रणथंभौर टाइगर रिजर्व में फुल डे और हाफ डे सफारी बंद, होटल व्यवसाय को झटका
राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए, रणथंभौर टाइगर रिजर्व में फुल डे और हाफ डे सफारी को बंद करने के आदेश जारी किये हैं. वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी ने रणथंभौर में फुल डे और हाफ डे सफारी बंद करने की फाइल पर दस्तखत कर दिए और वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव शिखर अग्रवाल ने इन आदेशों को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए.
Jaipur: राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए, रणथंभौर टाइगर रिजर्व में फुल डे और हाफ डे सफारी को बंद करने के आदेश जारी किये हैं. सरकार के इस फैसले से एक तरफ रणथंभौर की होटल व्यवसायियों की लॉबी में हड़कंप मच गया है, तो वहीं दूसरी ओर वन्य जीव प्रेमी इसे सरकार का साहसिक फैसला मान रहें हैं. वन्यजीव प्रेमियों का मानना है कि इससे बाघ और दूसरे वन्यजीवों को राहत मिलेगी साथ ही वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण हो पायेगा.
राज्य सरकार साहसिक निर्णय
रणथंभौर में बेलगाम दौड़ती जिप्सियां, लगातार आवाज करते बड़े-बड़े कैमरे और अनचाहा दखल पिछले चार-पांच साल में यही सब कुछ रणथंभौर की नियति बन चुका था, यही कारण था कि बाघों में तनाव बढ़ रहा था और उनका स्वभाव भी आक्रमक होने लगा था. कोर वन क्षेत्र में लगातार बढ़ रहें मानवीय दखल से बाघों की साइटिंग भी कम होने लगी थी और बाघ वन क्षेत्र से बाहर भी अक्सर निकलने लगे थे. वन्य जीव प्रेमी और यहां तक की शोधकर्ता भी इस सबको गलत मान रहें थे, लेकिन जो खुश थे वे हैं होटल लॉबी के लोग दमदार और राजनीतिक पकड़ वाली होटल लॉबी के लोग जो फुल डे और हाफ डे सफारी के नाम पर मोटा राजस्व कमा रहें थे. उन्हें शायद वन और वन्य जीव संरक्षण से कोई लेना-देना नहीं था. इन 4-5 सालों में रणथंभौर में हाफ डे और फुल डे सफारी को बंद करने की मांग की जा रही थी लेकिन होटल लॉबी के सामने मांग दबकर रह जाती थी.
इस दौरान बाघों का स्वभाव बदलता रहा, शिकार की घटनाएं बढ़ी, टेरिटोरियल फाइट के मामले बढ़े, बाघ और इंसान के बीच का संघर्ष बढ़ा और बाघ इंसानी दखल से खुद को महफूज रखने के लिए वन क्षेत्र छोड़कर बाहर का रास्ता पकड़ने लगे. ऐसे में देर से ही सही लेकिन सूबे की सरकार ने वन्यजीवों का मर्म समझा और होटल लॉबी के तमाम सियासी दबाव को दरकिनार करते हुए, फुल डे और हाफ डे सफारी को बंद करने का निर्णय लिया. वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी ने रणथंभौर में फुल डे और हाफ डे सफारी बंद करने की फाइल पर दस्तखत कर दिए और वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव शिखर अग्रवाल ने इन आदेशों को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए.
वन्यजीव प्रेमी प्रदेश की अन्य सफारी में निर्णय की मांग की
अब वन्यजीव प्रेमियों में इस आदेश के बाद खुशी की लहर दौड़ गई है. वन्यजीव प्रेमियों ने राज्य सरकार से मांग की है कि रणथंभौर में लिया गया निर्णय तेजी से सिटी वाइल्डलाइफ टूरिज्म हब बन रहें जयपुर के झालाना और आमागढ़ लेपर्ड सफारी में भी लागू किया जाए. यहां पर भी लेपर्ड की संख्या और घनत्व देश में सबसे ज्यादा है, इसलिए यहां पर भी हाफ डे और फूल डे सफारी बंद कर वन्यजीवों के हितों की रक्षा की जाए.
क्या है फुल डे और हाफ डे सफारी
फुल डे और हाफ डे सफारी के कंसेप्ट को वन्य जीव प्रेमी शुरू से ही गलत मान रहें थे, लेकिन कुछ लोगों ने अपने सियासी रसूख के बल पर इस व्यवस्था को शुरू करवा दिया था. इसका सीधा लाभ उन चंद होटल संचालकों को मिल रहा था, जो सफारी की व्यवस्था में पूरी तरह से घुलमिल गए थे और तय दामों से 4 गुना तक दाम वसूल रहें थे. यही नहीं फुल डे और हाफ डे के दौरान जंगल के नियमों को भी तार-तार किया जा रहा था. इससे वन्यजीव तो स्ट्रेस में थे ही जंगल की व्यवस्था भी कुछ लोगों के हाथ की कठपुतली बन गई थी.
रणथंभौर टाइगर रिजर्व क्षेत्र के फुल डे और हाफ डे सफारी शुल्क
कुल बाघ - 78
कुल जोन - 10
कुल जिप्सी - 276
कुल केंटर - 289
एक पारी में जिप्सी कोटा - 92
एक पारी में कैंपर कोटा - 52
हाफ डे, फुल डे अधिकतम - 05
जिप्सी हाफ डे शुल्क (भारतीय) - 29443 ₹
जिप्सी हाफ डे शुल्क (विदेशी) - 37832 ₹
जिप्सी फुल डे शुल्क (भारतीय) - 54505 ₹
जिप्सी फुल डे शुल्क (विदेशी) - 70214 ₹
हाफ डे और फुल डे सफारी को बंद करने के निर्णय को अब तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया जाएगा.
Reporter - Damodar Raigar
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