साउथ इंडिया वाले नहीं कर सकते अप्लाई... ऐसा लिखते ही कंपनी को पड़ने लगी खूब गालियां
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साउथ इंडिया वाले नहीं कर सकते अप्लाई... ऐसा लिखते ही कंपनी को पड़ने लगी खूब गालियां

Noida Compney Linkedin Post: नोएडा में एक कंसल्टिंग फर्म द्वारा लिंक्डइन पर पोस्ट की गई एक जॉब एडवरटीजमेंट ने नए विवाद को जन्म दिया है. इस एडवरटीजमेंट में एक स्पष्ट भेदभावपूर्ण शर्त का उल्लेख था, जिसमें 'साउथ इंडियन' उम्मीदवारों को इस नौकरी के लिए आवेदन करने से मना किया गया था.

 

साउथ इंडिया वाले नहीं कर सकते अप्लाई... ऐसा लिखते ही कंपनी को पड़ने लगी खूब गालियां

LinkedIn Post Viral: नोएडा में एक कंसल्टिंग फर्म द्वारा लिंक्डइन पर पोस्ट की गई एक जॉब एडवरटीजमेंट ने नए विवाद को जन्म दिया है. इस एडवरटीजमेंट में एक स्पष्ट भेदभावपूर्ण शर्त का उल्लेख था, जिसमें 'साउथ इंडियन' उम्मीदवारों को इस नौकरी के लिए आवेदन करने से मना किया गया था. यह पोस्टिंग एक डेटा एनालिस्ट के पद के लिए थी, जिसमें उम्मीदवारों से चार साल से अधिक का अनुभव, हिंदी में बातचीत और लेखन की क्षमता की डिमांड की गई थी.

लिंक्डइन स्क्रीनशॉट हो रहा वायरल

विज्ञापन के अंत में एक विशेष शर्त थी: "साउथ इंडियन उम्मीदवार इस पद के लिए योग्य नहीं हैं." इस बयान ने सोशल मीडिया पर खासी प्रतिक्रिया उत्पन्न की. एक यूजर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, "साउथ इंडियन्स को नौकरी के लिए आवेदन करने की अनुमति नहीं है." इस पोस्ट को लेकर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे भेदभावपूर्ण बताया.

सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने की आलोचना

इस जॉब पोस्टिंग के बाद सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसकी आलोचना की और इसे क्षेत्रीय भेदभाव का उदाहरण बताया. एक यूजर ने लिखा, "घिनौना, इसकी रिपोर्ट करो." वहीं, कुछ यूजर्स ने यह भी सुझाव दिया कि यह भेदभाव शायद इस वजह से हो सकता है कि नौकरी के लिए हिंदी भाषा में दक्षता की मांग की गई थी. एक यूजर ने कहा, "यह नौकरी लोगों से हिंदी में संवाद करने और लिखने की मांग करती है, इसलिए शायद साउथ इंडियन उम्मीदवारों को बाहर रखा गया है. लेकिन फिर भी, मुझे लगता है कि आखिरी बयान को टाला जा सकता था. कई साउथ इंडियन लोग हिंदी बोलने और लिखने में सक्षम हैं."

 

 

हिंदी की डिमांड और साउथ इंडियन उम्मीदवारों का विरोध

कई यूज़र्स ने यह भी कहा कि साउथ इंडिया के कुछ राज्य जैसे कि केरल के लोग हिंदी में पारंगत होते हैं क्योंकि उनके शैक्षिक पाठ्यक्रम में हिंदी को शामिल किया गया है. एक यूजर ने लिखा, "यह सही तरीका नहीं है. सीधे यह कहना कि साउथ इंडियन्स को अनुमति नहीं होगी, गलत है. मैंने केरल के कई लोगों को देखा है जो हिंदी लिखने में अच्छे हैं और बातचीत भी कर सकते हैं." एक अन्य यूजर ने इस मामले पर सवाल उठाया, "क्या यह उचित है? हमारे अधिकांश लोग नौकरी के लिए दूसरे राज्यों या देशों में जाते हैं, लेकिन जब हम क्षेत्रीय आरक्षण की मांग करते हैं तो हमें विरोध का सामना करना पड़ता है." 

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