Doctors` Day 2024: जयपुर के एक वन्यजीव चिकित्सक की कहानी,70 से अधिक लेपर्ड का किया रेस्क्यू और 50 से ज्यादा वन्यजीवों की सर्जरी कर बचाया
Doctors` Day 2024: राजस्थान के किसी भी इलाके में जब आबादी क्षेत्र में बघेरा आ जाए या फिर वन्यजीवों को एक से दूसरी जगह ट्रांसलोकेट करना हो, तो वन विभाग द्वारा यह जिम्मेदारी आमतौर पर डॉ. अरविन्द माथुर को दी जाती है. जानिए डॉ. अरविन्द माथुर की पूरी कहानी.
Doctors' Day 2024: आज डॉक्टर्स डे है, यानी मानव चिकित्सकों को समर्पित दिन. आपको इस विशेष दिवस पर वन्यजीवों के एक चिकित्सक की कहानी बताते हैं. राजस्थान वन विभाग में कार्यरत वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अरविन्द माथुर वन्यजीवों के बचाव, संरक्षण, सर्जरी से उनका जीवन बचाने को लेकर कई रिकॉर्ड बना चुके हैं.
राजस्थान के किसी भी इलाके में जब आबादी क्षेत्र में बघेरा आ जाए या फिर वन्यजीवों को एक से दूसरी जगह ट्रांसलोकेट करना हो, तो वन विभाग द्वारा यह जिम्मेदारी आमतौर पर डॉ. अरविन्द माथुर को दी जाती है. वन्यजीवों का उपचार करने वाले वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अरविन्द माथुर अब तक 70 से अधिक लेपर्ड यानी बघेरों को सुरक्षित बचा चुके हैं. इस उपलब्धि के लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है.
डॉ. अरविन्द माथुर पिछले करीब दो दशक से वन विभाग में कार्यरत हैं और वन्यजीवों की चिकित्सा, संरक्षण और बचाव कार्यों को पूरा कर रहे हैं उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि बघेरों के रेस्क्यू करने की रही है. दरअसल, जयपुर या आस-पास के जिलों में आबादी क्षेत्र में बघेरा आना आम बात है. ऐसे में बघेरे को ग्रामीणों द्वारा घेर लिया जाना, घायल कर देना या फिर बघेरे के किसी के घर में छुप जाने की सूचनाएं आती हैं. डॉ. अरविन्द माथुर अब तक ऐसे 70 मामलों में लेपर्ड को बचाने में सफल रहे हैं.
जानिए, कौन हैं वन्यजीवों के फेवरिट डॉक्टर ?
- सर्वाधिक वन्यजीवों की सर्जरी कर चुके डॉ. अरविन्द माथुर
- घायल बाघ, शेर, लेपर्ड, भालू, जरख वन्यजीवों की 50 से अधिक सर्जरी कर चुके हैं
- कंजर्वेशन और ब्रीडिंग को लेकर भी बना चुके हैं रिकॉर्ड
- भेड़िया, घड़ियाल, भालू, क्रोकोडाइल, हिप्पोपोटेमस, चौसिंगा, नीलगाय में सफल प्रजनन करा चुके हैं
- एनिमल ट्रांसलोकेशन के तहत भालुओं की सरिस्का में रि एंट्री करा चुके है
- माउंट आबू से सफलतापूर्वक सरिस्का में मेल-फिमेल भालू को ट्रांसलोकेट किया
- सरिस्का, रणथम्भौर, मुकंदरा हिल्स में बाघों को लेकर काफी कार्य किया
- यहां बाघ को रेस्क्यू करने, रेडियो कॉलर लगाना और उपचार किया
- बाघिन टी-79 के शावक को नियो नेटल केयर में रखकर बड़ा किया गया
- नियो नेटल केयर में 4 लेपर्ड शावकों को भी सुरक्षित रख बड़ा किया गया
- बाघिन रानी के 2 शावकों को भी हाथ से दूध पिलाने, खिलाने का कार्य कर रहे
ऐसा बहुत कम होता है कि वन्यजीवों के छोटे बच्चों को देखभाल करते हुए बचाया जा सके. बाघिन रानी के 2 शावक जिनमें एक सफेद और एक गोल्डन कलर का है, उन्हें अब हाथ से खिलाकर बड़ा किया जा रहा है. फिलहाल दोनों शावक स्वस्थ हैं और पिछले दिनों में इनका डेढ़ किलो वजन बढ़ चुका है. डॉ. अरविन्द माथुर वन्यजीवों के बचाव व उपचार को लेकर 2 बार इंटरनेशनल लेवल पर ट्रेनिंग ले चुके हैं. वर्ष 2011 में उन्होंने ब्रिटेन में और 2019 में साउथ अफ्रीका में वन्यजीव ट्रेंकुलाइजेशन को लेकर ट्रेनिंग ली थी.
राज्य स्तर पर हो चुके हैं सम्मानित
- वन्यजीव चिकित्सा एवं संरक्षण में योगदान के लिए मिला पुरस्कार
- वर्ष 2011 में राज्य स्तरीय पुरस्कार से हो चुके सम्मानित
- वर्ष 2017 में जिला स्तर पर वन्यजीव चिकित्सा एवं संरक्षण पुरस्कार मिला
- वे राष्ट्र स्तर पर कई बायोलॉजिकल पार्क में पुरस्कार प्राप्त कर चुके
- कई सम्मेलनों में इससे जुड़े रिसर्च आर्टिकल प्रस्तुत कर चुके हैं
- नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क प्रदेश का एकमात्र पार्क, जहां 9 प्रजातियों के हर्बीबोरस मौजूद
- डॉ. अरविन्द माथुर के निर्देशन में यहां 9 हर्बीबोरस प्रजातियां सुरक्षित
वन्यजीव चिकित्सकों के लिए राह तब अधिक कठिन हो जाती है, जब नन्हे शावकों को पाल पोसकर बड़ा करना हो और उन्हें फिर से वाइल्ड लाइफ का अभ्यस्त करना हो. डॉ. अरविन्द माथुर नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में ऐसे कई वन्यजीवों का जीवन बचाकर फिर से उनके मूल जीवन में लौटाने का प्रयास कर रहे हैं.