Jaipur: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35 ए (Article 370 and 35A) हटने के बाद लद्दाख (Ladakh) में नई इबारत लिखी जा रही है. यह कहना है लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला (Lok Sabha Speaker Om Birla) का. सात दिवसीय लेह-लद्दाख दौरे पर आए बिरला ने कहा कि लद्दाख की धरती से पूरी दुनिया को भगवान बुद्ध का शांति (Peace) का संदेश दिया जा रहा है. अब क्षेत्र शांति के साथ ही विकास की नई इबारत लिख रहा है, जो दुनियाभर के पर्यटकों (tourists) का हब बनने के साथ ही उत्कृष्ट संस्कृति का संदेश देगा. 


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लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं (Democratic Processes) को बहाल किया जा रहा है. सरकार भी जल्दी से जल्दी चुनाव (Election) कराना चाहती है. इसीलिए एक दशक बाद पंचायतों के चुनाव कराए गए. ताकि, सत्ता की सबसे निचली इकाई का विकेंद्रीकरण कर सकें. जनता के चुने लोग पंचायतों में आ सकें. सरकार चुनाव कराने के लिए कटिबद्ध है. सरकार ने कहा है कि परिसीमन होने के बाद सभी राजनीतिक दलों से चर्चा के बाद चुनाव की प्रक्रिया बहाल की जाएगी.


370 हटने के बाद लेह-लद्दाख को दी जा रही अहमियत
जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद दो केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मू कश्मीर और लद्दाख में इन दिनों केंद्र सरकार (Central Government) का सबसे ज्यादा फोकस है. अहमियत का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि संसद के 13 स्थाई समितियों के प्रतिनिधि भी इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों का दौरा करके ज़मीनी परिस्थितियों का आंकलन करते हुए विकास के कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं. 

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क्या कहा लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने 
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला भी एक दशक बाद चुने हुए पंचायत के जनप्रतिनिधियों को गुर सिखाने के लिए लेह-लद्दाख के दौरे पर है. स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि लद्दाख की भौगोलिक परिस्थितियां चुनौतिपूर्ण हैं, इसके बावजूद यहां के लोग में अद्भुत जीवट, राष्ट्रप्रेम और संस्कृति से गहरा लगाव है. भगवान बुद्ध के शांति और अहिंसा के संदेश के साथ ही यहां के लोग शौर्य और देशप्रेम की भी जीवंत मिशाल हैं. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35 ए के हटने के बाद यहां लोकतांत्रिक ढांचे को जबरदस्त मजबूती मिली है. एक दशक से भी अधिक समय बाद पंचायतों के चुनाव हुए हैं. स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि ही क्षेत्र की वास्तविक स्थिति को जानते हैं. पंचायती राज ही लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की प्रथम इकाई है. लद्दाख क्षेत्र में पंचायतों की मजबूती बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि अब यहां परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गई हैं. लोगों में विकास के प्रति ललक और अपनी विशेष सांस्कृतिक पहचान का गर्व है. यह उनके सपने पूरे करने का समय है. जल्द ही यहां हर क्षेत्र में रोजगार बढ़ेंगे.  
  
BRO ने बिछाया सड़कों का जाल, आ रहा आमूलचूल बदलाव
लेह-लद्दाख में आधारभूत संरचना में आमूलचूल बदलाव आ रहा है. केंद्र सरकार ने मेडिकल कॉलेज खोला है अब केंद्रीय विश्वविद्यालय भी खोला जा रहा है. बॉर्डर रोड आग्रेनाइजेशन (BRO) ने सड़कों का जाल बिछा दिया है. जो कमियां थी उन्हें केंद्र सरकार प्राथमिकता से दूर कर रही है. आधारभूत संरचना की मजबूती की यह गति आने वाले समय में लद्दाख के लोगों के जीवन स्तर में बड़ा बदलाव लाएगी. बिरला ने कहा कि यहां के स्थानीय कृषि, हस्तशिल्प और अन्य उत्पादों की मांग पूरे देश में बढ़ना तय है. अब पर्यटन यहां के लिए वरदान साबित होगा. यह क्षेत्र आत्मनिर्भर होने की दिशा में अग्रसर है. लद्दाख की भौगोलिक स्थिति और जनता की अपेक्षा के अनुसार यहाँ का विकास हो और आत्मनिर्भर बने.

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भारत की नीति हमेशा ही विस्तारवाद के ख़िलाफ़
चीन के द्वारा लद्दाख क्षेत्र में में बार-बार नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किए जाने की आलोचना करते हुए लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि भारत की नीति हमेशा ही विस्तारवाद के ख़िलाफ़ रही है. भारत अपनी सीमाओं की रक्षा करने का ओहदा रखता है. हमारे वीर जवान हर परिस्थिति में देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं. हमारे वीर सैनिक दुर्गम परिस्थिति में भी लद्दाख और जम्मू कश्मीर की धरती की रक्षा करने के लिए संकल्पित हैं. भारत यही संदेश देता है कि सभी देशों का विकास हो, लोकतंत्र मज़बूत हो, लेकिन, विस्तारवादी नीति नहीं होना चाहिए. विस्तारवादी नीति की वजह से ही सीमाओं पर विवाद होता है. भारत हमेशा विस्तारवादी नीति के ख़िलाफ़ है. बिरला ने कहा कि दुनिया से आतंकवाद समाप्त हो इसका भारत हमेशा से हिमायती है और इसका नेतृत्व भी करता है. 
लद्दाख़ की धरती शांति का संदेश देने की धरती है. मुझे आशा है कि सभी देश लोकतांत्रिक व्यवस्था को मज़बूत करते हुए आतंकवाद को समाप्त करने की कार्ययोजना बनाएंगे. हर व्यक्ति देश की रक्षा के लिए कटिबद्ध रहता है. देश के सैनिकों के साथ खड़ा रहता है. बिड़ला ने उम्मीद जताई कि अनुच्छेद 370 और 35A की समाप्ति के बाद जिस तरह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख़ में परिस्थितियां बनी हैं, उससे लोकतांत्रिक व्यवस्था को लगातार मजबूती मिल रही है, जिससे भविष्य में चुनाव कराए जाने का रास्ता साफ़ होगा.