Rohit Joshi Rape Case: दुष्कर्म के आरोप में घिरे राजस्थान के जलदाय मंत्री महेश जोशी के बेटे रोहित जोशी की मुश्किलें बढ़ सकती है. मामले में पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. पीड़िता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दुष्कर्म के आरोपी रोहित जोशी को नोटिस जारी किया है. आपको बता दें कि रोहिल जोशी चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस की टिकट मांग रहे हैं.


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सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह का विशेष मामला उनके सामने आया है. जब दो-दो पीठ सुनवाई को टाल रही है. जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने कहा कि वे इस मामले को देखेंगे लेकिन पहले सरकार को अपना जवाब पेश करने दिजिए.


7 माह बाद की तारीख


गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुम​ति याचिका दायर करते हुए पीड़िता ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें हाईकोर्ट ने बिना कोई कारण बताए आरोपी की जमानत रद्द करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई 7 माह बाद 30 जनवरी 2024 को तय की है.


इसके साथ ही हाईकोर्ट की एकलपीठ ने बिना कारण बताए पीड़िता की याचिका को आरोपी रोहित जोशी की याचिका के साथ टैग कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट में पीड़िता ने याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट में मामले को लंबे समय से लटाकाए रखे जाने और जमानत रद्द करने की याचिका पर की सुनवाई के लिए 7 माह बाद की तारीख तय करने की ओर से अदालत का ध्यान दिलाया.


जमानत मिलने के बाद हुए पीड़िता और परिजनों पर हमले


पीड़िता की ओर से अधिवक्ता अर्चना पाठक दवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दुष्कर्म जैसे गंभीर मामले में आरोपी रोहित जोशी को दिल्ली की अदालत द्वारा अग्रिम जमानत मिलने के बाद ना केवल पीड़िता पर कैमिकल अटैक किया गया, बल्कि उसके पैतृक शहर में पिता और भाई पर भी हमला किया गया है. याचिका में कहा गया है कि पीड़िता द्वारा आरोपी की जमानत रद्द करने की याचिका दायर करने के बाद लगातार उसे प्रताड़ित किया गया. पीड़िता के परिजनों के खिलाफ अलग अलग धाराओं में दो मुकदमें भी दर्ज कराए गए है.


जुलाई 2022 से पेडिंग है याचिका


सुनवाई के दौरान पीड़िता की ओर से कहा गया कि मामले में आरोपी रोहित जोशी को तीस हजारी कोर्ट से अग्रिम ज़मानत मिलने के बाद पीड़िता और परिजनों पर हमले हुए है. इस मामले में पीड़िता ने दिल्ली पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराई है. अधिवक्ता ने कहा कि पीड़िता ने आरोपी को मिली अग्रिम जमानत को रद्द करने के अनुरोध के साथ जुलाई 2022 में दिल्ली हाईकोर्ट में बेल कैंसीलेशन पेश की गयी, लेकिन हाईकोर्ट ने जमानत रद्द करने की याचिका पर 7 माह तक सुनवाई नहीं की. इसके बाद हाईकोर्ट ने इस याचिका पर पार्ट हर्ड करने के बाद फिर से दूसरी पीठ को मामला भेज दिया गया.


आरोपी की याचिका के साथ टैग


सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी याचिका में पीड़िता की ओर से कहा गया कि हाईकोर्ट ने बिना कारण बताए पीड़िता की याचिका को आरोपी की याचिका के साथ टैग कर दिया गया. एकलपीठ ने इस मामले की सुनवाई की तारीख भी करीब 7 माह बाद 30 जनवरी 2024 को तय की. अधिवक्ता ने कहा कि हाईकोर्ट ने अप्रत्याशित तरीके से याचिका पर सुनवाई के लिए 7 माह बाद की तारीख तय की है. जबकि यह मामला जमानत रद्द करने जैसे गंभीर विषय से जुड़ा है.


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