Rajasthan News: 2024 में ऊर्जा क्षेत्र ने नई ऊंचाइयों को छूआ, लेकिन चुनौतियां भी साथ रहीं.  2024 में ऊर्जा विभाग ने देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कई बड़े कदम उठाए. नवीकरणीय ऊर्जा से लेकर बिजली आपूर्ति तक, हर क्षेत्र में सुधार देखने को मिला. 


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पिछले एक साल में सौर और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. थर्मल परियोजनाओं और नवीन ऊर्जा नीतियों के जरिये प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में कई अहम प्रयास हुए हैं.



नवीकरणीय ऊर्जा में बढ़त



-प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत किसानों को 2027 तक दिन में भी बिजली मुहैया करवाने का संकल्प



-अक्षय ऊर्जा में राजस्थान सबसे अग्रणी बना


-सूर्यघर योजना के तहत रूफ टॉप सोलर की रफ्तार तेज


-थर्मल इकाइयों की उत्पादन क्षमता में आया सुधार


-नए ग्रीड सब स्टेशन से गांव ढाणी तक पहुंची निर्बाध बिजली


-इस साल 220KV के 2, 132KV के 18 और 33KV के 105 नए ग्रीड सब स्टेशन बने


-आत्मनिर्भर बनने के लिए राइजिंग राजस्थान में 1.60 लाख करोड़ के हुए MOU



स्मार्ट ग्रिड और तकनीकी सुधार



बिजली चोरी पर अंकुश लगाने और बकाया और विभाग में लॉसेस कम करने के लिए स्मार्ट मीटर लगाने का निर्णय भी इसी साल हुआ. जिसमें प्री- पेड और पोस्ट पेड जैसे ऑप्शन खुलने के साथ सभी काम ऑनलाइन भी होंगे जिससे लोगों को विभाग के चक्कर नहीं लगाने होंगे.



लेकिन, हर सफलता के साथ चुनौतियां भी सामने आईं. गर्मियों के दौरान कई राज्यों में बिजली कटौती की समस्या रही. जो एक बड़ी समस्या बनकर सामने आई. खासकर उत्तर भारत में लोग इससे परेशान हुए.



कोयला संकट


बिजली उत्पादन के लिए जरूरी कोयले की कमी ने कई पावर प्लांट्स को प्रभावित किया.


नवीकरणीय ऊर्जा का धीमा विस्तार


सौर और पवन ऊर्जा के विस्तार के लिए जितने प्रोजेक्ट्स की योजना थी. उनमें कई समस्याएं विभाग को घेरे हैं.



वित्तीय घाटा


बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) का घाटा अब भी एक बड़ी समस्या है. सब्सिडी और अनियमित बिलिंग ने घाटे को बहुत अधिक बढ़ाया है.


कर्मचारियों का विरोध


इस साल ऊर्जा विभाग के कर्मचारियों ने अपनी समस्याओं को लेकर कई बार प्रदर्शन किया. 



निजीकरण का विरोध: कई कर्मचारी संगठनों ने ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण के फैसले का विरोध किया.



ऊर्जा विभाग के लिए 2024 उपलब्धियों और चुनौतियों का मिला-जुला साल रहा. एक तरफ जहां नवीकरणीय ऊर्जा में बढ़ोतरी हुई, वहीं कर्मचारियों के विरोध और बिजली कटौती ने विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए.