंत्री के सलाहकारों की नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री (CM Ashok Gehlot) पर निशाना साधा है. उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने अपने निवास पर प्रेसवार्ता कर कहा कि सरकार पर संकट के समय मुख्यमंत्री ने 5 सितारा होटल में प्रलोभन दिया था. कसमें वादे पूरे करने के लिए अब 6 सलाहकारों की अवैधानिक नियुक्ति की है. 


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साथ ही कुछ लोगों को संसदीय सचिव बनाने की कवायद भी तेज हो गई है. सलाहकारों की राजनीतिक नियुक्ति और संसदीय सचिवों की नियुक्ति संवैधानिक रूप से गलत है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और अलग-अलग अदालतों के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि कई प्रदेशों ने संसदीय सचिव नियुक्त किए तब उन्हें अयोग्य घोषित किया गया था. मुख्यमंत्री गहलोत संभावित विद्रोह को दबाने के लिए रेवड़ी बांट रहे हैं. पूरे देश मे ये पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने इतने सलाहकार बनाए. 


मुख्यमंत्री अगर सलाहकारों को पत्रावली भी भेजें तो कानून की अवहेलना है. राठौड़ ने पोस्ट ऑफ प्रॉफिट जैसे उदाहरण देते हुए कहा कि इन नियम के तहत सांसद और विधायक लाभ का कोई पद धारण नहीं कर सकते. सलाहकारों की नियुक्ति को लेकर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि इसी राज्य सरकार (Rajasthan Government) में अरविंद मायाराम और डीबी गुप्ता को सलाहकार बनाया. अशोक गहलोत पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो इतने कमजोर है कि 8 सलाहकारों की जरूरत पड़ रही है. वहीं, उन्होंने मंत्रिमंडल के पुनर्गठन को लेकर कांग्रेस पार्टी में उठे असंतोष पर कहा कि कांग्रेस पार्टी जूतों में दाल बांटने का काम करती है. ऐसे में उनके अपने जोहरीलाल मीणा, सफिया जुबैर और खिलाड़ी लाल बैरवा और रामकेश मीणा पार्टी और पार्टी नेताओं के खिलाफ ही ऐसे बयान दे रहे हैं.