Jaipur : यदि सरपंचों की मांगों पर आज आदेश नहीं निकले तो सरपंच संघ प्रशासन गांवों के संग अभियान का बहिष्कार करेगा. हालांकि ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग ने कई फाइले वित्त विभाग (Finance Department) भेजी है. कई मांगों को लेकर सहमति भी दी जा चुकी है, लेकिन सरपंच संघ आदेश निकालने पर अड़ा है.


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वित्त विभाग की मुहर के बाद निकलेंगे आदेश
एक तरफ सरकार प्रशासन गांवों की संग अभियान (Administration with village campaign) की तैयारियां तेज कर रही है. वहीं, दूसरी तरफ गांव के मुखिया अड़े हैं. सरपंचों ने साफ कर दिया कि यदि हमारी मांगे नहीं मानी तो प्रशासन गांवों के संग अभियान का बहिष्कार करेगा. हालांकि पंचायतीराज विभाग ने कई मांगों की फाइल वित्त विभाग भेजी है. जिसमें सरपंचों का मानदेय 5 हजार रूपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 10 हजार प्रतिमाह करने, पंचायत में प्रशासनिक स्वीकृति 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने, समिति निविदा में एक कार्य के लिए 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने की फाइल वित्त विभाग भेजी है. इसके अलावा टेंडर पंचायत समिति की जगह ग्राम पंचायत स्तर पर करने की फाइल भी वित्त विभाग भेजी जा चुकी है. वित्त विभाग की मुहर के बाद ही इस संबंध में आदेश जारी किए जाएंगे.


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डोटासरा ने कहा, सीएम के सामने रखेंगे बात-
प्रशासन गांव के संग अभियान पर सरपंचों के आंदोलन से खतरा मंडराने लगा है. इससे पहले 6 मार्च सरकार के साथ लिखित समझौता हुआ था, लेकिन इसमें अधिकतर मांगे पूरी नहीं हुई. सरपंच संघ के संरक्षक भंवरलाल जानू और अध्यक्ष बंशीधर बढवाल का कहना है कि 22 सूत्रीय मांगो को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से मुलाकात की, जिसमें उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही आपकी मांगे सीएम के समक्ष रखी जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना में सरकार की गलती से कटे हुए नाम वापस जुड़वाना, खाद्य सुरक्षा योजना में वंचित पात्र लाभार्थियों के नाम सम्मिलित करवाने के लिए पोर्टल खुलवाना, वृद्ध, विधवा और विकलांग पेंशन योजना की राशि बढ़वाना, केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन में वित्तीय संसाधन, मानव संसाधन की व्यवस्था करवाना. इसके अलावा ग्राम पंचायतों के ऑनलाइन कार्यों में आ रही जटिलताओं के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में कंप्यूटर ऑपरेटर का पद सृजित करवाने की मांग है.


क्या रूठे सरपंचों को मना पाएगी सरकार-
अब ऐसे में देखना यह होगा कि सरकार रूठे हुए सरपंचों को कैसे मना पाती है और यदि सरपंच नहीं माने सरकार क्या विकल्प ढूंढती है.