क्या राजस्थान में चुनावी साल आते ही किसान संगठन हुए एक्टिव? प्रभावित कर सकते हैं इनके वोट का गणित
Rajasthan: राजस्थान में चुनावी साल में किसान एक्टिव हो गए हैं.सरकारों को घेरने के लिए किसान संगठन खेतों से सड़कों तक आने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, क्योंकि राजस्थान में वोटों की सबसे ज्यादा फसल तो किसानों की कटती है. इसलिए अब चुनावी साल में किसान संगठन अपने मांगें मनवाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं.
Rajasthan: देश के लोकसभा और राजस्थान में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है,वैसे-वैसे चुनावी सरगर्मियां भी बढ़ती जा रही है. इसी बीच किसानों से साथ वादा और विश्वास दिलाने में केंद्र और राज्य सरकार बिल्कुल पीछे नहीं रह रही है. बजट में भी दोनों सरकारों ने अपने अपने बजट में अन्नदाताओं पर सौगातों की जमकर बरसात की.
लेकिन इन सबके बीच अब किसानों से जुड़े संगठन चुनावी मौसम में एक्टिव हो गए हैं,क्योंकि उन्हे भी इस बात का अच्छे से पता है कि वोटों की सबसे ज्यादा फसल तो किसानों के बीच से ही कटेगी. इसलिए चुनावी साल में अपने मांगे मनवाने में किसान संगठन पीछे नहीं रहना चाहते. भारतीय किसान यूनियन ने 21 मार्च को भरतपुर में किसान पंचायत का ऐलान किया है, जबकि अप्रैल में किसान महाकुंभ होगा.
खेत को पानी-फसल को दाम कर्ज मुक्ति के लिए राजस्थान के अन्नदाता भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले एकजुट होंगे. यूनियन के राष्ट्रीय सचिव राजपाल सिंह ने बताया कि किसान कुंभ पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का पेंच राज्य और केंद्र सरकार सुलझाकर पानी उपलब्ध करवाएं. क्योंकि ये प्रोजेक्ट 13 जिलों की प्यास बुझाएगा.
इसके अलावा बेमौसम बारिश और प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल खराबें की भरपाई के लिए सरकार मापदंड बदले. क्योंकि फसल बीमा योजना के जरिए पूरा क्लेम किसानों को नहीं मिल पा रहा.यूनियन से जुड़े युवा किसान नेता मांगीलाल विश्नोई का कहना है कि जालौर और दूसरे जिलों में ओलावृष्टि से बर्बाद फसलों का मुआवजा जल्द मिले,ताकि किसानों को राहत मिल सके.
हाल ही में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों की खडी फसले चौपट हो गई है.ऐसे में किसानों की मांग है कि विशेष पैकेज दिया जाए.ताकि किसानों को बर्बाद फसलों का ठीक मुआवजा मिल सके.
ये भी पढ़ें- Rajasthan में मोबाइल नेटवर्क से वंचित 23 गांवों में बजेगी फोन की घंटी, बीएसएनएल निभाएगा बड़ी भूमिका