Jaipur News : आवारा कुत्ते अब हर जगह औऱ शहर में आफत बन गए हैं. वो राह चलते लोगों को काट रहे हैं. बच्चों को नोंच रहे हैं. प्रदेश में एक साल में 78 हजार 814 डॉग बाइट की घटनाओं के बाद भी निकाय इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. यानि की आवारा कुत्ते प्रतिदिन 240 लोगों पर अटैक कर रहे हैं. कुत्ते आए दिन राह चलते लोगों पर अटैक कर रहे हैं. हर दिन विचलित करने वाली तस्वीरे सामने आ रही हैं. जयपुर में भी दो घटनाओं के बाद भी निगम के अफसर चिंता नहीं चिंतन की बात कर रहे हैं. पांच साल की शीतल प्रतापत और आठ साल की तनुता को क्या पता था की स्कूल या मंदिर जाना भी किसी खतरे से खाली नहीं हैं. शाहपुरा में डॉग ने 5 वर्ष की मासूम शीतल प्रजापत को 10 जगह पर नोच डाला.


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डॉग के दांतों से शीतल के फेफड़े में छेद हो गया. शीतल को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. डॉग ने पेट में भी कई जगह घाव किया है. बच्ची के चाचा राजेश प्रजापत ने बताया 22 दिसंबर को सरकारी स्कूल की पहली क्लास में पढ़ने वाली शीतल सुबह 10:30 बजे पैदल स्कूल जा रही थी. घर से कुछ दूर पर ही डॉग ने शीतल पर हमला कर दिया. शीतल गिर गई. इसके बाद डॉग ने कई जगह काट लिया. बच्चों के चिल्लाने की आवाज सुनकर लोगों ने डॉग को भगाया. शीतल को पहले शाहपुरा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया. फेफड़े में छेद होने से बच्ची को सांस लेने में भी परेशानी होने लगी. इसके बाद डॉक्टरों ने जयपुर रैफर कर दिया. उधर दूसरी घटना विधानसभा के पास ज्योति नगर में हुई. जहां 8 साल की बच्ची को श्वान ने कई जगह काट लिया. मालवीय नगर जोन के वार्ड 147 में डॉग बाइट की दो माह में 9वीं घटना है.


विधानसभा, निगम ग्रेटर मुख्यालय व जोन कार्यालय से 500 मीटर के दायरे में डॉग लगातार लोगों को काट रहे हैं. लेकिन ग्रेटर की पशु प्रबंधन शाखा आंख मूंदे बैठी है. चश्मदीद राजेश मीना ने बताया घटना वर्धमान भवन रोड की है. तनुजा मीणा मंदिर से लौट रही थी। इसी दौरान डॉग ने 5-6 जगह से तनुजा को काट लिया. जेके लोन अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक डॉक्टर मनीष शर्मा ने बताया की बच्ची का ट्रीटमेंट हो रहा है. बच्ची की हालात को देखते हुए चेस्ट ट्यूब को रिटेन किया है. जिन जगहों से एयर लीक कर रही थी. उन्हें सील किया गया है. अब एंटीबायोटिक, रेस्ट और फिजियोथैरेपी से लीक बंद होंगे. बच्ची फिलहाल हीमोडायनेमिकली स्टेबल है.


राजस्थान में डॉग बाइट की साल दर साल आंकडे
वर्ष-------------डॉग बाइट के मामले


2019-----------450558
2020-----------324500


2021-----------113976
2022-----------78814 (NOV-2022)



हर पांच साल में होती गणना (राजस्थान में आवारा कुत्तों की संख्या)


वर्ष 2012------------------------------------2019
11 लाख 51 हजार 015-------------12लाख 75 हजार 596


राजधानी सहित प्रदेश के अलग-अलग अस्पतालों में रोज डॉग बाइट के केस आ रहे हैं. ज्यादातर नगर निगम क्षेत्र के है. दरअसल शहर में डॉग्स की जन्मदर नियंत्रित रखने के लिए सालों से चल रहा एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) प्रोग्राम बेअसर साबित हो रहा है. क्योंकि साल में अधिकांश दिन तो यह बंद ही रहता है. इसकी वजह है नगर निगम और ठेकेदार के बीच पेमेंट को लेकर विवाद.


दरअसल, निगम टेंडर कर ठेका देकर डॉग्स को एबीसी व एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाता है. आवारा डॉग्स को पकड़ना भी ठेकेदार का ही काम होता है. कुल मिलाकर ग्रेटर नगर निगम में पिछले 12 माह में सिर्फ 401 व हेरिटेज निगम में करीब 4000 डॉग का बधियाकरण किया गया है. यानी दोनों निगमों का सालभर का औसत देखा जाए तो रोज 11 डॉग पकड़े जाते हैं. ग्रेटर निगम में डॉग बाइट के मामले अधिक होने की वजह ग्रेटर व हेरिटेज नगर निगम को बने 2 साल हो गए, पर दोनों का श्वान घर अलग-अलग नहीं है. हेरिटेज के पास ही श्वान घर है. ऐसे में ग्रेटर के पास जगह का अभाव होने के कारण सीमित संख्या में ही डॉग पकड़कर रखने की जगह मिली हुई है. इस वजह से भी प्रभावी काम नहीं हो रहा है. हेरिटेज निगम में एक साल में ठेकेदार ने करीब 4000 डॉग्स का बधियाकरण व वैक्सीनेशन किया.


दोनों निगम क्षेत्र से डॉग पकड़कर जयसिंहपुरा खोर स्थित श्वान घर में रखा जाता है. बधियाकरण के बाद 5 दिन तक उसका उपचार किया जाता है. डॉग का बधियाकरण करने के बाद गर्दन में चिप लगाते हैं. ताकि एबीसी व वैक्सीनेशन की डिटेल रहे. कोर्ट का आदेश है जहां से डॉग पकड़ते हैं उसका बधियाकरण व वैक्सीनेशन करने के बाद उसी जगह छोड़ना होता है. शिकायत पर और रूटीन में भी नगर निगम की टीम डॉग पकड़कर एबीसी प्रोग्राम करते हैं. लोगों की शिकायत रहती है छोड़े जाने के बाद डॉग उग्र हो जाते हैं. दोनों निगमों में डॉग पकड़ने के लिए ह्यूमन वेलफेयर सोसायटी को टेंडर दिया गया है. ग्रेटर निगम द्वारा प्रति डॉग के वैक्सीनेशन, बधियाकरण करने व चिप लगाने के लिए 1590 रुपए का भुगतान किया जाता है. वहीं हेरिटेज निगम द्वारा प्रति डॉग 1520 रुपए का भुगतान किया जाता है.


बहरहाल, आवारा कुत्तों की आबादी नसबंदी के बावजूद लगातार बढ़ती जा रही है. शहर के किसी भी इलाके में नजर डाली जाए,तो सड़कों पर कुत्ते ही कुत्ते नजर आते हैं. हालत यह है कि रात तो ठीक दिन में भी बच्चे और महिलाएं कुत्तों के सामने से निकले में डरते हैं. इसके बाद भी सबसे ज्यादा यही इनके शिकार हो रहे हैं. आवारा कुत्तों के हमले के भय से छोटे बच्चों का बाहर खेलना भी बंद हो गया है. कई अभिभावक अपने बच्चों को कुत्तों के भय से स्कूल भेजने में भी चिंतित रहते हैं. बच्चों को साथ लाते वक्त हाथ में डंडा होने के बाद भी चेहरों पर भय की लकीरें स्पष्ट दिखाई पड़ती हैं.


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