5 राज्यों के चुनावी नतीजे और जानिए क्या होगा देश का भविष्य?
हाल ही में 5 राज्यों में चुनाव हुए, उनके परिणाम भी आए. भाजपा ने 4 राज्यों में ज़बरदस्त वापसी की है. इसके साथ ही इन परिणामों से कई और बातें सामने आई है. साल 2024 में लोक सभा चुनाव है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इन नतीजों का असर भारत का अगले प्रधानमंत्री के चयन पर पड़ेगा?
Jaipur: हाल ही में 5 राज्यों में चुनाव हुए, उनके परिणाम भी आए. भाजपा ने 4 राज्यों में ज़बरदस्त वापसी की है. इसके साथ ही इन परिणामों से कई और बातें सामने आई है. साल 2024 में लोक सभा चुनाव है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इन नतीजों का असर भारत का अगले प्रधानमंत्री के चयन पर पड़ेगा?
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5 में से 4 राज्यों में मिली जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि साल 2019 के चुनावी नतीजों के बाद कुछ पॉलिटिकल पंडितों ने कहा था कि भाई 2019 की जीत में क्या है, ये तो 2017 में ही तय हो गई थी, क्योंकि 2017 में उत्तर प्रदेश का चुनाव परिणाम आया था और भाजपा को इसमें एकतरफा सफलता हासिल हुई थी. उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि इस बार भी ये ज्ञानी इस बात को कहने की हिम्मत करेंगे कि 2024 के नतीजे तय हो चुके हैं.
ख़ैर प्रधानमंत्री की बात को हम माने या ना माने पर इस बात से मुकर नहीं सकते की देश की सत्ता का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है. अगर बात करें लोगों की तो जनता 9 साल बाद भी मोदी के नाम पर ही वोट दे रही है. इसमें भी कोई दो राय नहीं है की प्रधानमंत्री की पॉप्युलैरिटी को अभी तक कोई भी विपक्ष का नेता चुनौती नहीं दे पाया है. पीएम मोदी का जादू 2014 की तरह अब भी बरकरार है.
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अब का चुनाव हिंदुत्व के पक्ष में है, और मोदी को रोकना बहुत मुश्किल है. प्रधानमंत्री 70 साल के हैं और स्वस्थ हैं. उनके समर्थक कहते हैं कि वो छुट्टी लेते ही नहीं, केवल काम करते हैं. इससे साफ़ है की 2024 में भाजपा की तरफ़ से मोदी ही चेहरा होंगे. इसके साथ ही विपक्ष अगर एकजुट हो भी हो जाए तो भी प्रधानमंत्री को शिकस्त देना थोड़ा मुश्किल होगा.
ऐसे में अगर बात करें मुख्य विपक्षी पार्टी congress की तो 5 राज्यों में मिली करारी हार से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की हालात बहुत ख़राब हो चुकी है. इससे उभरना शायद ही मुमकिन हो. हम ये भी नहीं कह सकते की कांग्रेस की जगह अब क्षेत्रीय पार्टियां ले लेंगी, या साल 2024 का चुनाव मोदी बनाम रीज़नल पार्टियों से होगा या कोई तीसरा फ़्रंट बनकर तैयार होगा, जिसमें ममता बनर्जी, शरद पवार, चंद्रशेखर राव , M. K. Stalin जैसे नेताओं की मुख्य भूमिका होगी.
हालांकि ममता बनर्जी ने हालिया इंटरव्यू में कहा था कि अगर Congress चाहे तो हम सब साथ मिलकर 2024 का चुनाव लड़ सकते हैं. इन सब बातों को अगर रहने भी दें तो कांग्रेस का मज़बूत होना पहले ज़्यादा ज़रूरी है. फ़िलहाल कांग्रेस की सिर्फ कुछ राज्यों में सरकार है और 2 राज्य ही कांग्रेस की झोली में ऐसे हैं जिसमें वह अपने दमपर सरकार चला रही है. इनमें से है राजस्थान और छत्तीसगढ़. इन दोनों राज्यों में कांग्रेस नेताओं की आपसी कलह कई बार सामने आ चुकी है. राजस्थान में तो अब लोग खुलकर सचिन पायलट के नाम की वकालत तक करने लगे हैं.
इन सब के बीच जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस हार के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कोई घबराने की बात नहीं है, ये उतार चढ़ाव पहले भी देखें हैं. हमारा वर्कर जानता है कि क्या मुद्दा है और किस मुद्दे के साथ जनता के बीच जाना है. आज देश चिंतित है, चाहता है की कांग्रेस को और मज़बूत होना चाहिए ताकि इन Fascists ताक़तों से लड़ सके. ये लोग धर्म के नाम पर चुनाव जीते हैं. राहुल गांधी जी में ही दम ख़म है, इकलौता आदमी है जो मोदीजी और Fascist ताक़तों से लड़ रहा है. ऐसे में मोदीजी अपनी हर स्पीच की शुरुआत भी राहुल गांधी से करते हैं और अंत भी.
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ख़ैर भाजपा की इस प्रचंड जीत से कई बातें साफ़ हुई है, जहां मुख्य विपक्षी दल का बोझ ढो रही कांग्रेस अब हासिये पर है, तो उत्तर प्रदेश में सपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है. इसके अलावा एक और दिलचस्प बात सामने आई है. आम आदमी पार्टी जो दिल्ली से बाहर निकली है. वो आज के समय में पहली ऐसी पार्टी बन गई है जिसकी 2 राज्यों में सरकार है.