Wedding Card : आधुनिकता के इस दौर में शादी करने का तरीका बदला सा है. प्री वेडिंग शूट, पोस्ट वेडिंग शूट, डिस्टिनेशन वेडिंग और ड्रोन फोटोग्राफी जैसी तमाम चीजें आपकी हैसियत के मुताबिक बाजार में मौजूद है. लेकिन कुछ रिवाज ना बदले थे और ना कभी बदलेंगे, जैसे शादी के कार्ड में लड़के के नाम के आगे चिरंजीव और लड़की के नाम के आगे आयुष्मति लिखा होना. क्या आप जानते हैं इसके पीछे दो पौराणिक कहानियां है ?


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पहली पौराणिक कथा
बहुत पुरानी बात है संतानहीन ब्राह्मण ने महामाया की तपस्या कर पुत्र मांगा. माहामाया ने प्रकट होकर ब्राह्मण से कहा कि मैं तुम्हें पुत्र तो दूंगी लेकिन ये तुम्हे देखना है कि तुम्हें क्या चाहिए ? पहला महामूर्ख होगा लेकिन 10 हजार साल जीवित रहेगा वहीं दूसरा विद्वान होगा और सिर्फ 15 साल जिएगा.


ब्राह्मण ने कहा कि महामूर्ख पुत्र दुख का कारण बनेगा इसलिए विद्वान पुत्र चुनता हूं. ब्राह्ममण के घर में पुत्र ने जन्म लिया. धीरे धीरे पुत्र बड़ा हुआ तो उसे उच्च शिक्षा के लिए काशी भेजा गया. ब्राह्मण भूल गया था कि महामाया से मिला वरदान कुछ दिनों के लिए ही था.


उच्च शिक्षा के दौरान ब्राह्मण के पुत्र की शादी एक सेठ की पुत्री से हो गयी जो महामाया की बड़ी भक्त थी. लेकिन शादी की पहली ही रात यमराज नाग बनकर आए और ब्राह्मण पुत्र को ठस लिया. जैसे ही यमराज सांप रूप में जाने लगे तो सेठ की बेटी ने उन्हे कमंडल में बंद कर दिया.


यमराज बंद थे और यमलोक में सारा काम काज रुक गया था. घबराकर सभी देवी देवता महामाया के पास पहुंचे और विनती की. महामाया ने जब सेठ की बेटी से कहा की सांप को छोड़ दो तो मान गयी बदले में माहामाया ने ब्राह्मण पुत्र को चिरंजीवी कहा. तभी से लड़के के नाम के आगे चिरंजीव लिखा जाता है.


सभी देवताओं ने मिलकर प्रयास किया लेकिन यमराज को मुक्त नहीं करवा पाए। फिर सभी इकट्ठे होकर महामाया के पास गए और उनसे यमराज को छुड़ाने के लिए प्रार्थना करने लगे। महामाया ने प्रगट होकर यमराज को छोड़ने के लिए कहा तो वो मान गई। यमराज ने आजाद होकर ब्राह्मण के बेटे को जीवनदान दिया और चिरंजीवी रहने का वरदान भी दिया। शायद तभी से लड़को के नाम के आगे ‘चिरंजीव’ लगाने की प्रथा का आरंभ हुआ होगा।



दूसरी पौराणिक कथा
बहुत पुरानी बात हैं. आकाश नाम के राजा थे. जो बहुत धार्मिक और पूजा पाठ करने वाले थे. लेकिन वो संतानहीन थे. नारद जी के कहने पर उन्होंने भूमि पर यज्ञ करके सोने के हल से धरती को खोदा था और उन्हे भूमि माता से ही एक कन्या की प्राप्ति हुई थी.


जब उस कन्या को राजा अपने महल में लाने लगे तो रास्ते में एक शेर दिखा. ये शेर इस कन्या को खाना चाहता था. शेर को सामने देख राजा के हाथ से डर के मारे कन्या नीचे गिर गयी. इस कन्या को शेर में अपने मुंह में डाल लिया और वो कमल के पुष्प में बदल गया.


तभी श्री हरि विष्णु प्रकट हुए और कमल को स्पर्श किया. और फूल यमराज बन गया और कन्या 25 साल की नवयुवती हो गयी. इसी समय राजा ने अपनी बेटी का विवाह श्री हरि विष्ण से कर दिया. जिस यमराज ने आयुष्मति कहकर पुकारा. यहीं से आयुष्मति लिखने की परंपरा शुरू हुई.