Jaipur: गुलाबी नगरी जयपुर में पद्मभूषण पंडित अजय चक्रवर्ती ने शास्त्रीय गायन की बेहतरीन प्रस्तुतियां दी. पंडित चक्रवर्ती ने कार्यक्रम की शुरुआत ''याद पिया की आए'' से करी, जिसे मांड गायकी के रूप में गाया गया, जिसके बाद दर्शक की तालियों से पूरा हॉल गूंज उठा. इसके बाद ''साजन तुम मत जानियो के तुम बिछड़े मोहे चैन'', का करूं सजनी आए ना बालम'', पढ़िया पडूँ तोरे श्याम'' और ''काहे को छलबलिया करत है'' कि प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया. कार्यक्रम में उनके साथ तबले पर पंडित योगेश लक्ष्मी और हारमोनियम पर पंडित अजय जोगलेकर ने संगत दी.


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पंडित अजय चक्रवर्ती ने कहा कि यह शास्त्रीय संगीत नहीं राग संगीत है, 12 स्वरों ने दुनिया में संगीत को पैदा किया, बड़े से बड़ा आर्टिस्ट्स इन 12 स्वरों में ही बंधा हुआ है, इसके आगे ना तो आज तक कोई जा पाया है, और नहीं आने वाले समय में कोई जा पाएगा. शास्त्रीय संगीत से युवाओं को जोड़ने के प्रयास पर पंडित चक्रवर्ती ने कहा कि आईआईटी जैसे संस्थान संगीत से हमारे जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों पर स्टडी कर रहें हैं, इस सब्जेक्ट को ठीक से लोगों तक पहुंचाना पड़ेगा, तभी संगीत से लोग जुड़ पाएंगे. आज सोशल मीडिया पर लोग अपनी प्रतिभा दिखा रहें हैं, लेकिन मेरी नजर में यह ठीक नहीं है, जो लोग संगीत के जानकार नहीं है, उन्हें भी सोशल मीडिया के जरिए प्लेटफार्म मिल रहा है, ऐसे कलाकारों की लाइफ लंबी नहीं है और म्यूजिक ही नहीं हर फील्ड में ऐसा हो रहा है. उन्होंने कहा शास्त्रीय संगीत एक ऐसी विधा है, जो इंसानियत को बढ़ाने के साथ हर चीज में शांति ला सकती है, अगर दुनिया में वर्ल्ड पीस आएगा तो केवल भारतीय संगीत के जरिए ही आएगा.


Reporter - Anup Sharma


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