Janmashtmi: इस साल जन्माष्टमी 19 अगस्त को मनाई जा रही है. मथुरा, वृंदावन और द्वारिका के साथ ही इस्कॉन मंदिरों में 19 तारीख को ही मनाई जाएगी. ज्योतिष परिषद और शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ का कहना है शास्त्र मत भी 19 तारीख को श्रेष्ठ बता रहा है. इसलिए उत्तर भारत में ज्यादातर जगहों पर 19 अगस्त को ही कृष्ण जन्मोत्सव मनेगा. इस दिन तिथि, वार, नक्षत्र और ग्रहों से मिलकर 8 शुभ योग बन रहे हैं.


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क्यों मनाएं 19 को
इस बार जन्माष्टमी को लेकर कंफ्यूजन इसलिए हैं क्योंकि अष्टमी तिथि 18 अगस्त को पूरे दिन नहीं रहेगी, बल्कि रात में करीब 9.30 से शुरू होगी, लेकिन 19 को सूर्योदय से रात तक रहेगी. इसलिए उदया तिथि की परंपरा के मुताबिक ज्यादातर मंदिरों में 19 तारीख को मनाएंगे.


ज्योतिष परिषद और शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ का कहना है कि व्रत और पर्वों की तारीख तय करने के लिए धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु नाम के ग्रंथों की मदद ली जाती है. इन दोनों ही ग्रंथों में जन्माष्टमी के लिए कहा गया है कि जिस दिन सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि हो उसी दिन ये त्योहार मनाना ज्यादा शुभ होता है. ये भी कहा है कि स्मार्त और शैव जिस दिन जन्माष्टमी मनाते हैं, उसके अगले दिन गृहस्थ और वैष्णव संप्रदाय ये पर्व मनाता है. इसलिए 19 को ये त्योहार मनाना ज्यादा बेहतर है.


श्रीकृष्ण का 5249वां जन्मोत्सव
ज्योतिष परिषद और शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ का कहना है श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रात के आठवें मुहूर्त में हुआ था. इसलिए रात 12 बजे कृष्ण जन्मोत्सव शुरू होता है. ये मुहूर्त इस बार 12.05 से 12.45 तक रहेगा. सितारों की स्थिति के कारण इस बार ये त्योहार और बेहद खास हो गया है. मौजूद ग्रंथों के मुताबिक ये भगवान कृष्ण का 5249वां जन्म पर्व है.


जन्माष्टमी पर आठ योग
19 अगस्त को महालक्ष्मी, बुधादित्य, ध्रुव और छत्र नाम के शुभ योग रहेंगे साथ ही कुलदीपक, भारती, हर्ष और सत्कीर्ति नाम के राजयोग बन रहे हैं. इस तरह जन्माष्टमी पर इन आठ योगों का महासंयोग पिछले 400 सालों में नहीं बना. इन योगों में पूजा करने से पुण्य फल और बढ़ जाएगा. खरीदारी के लिए भी पूरा दिन शुभ रहेगा.


किस योग का क्या महत्व
ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ का कहना है


महालक्ष्मी: चंद्रमा और मंगल से बनने वाले इस योग में लेन-देन और निवेश करना फायदेमंद होता है।


बुधादित्य: ये शुभ योग सूर्य और बुध से बनता है। इसमें किए कामों में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।


ध्रुव: तिथि, वार और नक्षत्र से बनने वाला ये योग शुभ कामों के लिए बहुत ही खास माना गया है।
छत्र: शुक्रवार और कृत्तिका नक्षत्र से बन रहे इस योग में नई नौकरी या बिजनेस शुरू करना शुभ होता है।


कुलदीपक: बुध, गुरु और मंगल से बन रहे इस शुभ योग में भगवान की पूजा से संतान की तरक्की होती है।
भारती: ये योग गुरु और मंगल से बन रहा है। इसमें किए गए शुभ कामों का पुण्य और बढ़ जाता है।


हर्ष: इस राजयोग में किए गए कामों में किस्मत का साथ मिलता है। सुख और समृद्धि भी बढ़ती है।
सत्कीर्ति: नौकरी और बिजनेस की शुरुआत के लिए इस योग को बहुत ही खास माना गया है।


दिनभर में पूजा के पांच मुहूर्त
ज्योतिष परिषद और शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ का कहना है कि
कृष्ण जन्मोत्सव रात में मनाने की परंपरा है. लेकिन कुछ लोग रात में भगवान की पूजा नहीं कर पाते हैं. जिसके चलते दिनभर अष्टमी तिथि के दौरान शुभ मुहूर्त में कृष्ण पूजा कर सकते हैं. इसके लिए विद्वानों ने राहुकाल का ध्यान रखते हुए शुभ लग्न और चौघड़िया मुहूर्त बताए हैं. इस तरह दिनभर में पूजा के लिए कुल 5 शुभ मुहूर्त रहेंगे.


खरीदारी के लिए शुभ दिन
पंडित गौड़ के मुताबिक इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि में अपने मित्र ग्रह मंगल के साथ एक ही राशि और नक्षत्र में मौजूद है. जिससे महालक्ष्मी योग बन रहा है. इस शुभ योग में निवेश, लेन-देन और प्रॉपर्टी की खरीदी-बिक्री करना फायदेमंद रहेगा.


ज्योतिष परिषद और शोध संस्थान अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ का कहना है कि इस दिन पुष्य नक्षत्र में शुक्र के होने से समृद्धि देने वाला योग बन रहा है. जिससे हर तरह की खरीदारी के लिए दिन शुभ रहेगा. इस दिन जया तिथि होने से नई शुरुआत में सफलता मिलेगी. सूर्य बुध का बुधादित्य योग इस दिन को और शुभ बना रहा है.


व्रत-उपवास की परंपरा
जन्माष्टमी पर व्रत-उपवास की परंपरा है. पुराणों में कहा गया है इस दिन बिना अन्न खाए भगवान कृष्ण की पूजा करने से पिछले तीन जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं. मनोकामना भी पूरी होती है. वहीं, ये परंपरा सेहत के नजरिये से भी खास है. क्योंकि इस पर्व पर बारिश का मौसम होता है. जिससे खाना देरी से और कम पचता है. इस कारण बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है. ये ही वजह है की जन्माष्टमी पर व्रत-उपवास करने से मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है और सेहत में भी सुधार होता है.


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