Jaipur : राजस्थान में शिक्षा विभाग ने 50 साल के बाद नियमों में बदलाव किया है. लेकिन विभाग के ये नये नियम प्रदेश के करीब 3 लाख से ज्यादा शिक्षकों (Teachers) पर भारी पड़ते हुए नजर आ रहे हैं. नये नियमों के चलते शिक्षकों की डीपीसी की प्रक्रिया तो रुक ही गई है. साथ ही नए नियमों के तहत प्रदेश के करीब 3 लाख शिक्षक पदोन्नति के लाभ से भी वंचित होते हुए नजर आ रहे हैं.


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गौरतलब है कि, शिक्षा विभाग के नए नियमों के चलते अब स्नातक (UG) और स्नातकोत्तर (PG) समान विषय में होने के पर ही, शिक्षकों को पदोन्नति का लाभ मिल सकेगा नहीं तो,ये शिक्षक पदोन्नति की प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे.जबकि दूसरी ओर सीधी भर्ती पर यूजी और पीजी की समान योग्यता का नियम नहीं है, जबकि पदोन्नति में शिक्षकों की यूजी और पीजी की समान योग्यता का नियम है. ऐसे में एक पद पर दो योग्यता का निर्धारण होना भी संभव नजर नहीं आ रहा है. शिक्षा विभाग के नियमों से प्रभावित होने वाले सैंकड़ों शिक्षक अब हाईकोर्ट की शरण में चले गए हैं. साथ ही हाईकोर्ट द्वारा भी इस मामले में स्थगन आदेश दे दिए गए हैं. साथ ही पूरे मामले में शिक्षा विभाग से जवाब तलब भी किया गया है.


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राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ (Rajasthan Primary and Secondary Teachers Association) के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने बताया कि संगठन की ओर से मुख्यमंत्री गहलोत (CM Gehlot) को ज्ञापन दिया गया है. साथ ही मांग की गई है कि, जल्द से जल्द नए नियमों की विसंगति को दूर करते हुए शिक्षकों को राहत देनी चाहिए. 70 साल से ये नियम चले आ रहे हैं. नए नियम लाकर पूर्व में स्नातकोत्तर कर चुके शिक्षकों के साथ अन्याय होगा. सरकार को ये चाहिए कि पूर्व की भांति पुराने नियमों से ही पदोन्नति करें. इसके साथ ही दूसरी ओर हैडमास्टर के पद समाप्त कर दिए गए हैं. जिसके चलते तृतीय श्रेणी और द्वितीय श्रेणी शिक्षक, नये नियमों के तहत सीधे राजपत्रित पद पर नहीं जा पाएंगे. इसलिए उप प्रधानाचार्य के सृजित किए गए पदों पर 50 फीसदी पदों पर सीधी भर्ती और प्रिंसिपल के 25 फीसदी पदों पर सीधी भर्ती रखी जाएगी.